16/04/2012

MERA DARD-

मैँ उनका सब कुछ हूँ या सब कुछ था !
वो मेरा अहम है या
ये मेरा एक वहम था ! मैँ उनकी याद में दिन- रात रोयाँ ,
पर उनके पास मेरे लियेँ समय न था ,
वो खुश थे अपनी महफिल मेँ ,
ओर मैँ जी रहा था दर्द कि महफिल मेँ !
मैनेँ तो दर्द ओर अकेलेपन से दोस्ती कर ही ली थी !
पर क्या इस दर्द का उनको जरा एहसास भी था ,जो कभी कहते थे, बहुत याद आती है!
दोस्त ना सही दुशमन बनके ही सही,
जरा मुडके एक बार देख तो लेते,
' जिन्दा हुँ या नही '
क्या मैँ इतना अस्थायी था -अस्थायी था........

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