कहाँ गये वो ,
जो हरदम याद
किया करते थे...,
जान - बुझकर न सही,
मगर भूले से पुछ
लिया होता कैसे हो ?...,
जो खुशी और गम में
हमारा साथ
दिया करते थे...,
लगता है सब
खो गया है . ..
...
उनको पता नही हम
उसकी यादों में...,
ज़िन्दगी को भुला चुके
हैं,
हरदम याद किया उन्हेँ...,
कभी आओ मिलो हमसे,
बैठकर बात करो...,
दर्द - ए- दिल
अपना कहो, हाले - ए -
दिल हमारा सुनो...,
क्या गुजरी है हम पर,..
शिकवा क्या,
क्या गिला और
क्या खता थी... ;
हम भी तो जानेँ.......
आखिर
क्या मंज़र गुजरा दिल पे...,
वो हँस के बोले बस भी करो अब...
जब कहा अपने दिल
का हाल,
क्या करते हम
बस खामोश
रह गये ....
इस तरह वो क्या
गयेँ
जैसे चली गई ये
ज़िन्दगी, चला गया ये
कारवां...;
फिर खुद से ही कहा जागो प्यारे...! अब बस
भी करो,
'ऐ खुदा ' वो मिलेगेँ तब कहुगां उनको
सिर्फ़ काम नही,
थोडा ज़िन्दगी को भी महसूस
करो...,
खुब खाओ, पिओ, हँसो, गाओ
झूमों, नाचो, मौज
करो...,
पर हकीकत है हम ना रह पाये आपके बिना ,
ना भूले आपको हरपल हर लम्हा सताया यादोँ ने
मेरी गुजारिश सुनो 'जान'
मैँ अस्थायी हूँ पर कम - से - कम ...
भूल से ही सही हमें
याद तो करो...
हम तो हरदम देंगे
यही दुआ आपको..
ईश्वर आपको खुश रखेँ
अपनी जिन्दगी
तुम एन्जॉय
करो ....
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