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10/09/2012
06/09/2012
BOOK OF LIFE-
"GALTI" zindgi ka ek page hai,
par"RISHTEY" puri kitaab hai.
Jarurat padne par
"GALTI" ka page faad dena par ek page k liye puri kitaab mat kho dena..
par"RISHTEY" puri kitaab hai.
Jarurat padne par
"GALTI" ka page faad dena par ek page k liye puri kitaab mat kho dena..
EA KHUDA -
Kamaal Ka Hausla Diya Rabb ne Hum INSAANO ko..
.
.
.
.
Waaqif Hum Agle Pal se Nahi Hote aur WAADE Hum Janmo Janam ke kar lete hai.
.
.
.
.
Waaqif Hum Agle Pal se Nahi Hote aur WAADE Hum Janmo Janam ke kar lete hai.
10/08/2012
YAA KHUDA-
Mohabbat bhi Ajeeb chiz banayi khuda tune,
Teri hi Masjid me,
Tere hi mandir me
,Tere hi bande
,Tere hi samne Rote Hain,
Tuze nahi
kisi aur
ko pane ke Liye..यां खुदा
Teri hi Masjid me,
Tere hi mandir me
,Tere hi bande
,Tere hi samne Rote Hain,
Tuze nahi
kisi aur
ko pane ke Liye..यां खुदा
05/08/2012
रिश्तो मेँ पवित्र रिश्ता हैँ दोस्ती !
कई अनकही बातो कि जुबां हैँ दोस्ती !
जिसका मोल नही कोई वो अनमोल तोहफा हैँ दोस्ती !
कभी खत्म ना हो वो सागर हैँ दोस्ती !
अनजानो मेँ सच्चा साथ निभाती हैँ दोस्ती !
परायो मेँ अपनापन जो देखेँ, वो आँखे हैँ दोस्ती
अरे कमी हैँ दुनियाँ मेँ, समझने वालो कि वरना ,
इस जमी पे भगवान हैँ दोस्ती ....HAPPY FRIENDSHIP DAY. MKT
कई अनकही बातो कि जुबां हैँ दोस्ती !
जिसका मोल नही कोई वो अनमोल तोहफा हैँ दोस्ती !
कभी खत्म ना हो वो सागर हैँ दोस्ती !
अनजानो मेँ सच्चा साथ निभाती हैँ दोस्ती !
परायो मेँ अपनापन जो देखेँ, वो आँखे हैँ दोस्ती
अरे कमी हैँ दुनियाँ मेँ, समझने वालो कि वरना ,
इस जमी पे भगवान हैँ दोस्ती ....HAPPY FRIENDSHIP DAY. MKT
30/07/2012
good feeling
Most lovely line by my heart;
"Aye khuda suna hai ki Dua qubul karne ka ek waqt
hota hai...
Fir tu hi bta mene "use" kis pal nhi manga...या खुदा
"Aye khuda suna hai ki Dua qubul karne ka ek waqt
hota hai...
Fir tu hi bta mene "use" kis pal nhi manga...या खुदा
29/07/2012
कुछ न कुछ तो ज़रूर
होना है
सामना आज नही तो कल दुनियाँ से
होना है
तोड़ो फेको या रखो
करो कुछ भी
'दिल हमारा है'
खिलोना नही ,
ज़िन्दगी और मौत
का मतलब
तुम को पाना है तुम
को खोना है
इतना डरना भी क्या है
दुनिया से
जो भी होना है
वो तो होना है
उठ के महफ़िल से मत चले
जाना
तुम से रोशन ये मेरी जिन्दगी का
कोना कोना हैँ...
****************
होना है
सामना आज नही तो कल दुनियाँ से
होना है
तोड़ो फेको या रखो
करो कुछ भी
'दिल हमारा है'
खिलोना नही ,
ज़िन्दगी और मौत
का मतलब
तुम को पाना है तुम
को खोना है
इतना डरना भी क्या है
दुनिया से
जो भी होना है
वो तो होना है
उठ के महफ़िल से मत चले
जाना
तुम से रोशन ये मेरी जिन्दगी का
कोना कोना हैँ...
****************
मैँ क्या करुँ ?...
मैँ क्या करू?
चलो आज कुछ कसमे
तोड़ते है ,
चलो कुछ रस्मे
तोड़ते है ,
इन
वादों को भी तोड़ेंगे
अभी ,
चलो कुछ
उसूलो को भी तोड़
देते है ....
ये सब वो रस्मे
है ,कसमे है ,उसूल
है ,वादे है ,
जो एक कंजर जंग
लगी बेडी से है ,
जो आगे की राह
पर चलने नहीं देते ,
जो पीछे मुड़ने
भी नहीं देते ,
बस गाढ़ कर रख
दिया है हमें
जमीं पर ,
बहते अश्कोको ये
रुकने नहीं देते ....
जो दुनियाँ की रसम
सिर्फ मुझे
ही निभानी हो
उसका मैँ क्या करू ?
जो रित सिर्फ मुझे
ही निभानी हो
उसका क्या करू ?
जो उसूल सिर्फ मुझे
तोड़ते हो ?
उन
उसूलो का क्या करू
???
जो वादे सिर्फ
मुझे ही निभाने हो
उसे क्या करू ???
पैरो-
हाथों की बेड़ियाँ
तोडनी बहुत
आसान है ,
जो दिल पर
पहरा देती रहती
है हरदम
उस कैद में जीकर
क्या करू ????
जबकि मैं
जानता हूँ ...
मैं कुछ नहीं ,मेरे
निशान
कहीं नहीं मिले कोई गम नही
पर इस जिन्दगी को मैँ ,
तेरे बगैर काटने पर
मजबूर हो जाऊं उस
जिंदगी का मैँ क्या
करू ????????????...
चलो आज कुछ कसमे
तोड़ते है ,
चलो कुछ रस्मे
तोड़ते है ,
इन
वादों को भी तोड़ेंगे
अभी ,
चलो कुछ
उसूलो को भी तोड़
देते है ....
ये सब वो रस्मे
है ,कसमे है ,उसूल
है ,वादे है ,
जो एक कंजर जंग
लगी बेडी से है ,
जो आगे की राह
पर चलने नहीं देते ,
जो पीछे मुड़ने
भी नहीं देते ,
बस गाढ़ कर रख
दिया है हमें
जमीं पर ,
बहते अश्कोको ये
रुकने नहीं देते ....
जो दुनियाँ की रसम
सिर्फ मुझे
ही निभानी हो
उसका मैँ क्या करू ?
जो रित सिर्फ मुझे
ही निभानी हो
उसका क्या करू ?
जो उसूल सिर्फ मुझे
तोड़ते हो ?
उन
उसूलो का क्या करू
???
जो वादे सिर्फ
मुझे ही निभाने हो
उसे क्या करू ???
पैरो-
हाथों की बेड़ियाँ
तोडनी बहुत
आसान है ,
जो दिल पर
पहरा देती रहती
है हरदम
उस कैद में जीकर
क्या करू ????
जबकि मैं
जानता हूँ ...
मैं कुछ नहीं ,मेरे
निशान
कहीं नहीं मिले कोई गम नही
पर इस जिन्दगी को मैँ ,
तेरे बगैर काटने पर
मजबूर हो जाऊं उस
जिंदगी का मैँ क्या
करू ????????????...
19/07/2012
TRUE LOVE-
=> सच्चा प्यार
क्या है
क्या है सच्चा प्यार ?
