रेत अगर मुट्ठी से फिसलती है
तो उसका भी एक मकसद
होता है...
'ईश्वर' उस
मुट्ठी को इसलिए खाली कराता है
क्योंकि वो वहां आसमान
को उतारने के लिए जगह
बनाना चाहता है...
हर कोई
चाहता है कि... इक मुट्ठी आसमान हो... ओर दुसरी मुटठी मेँ तारे हो क्योकि आसमान सफलता है ओर तारे अपनी मंजिल!
पर ये सब कर्म , लगन ओर विश्वास से मिलता है MKT
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