एक बुद्धिमान
व्यक्ति ,जो लिखने
का शौकीन था ,लिखने
के लिए समुद्र के
किनारे जा कर बैठ
जाता था और फिर उसे
प्रेरणायें प्राप्त
होती थीं और
उसकी लेखनी चल
निकलती थी ।
लेकिन ,लिखने के लिए
बैठने से पहले वह समुद्र
के तट पर कुछ क्षण
टहलता अवश्य था । एक
दिन वह समुद्र के तट
पर टहल
रहा था कि तभी उसे
एक व्यक्ति तट से
उठा कर कुछ समुद्र में
फेंकता हुआ दिखा ।जब
उसने निकट जाकर
देखा तो पाया कि वह
व्यक्ति समुद्र के तट से
छोटी -
छोटी मछलियाँ एक-
एक करके
उठा रहा था और
समुद्र में फेंक रहा था ।
और ध्यान से अवलोकन
करने पर उसने
पाया कि समुद्र तट
पर
तो लाखों कि तादात
में छोटी -
छोटी मछलियाँ पडी
थीं जो कि थोडी ही
देर में दम तोड़ने
वाली थीं ।अंततः उससे
न रहा गया और उस
बुद्धिमान मनुष्य ने उस
व्यक्ति से पूछ
ही लिया ,"नमस्ते
भाई ! तट पर
तो लाखों मछलियाँ हैं ।
इस प्रकार तुम चंद
मछलियाँ पानी में फ़ेंक
कर मरने
वाली मछलियों का
अंतर कितना कम कर
पाओगे ?इस पर वह
व्यक्ति जो छोटी -
छोटी मछलियों को एक
-एक करके समुद्र में फेंक
रहा था ,बोला,"देखिए
!सूर्य निकल चुका है और
समुद्र की लहरें अब
शांत होकर वापस होने
की तैयारी में हैं । ऐसे
में ,मैं तट पर
बची सारी मछलियों
को तो जीवन दान
नहीं दे पाऊँगा । " और
फिर वह झुका और एक
और मछली को समुद्र में
फेंकते हुए
बोला ,"किन्तु , इस
मछली के जीवन में
तो मैंने अंतर
ला ही दिया ,और
यही मुझे बहुत संतोष
प्रदान कर रहा है ।
"इसी प्रकार ईश्वर ने
आप सब में भी यह
योग्यता दी है कि आप
एक छोटे से प्रयास से
रोज़ किसी न किसी के
जीवन में
'छोटा सा अंतर'
ला सकते हैं ।
जैसे ,किसी भूखे पशु
या मनुष्य को भोजन
देना , किसी ज़रूरतमंद
की निःस्वार्थ
सहायता करना
इत्यादि । आप
अपनी किस योग्यता से
इस समाज को , इस
संसार को या किसी एक इंसान को क्या दे रहे
हैं ,क्या दे सकते
हैं ,आपको यही
आत्मनिरीक्षण
करना है और फिर
अपनी उस
योग्यता को पहचान
कर रोज़ किसी न
किसी के मुख पर
मुस्कान लाने
का प्रयास करना है ।
और विश्वास
जानिए ,ऐसा करने से
अंततः सबसे अधिक
लाभान्वित आप
ही होंगे । ऐसा करने से
सबसे अधिक अंतर
आपको अपने भीतर
महसूस होगा ।
ऐसा करने से सबसे
अधिक अंतर आपके
ही जीवन में पड़ेगा!
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