आओ सुनो एक कहानी
एक चिडिया को एक सफ़ेद
गुलाब से प्यार हो गया ,
उसने गुलाब को प्रपोस
किया ,
गुलाब ने जवाब
दिया की जिस दिन मै
लाल हो जाऊंगा उस दिन
मै तुमसे प्यार करूँगा ,
जवाब सुनके
चिडिया गुलाब के आस
पास काँटों में लोटने
लगी और उसके खून से गुलाब
लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे
कहा की वो उससे प्यार
करता है
पर
तब तक
चिडिया मर
चुकी थी..........................
.......................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
इसीलिए कहा गया है
की सच्चे प्यार
का कभी भी इम्तहान
नहीं लेना चाहिए,
क्यूंकि सच्चा प्यार
कभी इम्तहान
का मोहताज
नहीं होता है ,
ये वो फलसफा; है
जो आँखों से बया होता है ,
ये जरूरी नहीं की तुम जिसे
प्यार करो वो तुम्हे
प्यार दे ,
बल्कि जरूरी ये है
की जो तुम्हे प्यार करे तुम
उसे जी भर कर प्यार दो,
फिर देखो ये
दुनिया जन्नत
सी लगेगी प्यार
खुदा की ही बन्दगी है,
खुदा भी प्यार करने
वालो के साथ रहता है!
क्या है
क्या है सच्चा प्यार ?
आओ सुनो एक कहानी
एक चिडिया को एक सफ़ेद
गुलाब से प्यार हो गया ,
उसने गुलाब को प्रपोस
किया ,
गुलाब ने जवाब
दिया की जिस दिन मै
लाल हो जाऊंगा उस दिन
मै तुमसे प्यार करूँगा ,
जवाब सुनके
चिडिया गुलाब के आस
पास काँटों में लोटने
लगी और उसके खून से गुलाब
लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे
कहा की वो उससे प्यार
करता है
पर
तब तक
चिडिया मर
चुकी थी..........................
.......................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
इसीलिए कहा गया है
की सच्चे प्यार
का कभी भी इम्तहान
नहीं लेना चाहिए,
क्यूंकि सच्चा प्यार
कभी इम्तहान
का मोहताज
नहीं होता है ,
ये वो फलसफा; है
जो आँखों से बया होता है ,
ये जरूरी नहीं की तुम जिसे
प्यार करो वो तुम्हे
प्यार दे ,
बल्कि जरूरी ये है
की जो तुम्हे प्यार करे तुम
उसे जी भर कर प्यार दो,
फिर देखो ये
दुनिया जन्नत
सी लगेगी प्यार
खुदा की ही बन्दगी है,
खुदा भी प्यार करने
वालो के साथ रहता है!
16/07/2012
TRUE FACT-
LOVE_:
Maut to bas naam se hi badnaam hai...
warna...
Takleef to zindagi hi sabse zyada deti hai...
>
Maut to bas naam se hi badnaam hai...
warna...
Takleef to zindagi hi sabse zyada deti hai...
>
13/07/2012
LOVE
what is LOVE ??
Ek cigrate ko jalane ke liye machis khud ko jala deti
hai
or
fir usi machis ki yaad me cigrate bhi puri jal jati hai
That's LOVE...
Ek cigrate ko jalane ke liye machis khud ko jala deti
hai
or
fir usi machis ki yaad me cigrate bhi puri jal jati hai
That's LOVE...
best line-
True ..
"Ajab Si Paheli Hai in Hatho Ki Lakiro Main...
Manzil Likhi Hai, Magar Rasta Nahi Likha...!
"Ajab Si Paheli Hai in Hatho Ki Lakiro Main...
Manzil Likhi Hai, Magar Rasta Nahi Likha...!
best of the best-
1 doli or 1 arthi aapas me takra gye..
Ye dekh log ghabra gye..
awaz aayi ye kesi bidai he..
Tb
logo ne kaha pyar ki doli dekne yar ki arthi aayi he..
So sadly...
Ye dekh log ghabra gye..
awaz aayi ye kesi bidai he..
Tb
logo ne kaha pyar ki doli dekne yar ki arthi aayi he..
So sadly...
10/07/2012
success
1.Success means having the
courage, the determination,
and the will to become the
person you believe you were
meant to be.
2. I want to say I deserve
better and mean it. I want to
say I give up and believe it. I
want to say Im moving on
and do it.
3. Ability is what you’re capable
of doing, motivation
determines what you do, and
attitude determines how well
you do it.
4. Winners don’t do different
things, they do things
differently.
5. If you always do what you’ve
always done, you’ll always
get what you always got, and
you’ll always feel what you
always felt.
6. Sometimes it’s only after you
leave a situation that you
realize you shouldn’t have
been in it to begin with.
7. You think I’ve changed.
Truth is you never really
knew the real me.
8. You never understand it
until you experience it.
9. Our life are defined by
opportunities. Even the ones
we miss.
10.When you put that ring on
my finger, you put a chain of
death around my heart.
11. Sometimes i just want to kill
myself just to see if anyone
really cares.
courage, the determination,
and the will to become the
person you believe you were
meant to be.
2. I want to say I deserve
better and mean it. I want to
say I give up and believe it. I
want to say Im moving on
and do it.
3. Ability is what you’re capable
of doing, motivation
determines what you do, and
attitude determines how well
you do it.
4. Winners don’t do different
things, they do things
differently.
5. If you always do what you’ve
always done, you’ll always
get what you always got, and
you’ll always feel what you
always felt.
6. Sometimes it’s only after you
leave a situation that you
realize you shouldn’t have
been in it to begin with.
7. You think I’ve changed.
Truth is you never really
knew the real me.
8. You never understand it
until you experience it.
9. Our life are defined by
opportunities. Even the ones
we miss.
10.When you put that ring on
my finger, you put a chain of
death around my heart.
11. Sometimes i just want to kill
myself just to see if anyone
really cares.
04/07/2012
DO WORK
Jinhe Sapne
Dekhna Achha
Lagta Hai,
Unhe Raat Chhoti
Lagti Hai,
aur...
Jinhe Sapne Pure
karna Achha
Lagta Hai,
Unhe Din Chhota
Lagta Hai.
So let's go for work.
Dekhna Achha
Lagta Hai,
Unhe Raat Chhoti
Lagti Hai,
aur...
Jinhe Sapne Pure
karna Achha
Lagta Hai,
Unhe Din Chhota
Lagta Hai.
So let's go for work.
KON HU MAi-
KON HaU मैँ... Agar rakh sako to ek nishani hu मैँ,
keh do to sirf kahani hu मैँ,
yado me rakhoge to ek mithi yad hu मैँ...
AGAR bhulana chaho to ek fsana hu मैँ...... rok paye na jisko ye sari duniya , wo ek bund ankh ka pani hu मैँ,
Yu to mano khuli kitab hu मैँ,
ankh se dekhoge to khush paoge , dil se puchoge to dard ka sailab hu मैँ..
sabko pyar dene ki aadat hai mujhe.....
apni alag pahchan banane ki adat hai mujhe.....
jitna bhi gahra jakham de koi ,
utna hi muskurane ki aadat hai mujhe.. jise chahta hu use pane ki khwais hai mujhe.....
keh do to sirf kahani hu मैँ,
yado me rakhoge to ek mithi yad hu मैँ...
