30/04/2012

Man KI BAAT-

मन की बात
चेहरे पर न ढूंढो तुम हर
बात को
कोई मन में भी दबाकर
रखता होगा
क्यो लब्ज़ों के इंतजार
में बैठे हो?
कोई तो खामोशी से
ही जताता होगा।
क्यों बहाते हो ये आँसू
तुम इतने?
कोई तो आँसुओं में ही डूब
जाता होगा।
क्यों दिखाते हो फिर
आँसू उनको,
जिन्हें रोना ही न
आता होगा।
क्यों बढा दी रफ्तार
इतनी?
कोई पीछे भी छूट
जाता होगा
हम क्यों रूक जायें उसके
लिए,
जो आगे कदम
बढाता ही न होगा!

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