* पथ*
हम एक आदर्श
रास्ते की खोज में
दिनोदिन
इन्तजार करते
रहते हैं कि शायद
वह अब
मिलेगा मगर हम
भूल जाते हैं
कि रास्ते चलने के
लिए बनाये जाते
हैं, इन्तजार के
लिए नहीं।...
जब एक बार
सही पथ के अनुगमन
की इच्छा ही नहीं
रहे तो यह
अनुभूति ही नहीं
हो सकती कि ग़लत
क्या है।...
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