AGAR bhulana chaho to ek fsana hu मैँ...... rok paye na jisko ye sari duniya , wo ek bund ankh ka pani hu मैँ,
Yu to mano khuli kitab hu मैँ,
ankh se dekhoge to khush paoge , dil se puchoge to dard ka sailab hu मैँ..
sabko pyar dene ki aadat hai mujhe.....
apni alag pahchan banane ki adat hai mujhe.....
jitna bhi gahra jakham de koi ,
utna hi muskurane ki aadat hai mujhe.. jise chahta hu use pane ki khwais hai mujhe.....
01/07/2012
DUA -
Most lovely line by a broken heart:
"Aye Khuda Suna He Ki
Dua Qubul Krne Ka 1 Waqt Hota Hai...
Fir Tu Hi Bata Maine Use Kis Pal Nahi Manga" ??
"Aye Khuda Suna He Ki
Dua Qubul Krne Ka 1 Waqt Hota Hai...
Fir Tu Hi Bata Maine Use Kis Pal Nahi Manga" ??
best msg
Ek Artist se Dil kE darwaze ki tasveer banane ko kaha gaya.
Usne bahut haseen ghar banaya,
aur uss me chhotasa khoobsurat darwaza lagaya.
Lekin uska handle nahi tha.
Kisine pucha, Handle Q nahi lagaya ?
Artist ne kaha,
"Dil ka darwaza andar se khola jata hai,
bahar se nahi."....
Usne bahut haseen ghar banaya,
aur uss me chhotasa khoobsurat darwaza lagaya.
Lekin uska handle nahi tha.
Kisine pucha, Handle Q nahi lagaya ?
Artist ne kaha,
"Dil ka darwaza andar se khola jata hai,
bahar se nahi."....
MERI KAHANI -
Kahte hai zindagi 1kahani hoti hai,
Par hum to ek gumnaam kissa ban gye,
Khud ki zindagi ki kahani likhi nahi,
Aur anjaane me kisi ki kahani ka ek hissa ban gaye......
Par hum to ek gumnaam kissa ban gye,
Khud ki zindagi ki kahani likhi nahi,
Aur anjaane me kisi ki kahani ka ek hissa ban gaye......
WHAT'S STUDIES-
Everybody says
Studying is so easy
just like walking in a
park
But
Only STUDENTS Know
That
The park is
Jurassic park wid a variety of dinosaurs....
KESA LGA YE VICHAR
Studying is so easy
just like walking in a
park
But
Only STUDENTS Know
That
The park is
Jurassic park wid a variety of dinosaurs....
KESA LGA YE VICHAR
mere yaar
सोचता हूँ जब तुम मुझसे जुदा हो जाओगे तब मेरा क्या होगा बहुत याद आओगे यार खैर...... Kisi ke chale Jane Se
Zindgi Nahi Rukti
Lekin ,
Jine ka Andaz jarur badal Jaata hai....
Zindgi Nahi Rukti
Lekin ,
Jine ka Andaz jarur badal Jaata hai....
30/06/2012
NAZAR AUR NASEEB-
Nazar aur Naseeb ke milne ka ittifaq kuchh aisa hai..
.
.
Ki Nazar ko pasand hmesha wahi chiz aati hai.
.
.
.
.
Jo Naseeb me nahi hoti..
या खुदा ऐसा क्यूँ ?
.
.
Ki Nazar ko pasand hmesha wahi chiz aati hai.
.
.
.
.
Jo Naseeb me nahi hoti..
या खुदा ऐसा क्यूँ ?
GREAT THOUGHT-
Don't work too hard to give yourself the best of everything, instead make a greater effort to give God the best of yourself.
BAHUT YAD-
Zindgi me sabse aasan hai-
''kisi ko bhul kar kbhi-kbhi use yad krna.
''lekin sbse muskil hai ''
kisi ki pal-pal aane wali yad ko har pal bhulne ki kosish karna.
~MISS YOU
''kisi ko bhul kar kbhi-kbhi use yad krna.
''lekin sbse muskil hai ''
kisi ki pal-pal aane wali yad ko har pal bhulne ki kosish karna.
~MISS YOU
MOHABBAT
*"MOHABBAT"*
Kitna
Pyara Shabd Hai,
>Muh Se Pura
Lafz NiKalne
Se Pehle hi,
_Honth Ek Dusre
Ko 2 Dafa
Choom Lete hain,
_
>Try It
"MOHABBAT"
Kitna
Pyara Shabd Hai,
>Muh Se Pura
Lafz NiKalne
Se Pehle hi,
_Honth Ek Dusre
Ko 2 Dafa
Choom Lete hain,
_
>Try It
"MOHABBAT"
29/06/2012
26/06/2012
VERY NICE THOUGHT
:-)....
"Apni JUbaan Se Itne Hi Meethe Shabd Bolo,
Ki Agar Kabhi Vaapas Lene Pade To Khud Ko Kadwe Na Lage"..
"Apni JUbaan Se Itne Hi Meethe Shabd Bolo,
Ki Agar Kabhi Vaapas Lene Pade To Khud Ko Kadwe Na Lage"..
Best of the Best
अपना एक
शोधपत्र लिखने के
बाद आइंस्टीन और
उनके एक
सहयोगी ने
कागज़ों को नत्थी
करने के लिए पेपर
क्लिप
को ढूंढना शुरू
किया। अंततः उन्हें
एक टेढ़ी-मेढ़ी पेपर
क्लिप
मिली जो प्रयोग
में लाने योग्य
बिलकुल नहीं थी।
फिर उन लोगों ने
उस क्लिप
को सीधा करने
का निर्णय
लिया तथा उसके
लिए उपकरण
की तलाश शुरू की।
अल्मारी की कई
दराजों में तलाश
करने के बाद
अंततः उन्हें
अच्छी क्लिपों का
एक डिब्बा मिला।
जिसमें से एक क्लिप
को निकालकर
आइंस्टीन ने
उपकरण
बनाना शुरू कर
दिया। उनके
सहयोगी ने
हतप्रभ होते हुए
पूछा कि जब
इतनी सारी अच्छी
क्लिप मौजूद हैं
तो आप उस टेढ़ी-
मेढ़ी क्लिप
को ही सीधा करने
पर क्यों उतारू हैं?
आइंस्टीन ने उत्तर
दिया -
"यदि एकबार मैं
किसी काम
को करने
का निर्णय ले
लेता हूँ, तो चाहे
कितनी भी
परेशानियां आयें मैं
उस काम
को पूरा करके
ही दम लेता हूँ।"
इस कथा से
हमे उनके व्यक्तित्व के
बारे में
पूरी जानकारी
मिलती है।तो इसलिये हर व्यक्ति को जुझारु होता चाहिये इसी मे उसकी जीत है
--
"
--
--
पवित्रता-
पूरे देश में दूर
पर्वत पर
बनी कुटिया में
रहने वाले एक
पवित्र संत
की ख्याति फैल
गयी थी। वहां से
काफी दूर स्थित
एक गांव में रहने
वाले व्यक्ति ने
कठिन यात्रा कर
उस संत के पास
जाने का निर्णय
लिया।
कई
दिनों की कठिन
यात्रा के उपरांत
जब वह व्यक्ति इस
संत की कुटिया तक
पहुंचा तो उसने
दरवाज़े पर एक
नौकर को खड़ा हुआ
पाया। उसने नौकर
से कुटिया के भीतर
जाकर पवित्र संत
को दर्शन करने
की अभिलाषा
प्रकट की। नौकर
मुस्कराया और उस
व्यक्ति को लेकर
कुटिया के अंदर
गया। जैसे ही उस
व्यक्ति ने
कुटिया में प्रवेश
किया उसकी नज़रें
पवित्र संत
को तलाशने
लगीं जिनके दर्शन
के लिए वह
इतनी दूर चलकर
आया था। पर
वहाँ कोई
नहीं था।
इसके पहले कि वह
कुछ समझ पाता वह
नौकर उसे बाहर ले
आया। वह
व्यक्ति मुड़ा और
नौकर से बोला -
"परंतु मैं पवित्र
संत के दर्शन
करना चाहता हूँ।"
नौकर ने उत्तर
दिया - "दर्शन
तो तुम पहले
ही कर चुके हो।
अपने जीवन में तुम
जिस
किसी भी व्यक्ति
से मिलो, उसे
बुद्धिमान पवित्र
व्यक्ति ही समझो
चाहे वह
कितना भी
साधारण
दिखायी दे
रहा हो। यदि तुम
ऐसा करोगे
तो तुम्हारी वे
सभी समस्यायें
जिन्हें लेकर तुम
यहाँ आए
हो अपनेआप दूर
हो जाएगीं।"
शोधपत्र लिखने के
बाद आइंस्टीन और
उनके एक
सहयोगी ने
कागज़ों को नत्थी
करने के लिए पेपर
क्लिप
को ढूंढना शुरू
किया। अंततः उन्हें
एक टेढ़ी-मेढ़ी पेपर
क्लिप
मिली जो प्रयोग
में लाने योग्य
बिलकुल नहीं थी।
फिर उन लोगों ने
उस क्लिप
को सीधा करने
का निर्णय
लिया तथा उसके
लिए उपकरण
की तलाश शुरू की।
अल्मारी की कई
दराजों में तलाश
करने के बाद
अंततः उन्हें
अच्छी क्लिपों का
एक डिब्बा मिला।
जिसमें से एक क्लिप
को निकालकर
आइंस्टीन ने
उपकरण
बनाना शुरू कर
दिया। उनके
सहयोगी ने
हतप्रभ होते हुए
पूछा कि जब
इतनी सारी अच्छी
क्लिप मौजूद हैं
तो आप उस टेढ़ी-
मेढ़ी क्लिप
को ही सीधा करने
पर क्यों उतारू हैं?
आइंस्टीन ने उत्तर
दिया -
"यदि एकबार मैं
किसी काम
को करने
का निर्णय ले
लेता हूँ, तो चाहे
कितनी भी
परेशानियां आयें मैं
उस काम
को पूरा करके
ही दम लेता हूँ।"
इस कथा से
हमे उनके व्यक्तित्व के
बारे में
पूरी जानकारी
मिलती है।तो इसलिये हर व्यक्ति को जुझारु होता चाहिये इसी मे उसकी जीत है
--
"
--
--
पवित्रता-
पूरे देश में दूर
पर्वत पर
बनी कुटिया में
रहने वाले एक
पवित्र संत
की ख्याति फैल
गयी थी। वहां से
काफी दूर स्थित
एक गांव में रहने
वाले व्यक्ति ने
कठिन यात्रा कर
उस संत के पास
जाने का निर्णय
लिया।
कई
दिनों की कठिन
यात्रा के उपरांत
जब वह व्यक्ति इस
संत की कुटिया तक
पहुंचा तो उसने
दरवाज़े पर एक
नौकर को खड़ा हुआ
पाया। उसने नौकर
से कुटिया के भीतर
जाकर पवित्र संत
को दर्शन करने
की अभिलाषा
प्रकट की। नौकर
मुस्कराया और उस
व्यक्ति को लेकर
कुटिया के अंदर
गया। जैसे ही उस
व्यक्ति ने
कुटिया में प्रवेश
किया उसकी नज़रें
पवित्र संत
को तलाशने
लगीं जिनके दर्शन
के लिए वह
इतनी दूर चलकर
आया था। पर
वहाँ कोई
नहीं था।
इसके पहले कि वह
कुछ समझ पाता वह
नौकर उसे बाहर ले
आया। वह
व्यक्ति मुड़ा और
नौकर से बोला -
"परंतु मैं पवित्र
संत के दर्शन
करना चाहता हूँ।"
नौकर ने उत्तर
दिया - "दर्शन
तो तुम पहले
ही कर चुके हो।
अपने जीवन में तुम
जिस
किसी भी व्यक्ति
से मिलो, उसे
बुद्धिमान पवित्र
व्यक्ति ही समझो
चाहे वह
कितना भी
साधारण
दिखायी दे
रहा हो। यदि तुम
ऐसा करोगे
तो तुम्हारी वे
सभी समस्यायें
जिन्हें लेकर तुम
यहाँ आए
हो अपनेआप दूर
हो जाएगीं।"
NICE LINE
line from HITLER:
War is better than love...
Bcoz
at the end of war you either live or die..
but
at end of love,
you neither live nor die...
War is better than love...
Bcoz
at the end of war you either live or die..
but
at end of love,
you neither live nor die...
21/06/2012
MEHNAT
परिश्रम वह कुंजी है जो सफलता के द्वार खोलती हैँ बिना परिश्रम के तो केवल एक हि दरवाजा खुलता है बस केवल दुर्भाग्य का
20/06/2012
BE POSITIVE
A negative thinker see a difficulty in every opportunity,A positive thinker see an opportunity in every difficulty,wish u an optimistic life.
12/06/2012
GREAT RTORY
एक बड़ी सुन्दर लाइन है
जो सच्चे स्नेह और प्यार
की ताकत को बयान
करती है। वो पंक्ति कुछ
इस तरह है कि -जाकर
जापर सत्य सनहू,
सो ताहि मिलहिं न कछु
संदेहू , यानी जिस
भी किसी का किसी के
प्रति सच्चा प्यार
होगा, तो उसका उससे
मिलन होकर रहेगा।
कई प्रेम
कहानियां अधूरी रह
जाती हैं, लेकिन
इसका अर्थ नहीं कि वे
समाप्त ही हो गईं हैं।
अगर आपका प्यार
सच्चा है तो एक न एक
दिन आपको जरूर
मिलता है। पुराणों में
ऐसी ही एक प्रेम
कहानी है राजा नल और
दयमंती की। तो आइये चलते
हैं उस अमर प्रेम
कथा की ओर.........
एक बार राजा नल अपने
भाई से जुए में अपना सब
कुछ हार गए। उनके भाई ने
उन्हें राज्य से बाहर कर
दिया। नल और
दयंमती जगह जगह भटकते
फिरे। एक रात राजा नल
चुपचाप कहीं चले गए। साथ
उन्होने दयमंती के लिए
एक संदेश छोड़ा जिसमें
लिखा था कि तुम अपने
पिता के पास
चली जाना मेरा लौटना न
िश्चित नहीं हैं।
दयमंती इस घटना से बहुत
दुखी हुई उसने राजा नल
को ढ़ूढऩे का बड़ा प्रयत्न
किया लेकिन राजा नल
उसे कहीं नहीं मिले।
दुखी मन से दयंमती अपने
पिता के घर चली गई।
लेकिन दयमंती का प्रेम
नल के लिए कम नहीं हुआ।
और वह नल के लौटने
का इंतजार करने लगी।
राजा नल अपना भेष
बदलकर इधर उधर काम
कर अपना गुजारा करने
लगे। बहुत दिनों बाद
दयमंती को उसकी दासियो ने बताया कि राज्य में
एक आदमी है जो पासे के
खेल का महारथी है।
दयमंती समझ गई कि वह
व्यक्ति कोई और
नहीं राजा नल ही है। वह
तुरंत उस जगह गई जहां नल
रुके हुए थे लेकिन नल ने
दयमंती को पहचानने से
मना कर दिया लेकिन
दयमंती ने अपने सच्चे प्रेम
के बल पर राजा नल से
उगलवा ही लिया कि वही
राजा नल है। फिर
दोनों ने मिलकर
अपना राज पाट वापस
हासिल कर लिया।
कथा कहती है
कि आपका समय
कैसा भी हो अगर
आपका प्यार सच्चा है
तो आपके साथी को प्यार आपके पास किसी न किसी रुप मे ले आता है
जो सच्चे स्नेह और प्यार
की ताकत को बयान
करती है। वो पंक्ति कुछ
इस तरह है कि -जाकर
जापर सत्य सनहू,
सो ताहि मिलहिं न कछु
संदेहू , यानी जिस
भी किसी का किसी के
प्रति सच्चा प्यार
होगा, तो उसका उससे
मिलन होकर रहेगा।
कई प्रेम
कहानियां अधूरी रह
जाती हैं, लेकिन
इसका अर्थ नहीं कि वे
समाप्त ही हो गईं हैं।
अगर आपका प्यार
सच्चा है तो एक न एक
दिन आपको जरूर
मिलता है। पुराणों में
ऐसी ही एक प्रेम
कहानी है राजा नल और
दयमंती की। तो आइये चलते
हैं उस अमर प्रेम
कथा की ओर.........
एक बार राजा नल अपने
भाई से जुए में अपना सब
कुछ हार गए। उनके भाई ने
उन्हें राज्य से बाहर कर
दिया। नल और
दयंमती जगह जगह भटकते
फिरे। एक रात राजा नल
चुपचाप कहीं चले गए। साथ
उन्होने दयमंती के लिए
एक संदेश छोड़ा जिसमें
लिखा था कि तुम अपने
पिता के पास
चली जाना मेरा लौटना न
िश्चित नहीं हैं।
दयमंती इस घटना से बहुत
दुखी हुई उसने राजा नल
को ढ़ूढऩे का बड़ा प्रयत्न
किया लेकिन राजा नल
उसे कहीं नहीं मिले।
दुखी मन से दयंमती अपने
पिता के घर चली गई।
लेकिन दयमंती का प्रेम
नल के लिए कम नहीं हुआ।
और वह नल के लौटने
का इंतजार करने लगी।
राजा नल अपना भेष
बदलकर इधर उधर काम
कर अपना गुजारा करने
लगे। बहुत दिनों बाद
दयमंती को उसकी दासियो ने बताया कि राज्य में
एक आदमी है जो पासे के
खेल का महारथी है।
दयमंती समझ गई कि वह
व्यक्ति कोई और
नहीं राजा नल ही है। वह
तुरंत उस जगह गई जहां नल
रुके हुए थे लेकिन नल ने
दयमंती को पहचानने से
मना कर दिया लेकिन
दयमंती ने अपने सच्चे प्रेम
के बल पर राजा नल से
उगलवा ही लिया कि वही
राजा नल है। फिर
दोनों ने मिलकर
अपना राज पाट वापस
हासिल कर लिया।
कथा कहती है
कि आपका समय
कैसा भी हो अगर
आपका प्यार सच्चा है
तो आपके साथी को प्यार आपके पास किसी न किसी रुप मे ले आता है
11/06/2012
LOVE-
Heart touching lines.
Mkt : kya aaj bhi tum mujse Pyar karti ho. .?
GiRL : Pyar ka to pata nahi bUt aaj bhi mere dost mujhe aapki Kasam dete hai..
THATS LOVE
Mkt : kya aaj bhi tum mujse Pyar karti ho. .?
GiRL : Pyar ka to pata nahi bUt aaj bhi mere dost mujhe aapki Kasam dete hai..
THATS LOVE
09/06/2012
TEEN BATE
तीन बातें कभी न भूलें
- प्रतिज्ञा करके,
क़र्ज़ लेकर और
विश्वास देकर। -
महावीर
तीन बातें करो -
उत्तम के साथ संगीत,
विद्वान् के साथ
वार्तालाप और
सहृदय के साथ
मैत्री। - विनोबा
तीन अनमोल वचन -
धन गया तो कुछ
नहीं गया, स्वास्थ्य
गया तो कुछ गया और
चरित्र गया तो सब
गया। -
अंग्रेजी कहावत
तीन से घृणा न करो -
रोगी से, दुखी से और
निम्न जाती से। -
मुहम्मद साहब
तीन के आंसू पवित्र
होते हैं - प्रेम के,
करुना के और
सहानुभूति के। - बुद्ध
तीन बातें
सुखी जीवन के लिए-
अतीत की चिंता मत
करो, भविष्य
का विश्वास न
करो और वर्तमान
को व्यर्थ मत जाने
दो।
तीन चीजें
किसी का इन्तजार
नहीं करती - समय,
मौत, ग्राहक।
तीन चीजें जीवन में
एक बार मिलती है -
मां, बांप, और
जवानी।
तीन चीजें पर्दे
योग्य है - धन,
स्त्री और भोजन।
तीन चीजों से
सदा सावधान
रहिए - बुरी संगत,
परस्त्री और
निन्दा।
तीन चीजों में मन
लगाने से
उन्नति होती है -
ईश्वर, परिश्रम और
विद्या।
तीन चीजों को कभी
छोटी ना समझे -
बीमारी, कर्जा,
शत्रु।
तीनों चीजों को
हमेशा वश में रखो -
मन, काम और लोभ।
तीन चीजें निकलने
पर वापिस
नहीं आती - तीर
कमान से, बात जुबान
से और प्राण शरीर
से।
तीन चीजें कमज़ोर
बना देती है -
बदचलनी, क्रोध और
लालच।
तीन चीज़े असल
उद्धेश्य से रोकता हैं
- बदचलनी, क्रोध
और लालच।
तीन चीज़ें कोई
चुरा नहीं सकता -
अकल, चरित्र, हुनर।
तीन व्यक्ति वक़्त
पर पहचाने जाते हैं -
स्त्री, भाई, दोस्त।
तीनों व्यक्ति का
सम्मान करो -
माता, पिता और
गुरु।
तीनों व्यक्ति पर
सदा दया करो -
बालक, भूखे और
पागल।
तीन चीज़े
कभी नहीं भूलनी
चाहिए - कर्ज़, मर्ज़
और फर्ज़।
तीन बातें कभी मत
भूलें - उपकार, उपदेश
और उदारता।
तीन चीज़े याद
रखना ज़रुरी हैं -
सच्चाई, कर्तव्य और
मृत्यु।
तीन बातें चरित्र
को गिरा देती हैं -
चोरी, निंदा और
झूठ।
तीन चीज़ें
हमेशा दिल में
रखनी चाहिए -
नम्रता, दया और
माफ़ी।
तीन चीज़ों पर
कब्ज़ा करो - ज़बान,
आदत और गुस्सा।
तीन चीज़ों से दूर
भागो - आलस्य,
खुशामद और बकवास।
तीन चीज़ों के लिए
मर मिटो - धेर्य, देश
और मित्र।
तीन चीज़ें इंसान
की अपनी होती हैं -
रूप, भाग्य और
स्वभाव।
तीन चीजों पर
अभिमान मत करो –
ताकत, सुन्दरता,
यौवन।
तीन चीजें अगर
चली गयी तो कभी व
ापस नही आती -
समय, शब्द और
अवसर।
तीन चीजें इन्सान
कभी नही खो सकता
- शान्ति, आशा और
ईमानदारी।
तीन चीजें जो सबसे
अमूल्य है - प्यार,
आत्मविश्वास और
सच्चा मित्र।
तीन चीजे
जो कभी निश्चित
नही होती - सपनें,
सफलता और भाग्य।
तीन चीजें, जो जीवन
को संवारती है -
कड़ी मेहनत,
निष्ठा और त्याग।
तीन चीजें
किसी भी इन्सान
को बरबाद कर
सकती है - शराब,
घमन्ड और क्रोध।
तीन चीजों से बचने
की कोशिश
करनी चाहिये –
बुरी संगत, स्वार्थ
और निन्दा।
कोई भी कार्य करने
से पहले – सोचो,
समझो, फिर करो।
- प्रतिज्ञा करके,
क़र्ज़ लेकर और
विश्वास देकर। -
महावीर
तीन बातें करो -
उत्तम के साथ संगीत,
विद्वान् के साथ
वार्तालाप और
सहृदय के साथ
मैत्री। - विनोबा
तीन अनमोल वचन -
धन गया तो कुछ
नहीं गया, स्वास्थ्य
गया तो कुछ गया और
चरित्र गया तो सब
गया। -
अंग्रेजी कहावत
तीन से घृणा न करो -
रोगी से, दुखी से और
निम्न जाती से। -
मुहम्मद साहब
तीन के आंसू पवित्र
होते हैं - प्रेम के,
करुना के और
सहानुभूति के। - बुद्ध
तीन बातें
सुखी जीवन के लिए-
अतीत की चिंता मत
करो, भविष्य
का विश्वास न
करो और वर्तमान
को व्यर्थ मत जाने
दो।
तीन चीजें
किसी का इन्तजार
नहीं करती - समय,
मौत, ग्राहक।
तीन चीजें जीवन में
एक बार मिलती है -
मां, बांप, और
जवानी।
तीन चीजें पर्दे
योग्य है - धन,
स्त्री और भोजन।
तीन चीजों से
सदा सावधान
रहिए - बुरी संगत,
परस्त्री और
निन्दा।
तीन चीजों में मन
लगाने से
उन्नति होती है -
ईश्वर, परिश्रम और
विद्या।
तीन चीजों को कभी
छोटी ना समझे -
बीमारी, कर्जा,
शत्रु।
तीनों चीजों को
हमेशा वश में रखो -
मन, काम और लोभ।
तीन चीजें निकलने
पर वापिस
नहीं आती - तीर
कमान से, बात जुबान
से और प्राण शरीर
से।
तीन चीजें कमज़ोर
बना देती है -
बदचलनी, क्रोध और
लालच।
तीन चीज़े असल
उद्धेश्य से रोकता हैं
- बदचलनी, क्रोध
और लालच।
तीन चीज़ें कोई
चुरा नहीं सकता -
अकल, चरित्र, हुनर।
तीन व्यक्ति वक़्त
पर पहचाने जाते हैं -
स्त्री, भाई, दोस्त।
तीनों व्यक्ति का
सम्मान करो -
माता, पिता और
गुरु।
तीनों व्यक्ति पर
सदा दया करो -
बालक, भूखे और
पागल।
तीन चीज़े
कभी नहीं भूलनी
चाहिए - कर्ज़, मर्ज़
और फर्ज़।
तीन बातें कभी मत
भूलें - उपकार, उपदेश
और उदारता।
तीन चीज़े याद
रखना ज़रुरी हैं -
सच्चाई, कर्तव्य और
मृत्यु।
तीन बातें चरित्र
को गिरा देती हैं -
चोरी, निंदा और
झूठ।
तीन चीज़ें
हमेशा दिल में
रखनी चाहिए -
नम्रता, दया और
माफ़ी।
तीन चीज़ों पर
कब्ज़ा करो - ज़बान,
आदत और गुस्सा।
तीन चीज़ों से दूर
भागो - आलस्य,
खुशामद और बकवास।
तीन चीज़ों के लिए
मर मिटो - धेर्य, देश
और मित्र।
तीन चीज़ें इंसान
की अपनी होती हैं -
रूप, भाग्य और
स्वभाव।
तीन चीजों पर
अभिमान मत करो –
ताकत, सुन्दरता,
यौवन।
तीन चीजें अगर
चली गयी तो कभी व
ापस नही आती -
समय, शब्द और
अवसर।
तीन चीजें इन्सान
कभी नही खो सकता
- शान्ति, आशा और
ईमानदारी।
तीन चीजें जो सबसे
अमूल्य है - प्यार,
आत्मविश्वास और
सच्चा मित्र।
तीन चीजे
जो कभी निश्चित
नही होती - सपनें,
सफलता और भाग्य।
तीन चीजें, जो जीवन
को संवारती है -
कड़ी मेहनत,
निष्ठा और त्याग।
तीन चीजें
किसी भी इन्सान
को बरबाद कर
सकती है - शराब,
घमन्ड और क्रोध।
तीन चीजों से बचने
की कोशिश
करनी चाहिये –
बुरी संगत, स्वार्थ
और निन्दा।
कोई भी कार्य करने
से पहले – सोचो,
समझो, फिर करो।
08/06/2012
GAJAB KI BAT
जब लोग किसी को पसंद
करते हैं,
तो उसकी बुराईयाँ भूल
जाते हैं;
और जब किसी से नफरत
करते हैं,
तो उसकी अच्छाईयां भूल
जाते हैं!
जब छोटे थे तब बड़े होने
की बड़ी चाहत थी!
पर अब पता चला कि:
अधूरे एहसास और टूटे
सपनों से;
अधूरे होमवर्क और टूटे
खिलौने अच्छे थे!
जिन्दगी में
कभी समझौता करना पड़े
तो कभी हिचकिचाहट मत
रखो;
झुकता वही है जिसमें जान
होती है, अकड़
ही तो मुर्दे की पहचान
होती है!
अगर किसी को कुछ देना है
तो उसे अच्छा वक्त दो!
क्योंकि आप हर चीज़
वापिस ले सकते हो;
मगर किसी को दिया हुआ
अच्छा वक्त वापिस
नही ले सकते!
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
मन हमेशा पतन पाप
की और जाता है, जल
हमेशा ढाल की ओर
बहता है!
जल ओर मन का स्वभाव एक
ही, जल यंत्र से ऊपर
उठता है और मन मन्त्र से
ऊपर उठता है!
दुनियां में सबसे तेज
रफ़्तार प्रार्थना की है,
क्योंकि दिल से जुबान तक
पहुँचने से पहले ये भगवान
तक पहुँच जाती है!
कागज अपनी किस्मत से
उड़ता है;
लेकिन पतंग
अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे
या न दे;
काबिलियत जरुर साथ
देती है!
इंसान मकान बदलता है,
वस्त्र बदलता है, सम्बन्ध
बदलता है, फिर
भी दु:खी रहता है
क्योंकि, वह
अपना स्वभाव
नही बदलता!
दो अक्षर का होता है
लक, ढाई अक्षर
का होता है भाग्य, तीन
अक्षर का होता है नसीब,
साढ़े तीन अक्षर
का होता है किस्मत, पर
ये चारों के चारों चार
अक्षर के मेहनत से छोटे
होते हैं!
करते हैं,
तो उसकी बुराईयाँ भूल
जाते हैं;
और जब किसी से नफरत
करते हैं,
तो उसकी अच्छाईयां भूल
जाते हैं!
जब छोटे थे तब बड़े होने
की बड़ी चाहत थी!
पर अब पता चला कि:
अधूरे एहसास और टूटे
सपनों से;
अधूरे होमवर्क और टूटे
खिलौने अच्छे थे!
जिन्दगी में
कभी समझौता करना पड़े
तो कभी हिचकिचाहट मत
रखो;
झुकता वही है जिसमें जान
होती है, अकड़
ही तो मुर्दे की पहचान
होती है!
अगर किसी को कुछ देना है
तो उसे अच्छा वक्त दो!
क्योंकि आप हर चीज़
वापिस ले सकते हो;
मगर किसी को दिया हुआ
अच्छा वक्त वापिस
नही ले सकते!
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
मन हमेशा पतन पाप
की और जाता है, जल
हमेशा ढाल की ओर
बहता है!
जल ओर मन का स्वभाव एक
ही, जल यंत्र से ऊपर
उठता है और मन मन्त्र से
ऊपर उठता है!
दुनियां में सबसे तेज
रफ़्तार प्रार्थना की है,
क्योंकि दिल से जुबान तक
पहुँचने से पहले ये भगवान
तक पहुँच जाती है!
कागज अपनी किस्मत से
उड़ता है;
लेकिन पतंग
अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे
या न दे;
काबिलियत जरुर साथ
देती है!
इंसान मकान बदलता है,
वस्त्र बदलता है, सम्बन्ध
बदलता है, फिर
भी दु:खी रहता है
क्योंकि, वह
अपना स्वभाव
नही बदलता!
दो अक्षर का होता है
लक, ढाई अक्षर
का होता है भाग्य, तीन
अक्षर का होता है नसीब,
साढ़े तीन अक्षर
का होता है किस्मत, पर
ये चारों के चारों चार
अक्षर के मेहनत से छोटे
होते हैं!
07/06/2012
KAVITA-
फुल बिछे हो या काँटे ,
राह न अपनी छोडो तुम!
टूट पडे दुख का पहाड ,
फिर भी राह से मुँह न मोडो तुम!
साथ रहे या ना रहे अपना कोई,
हिम्मत मगर ना छोडो तुम!
कभी किसी से कुछ ना मांगो ,
काबिल बनो ..यूँ ना हाथ जोडो तुम! हिम्मत बाँधे काम करो,
पहुँचोगे एक दिन मंजिल पे तुम!
जब तक हे दम आगे बढो ,
हारने से पहले हार ना मानो तुम- हार ना मानो तुम....
राह न अपनी छोडो तुम!
टूट पडे दुख का पहाड ,
फिर भी राह से मुँह न मोडो तुम!
साथ रहे या ना रहे अपना कोई,
हिम्मत मगर ना छोडो तुम!
कभी किसी से कुछ ना मांगो ,
काबिल बनो ..यूँ ना हाथ जोडो तुम! हिम्मत बाँधे काम करो,
पहुँचोगे एक दिन मंजिल पे तुम!
जब तक हे दम आगे बढो ,
हारने से पहले हार ना मानो तुम- हार ना मानो तुम....
06/06/2012
VICHAR
जितने दिन जिन्दा हो,
उसे गनीमत समझो और
इससे पहले की लोग तुम्हे
मुर्दा कहें नेकी कर जाओ
पुण्य कमा लो
उसे गनीमत समझो और
इससे पहले की लोग तुम्हे
मुर्दा कहें नेकी कर जाओ
पुण्य कमा लो
good line
..
Teri Qismat Ka Likha
Tujhse Koi Le Nahi Sakta,
Agar,
Uski Rehmat Ho To
Tujhe Wo Bhi Mil Jayega
Jo Tera Ho Nahi Sakta.!!
Teri Qismat Ka Likha
Tujhse Koi Le Nahi Sakta,
Agar,
Uski Rehmat Ho To
Tujhe Wo Bhi Mil Jayega
Jo Tera Ho Nahi Sakta.!!
BEST THINK
कहावत
इस दुनियाँ मेँ चार तरह के लोग होते हैं
मख्खिचूस - जो ना खुद
खाएं ओर ना दूसरों को खाने दें
कंजूस - जो खुद तो खाएं पर
दूसरों को ना दें
उदार - जो खुद भी खाएं
और दूसरों को भी दें
दाता - जो खुद ना खाएं
पर दूसरों को जरुर दें
सब लोग
दाता नहीं होते हैँ ,तो कम से कम
उदार तो बन ही सकते हैं!
इस दुनियाँ मेँ चार तरह के लोग होते हैं
मख्खिचूस - जो ना खुद
खाएं ओर ना दूसरों को खाने दें
कंजूस - जो खुद तो खाएं पर
दूसरों को ना दें
उदार - जो खुद भी खाएं
और दूसरों को भी दें
दाता - जो खुद ना खाएं
पर दूसरों को जरुर दें
सब लोग
दाता नहीं होते हैँ ,तो कम से कम
उदार तो बन ही सकते हैं!
BEST MSG
My,,,life,,,,
Kabhi apni hansi par bhi aata hai gussa.
Kabhi saare jahan ko hasane ko jee chahta hai.
Kabhi chhupa leta hai gamo ko kisi kone me ye dil.
Kabhi kisi ko sab kuch sunane ko jee chahta hai.
Kabhi rota nahi mann kisi kimat par bhi.
Kabhi yu hi aansu bahane ko jee chahta hai.
Kabhi achha lagta hai aazad udna.
Kabhi kisi bandhan me bandh jaane ko jee chahta hai.
Kabhi lagte hai apne baigane se.
Kabhi baigano ko apna banane ko jee chahta hai.
Kabhi upar wale ka naam nahi aata zuban par.
Kabhi uske paas jane ko jee
chahta hai...
Kabhi apni hansi par bhi aata hai gussa.
Kabhi saare jahan ko hasane ko jee chahta hai.
Kabhi chhupa leta hai gamo ko kisi kone me ye dil.
Kabhi kisi ko sab kuch sunane ko jee chahta hai.
Kabhi rota nahi mann kisi kimat par bhi.
Kabhi yu hi aansu bahane ko jee chahta hai.
Kabhi achha lagta hai aazad udna.
Kabhi kisi bandhan me bandh jaane ko jee chahta hai.
Kabhi lagte hai apne baigane se.
Kabhi baigano ko apna banane ko jee chahta hai.
Kabhi upar wale ka naam nahi aata zuban par.
Kabhi uske paas jane ko jee
chahta hai...
04/06/2012
AATM VISVAS ki Sakti
कैटलिना द्वीप
कैलिफोर्निया के
समुद्री किनारे से इक्कीस
मील दूर है, और कई
लोगों ने इस दूरी को तैर
कर पार करने
की चुनौती ली .
४ जुलाई
१९५२ को फ्लोरेंस चैडविक
कालोफोर्निया तक तैरने
के लिए कैटलिना द्वीप के
पानी में उतरी.
उसने अच्छी शुरुआत की और
सबकुछ
सही हो रहा था कि
अचानक धुंध छाने लगी और
मौसम ठंढा होने लगा. पैर
भी वो लगी रही और
संघर्ष करती रही, लेकिन
१5 घंटे बाद, वो एकदम
शिथिल और ठंडी पडने
लागित ही, उसने खुद
को पानी से बाहर
निकालने को कहा.
जब वो सामान्य हुई,
तो उसे
बताया गया कि जब उसे
पानी से
निकाला गया तो वह
कैलिफोर्निया के किनारे
से मात्र आधा मील दूर
थी. उसने कहा कि वो ये
कर सकती थी, अगर कोहरे
ने उसकी दृष्टि कमजोर
ना कर दी होती तो और
वो असफल होने पर रोई ये देख
पति कहाँ टूटना नही
मंजिल दूर नही है. उसने
वादा किया कि यह
आखिरी बार है जब उसने
हिम्मत हारी है.अब
वो वापस अपने कठिन
अभ्यास के लिए गयी. और
दो महीने बाद उसने
वो दूरी पार कर ली.
उसने यह कर दिखाया.इस
बार ओर अधिक धुंध थी और ठंढ
पड़ रही थी, और
उसकी नज़र
धुंधली पड़ी भी थी, लेकिन इस
बार वह दृढ आत्मविश्वास
के साथ और
अपनी मानसिक दृष्टि के
साथ तैर रही थी. उसे
पता था कि कोहरे के उस
तरफ कही पर जमीं हैओर उसे वहाँ जाना है वह
सफल हुई और
पहली महिला बनी जिसने
उस दूरी को तैरकर पार
किया हो. यहाँ तक
कि उसने
पुरुषों का कीर्तिमान
भी दो घंटे से पीछे छोड़
दिया.
नैतिक पहलू: जब आप
अपना लक्ष्य निर्धारित
करते हैं, तो तब भी उसके
लिए तब भी प्रयासरत
रहिये जब आप मानसिक
या शारीरिक रूप से थके
हों और सामने कई
चुनौतियाँ हों. अपने
लक्ष्य को एकदम कांच
कि तरह स्पष्ट रखिये और
कभी भी बीच में ना हिम्मत
हरिये! अपनी मंजिल पर
नज़र रखिये, दृढ
प्रतिज्ञा बने रहिये और
आप निश्चित रूप से
अपनी मंजिल को पा लेंग
कैलिफोर्निया के
समुद्री किनारे से इक्कीस
मील दूर है, और कई
लोगों ने इस दूरी को तैर
कर पार करने
की चुनौती ली .
४ जुलाई
१९५२ को फ्लोरेंस चैडविक
कालोफोर्निया तक तैरने
के लिए कैटलिना द्वीप के
पानी में उतरी.
उसने अच्छी शुरुआत की और
सबकुछ
सही हो रहा था कि
अचानक धुंध छाने लगी और
मौसम ठंढा होने लगा. पैर
भी वो लगी रही और
संघर्ष करती रही, लेकिन
१5 घंटे बाद, वो एकदम
शिथिल और ठंडी पडने
लागित ही, उसने खुद
को पानी से बाहर
निकालने को कहा.
जब वो सामान्य हुई,
तो उसे
बताया गया कि जब उसे
पानी से
निकाला गया तो वह
कैलिफोर्निया के किनारे
से मात्र आधा मील दूर
थी. उसने कहा कि वो ये
कर सकती थी, अगर कोहरे
ने उसकी दृष्टि कमजोर
ना कर दी होती तो और
वो असफल होने पर रोई ये देख
पति कहाँ टूटना नही
मंजिल दूर नही है. उसने
वादा किया कि यह
आखिरी बार है जब उसने
हिम्मत हारी है.अब
वो वापस अपने कठिन
अभ्यास के लिए गयी. और
दो महीने बाद उसने
वो दूरी पार कर ली.
उसने यह कर दिखाया.इस
बार ओर अधिक धुंध थी और ठंढ
पड़ रही थी, और
उसकी नज़र
धुंधली पड़ी भी थी, लेकिन इस
बार वह दृढ आत्मविश्वास
के साथ और
अपनी मानसिक दृष्टि के
साथ तैर रही थी. उसे
पता था कि कोहरे के उस
तरफ कही पर जमीं हैओर उसे वहाँ जाना है वह
सफल हुई और
पहली महिला बनी जिसने
उस दूरी को तैरकर पार
किया हो. यहाँ तक
कि उसने
पुरुषों का कीर्तिमान
भी दो घंटे से पीछे छोड़
दिया.
नैतिक पहलू: जब आप
अपना लक्ष्य निर्धारित
करते हैं, तो तब भी उसके
लिए तब भी प्रयासरत
रहिये जब आप मानसिक
या शारीरिक रूप से थके
हों और सामने कई
चुनौतियाँ हों. अपने
लक्ष्य को एकदम कांच
कि तरह स्पष्ट रखिये और
कभी भी बीच में ना हिम्मत
हरिये! अपनी मंजिल पर
नज़र रखिये, दृढ
प्रतिज्ञा बने रहिये और
आप निश्चित रूप से
अपनी मंजिल को पा लेंग
visvas me safalta
आत्मविश्वास
ही सफलता की प्रथम सीढी है ।
यह इस आधार पर कहा जा सकता है
कि जिस व्यक्ति का आत्मविश्वास
कमजोर होता है वह अपने जीवन में
कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर
पाता । सफलता एवं उन्नती के
शिखर पर केवल वहीं पहुँच सकता है
जिसका मनोबल , आत्मविश्वास
सुदृढ़ होगा। आत्मविश्वास का जन्म
मन में होता है । मनुष्य का मन
समस्त इन्द्रियों का स्वामी और
गतिविधियों का केन्द्र
माना जाता है । मन के संकेत पर
ही एवं उसकी प्रेरणा से ही शरीर
का संचालन सुचारु रुप से होता है ।
यदि मन न होता तो मनुष्य शरीर
अपने आप में बड़ा लाचार होता ,
क्योकि मनुष्य का मन जो कहता है
वह वही करता है किन्तु मनुष्य
की कुछ सीमाएं भी हैं उन्हें वह पार
नहीं कर सकता । मनुष्य का शरीर
आग में जल जाता है , पानी में गल
जाता है ,वायु-धूप में वह सूख
जाता है , शीत धाम
वर्षा सभी इसे विचलित कर
देती हैं । यह तन थक जाता है , टूट
जाता है और हिम्मत हार बैठता है
। इस बेचारे शरीर से मनुष्य वह सब
कुछ नहीं कर सकता था जो आज उसने
कर दिखाया है मात्र शरीर से यह
सब संभव नही हो सकता उसके लिए
उसे अपने आप
को आत्मविश्वासी बनाना होगा तभी वह
अपने आप को ऊँचाइयों के शिखर पर
पहुँचा सकता है।
आज वैज्ञानिक,सास्कृतिक और
कलात्मक उपलब्धियाँ मनुष्य के
शरीर के कारण नहीं अपितु उसके
आत्मविश्वास के कारण ही प्राप्त
हो सकी हैं । आत्मविश्वास वह है
जिसे न तो कोई तोड़ सकता है , न
उसे हिला सकता है यदि वह
आत्मविश्वास द्रढ़ है तो । मनुष्य
का मन भी उस की सफलता में
कहीं न कहीं भागीदार अवश्य
होता है क्योंकि मन के अंदर
ही किसी कार्य को करने
की इच्छा का जन्म होता है । मन
शरीर का एक ऐसा यंत्र है जिससे
शरीर का संचालन सुचारु रुप से
होता है। इस लिए हम कह सकते हैं
कि जो व्यक्ति अपने मन से हार
मान बैठता है उसे संसार
की को भी ताकत
नहीं जिता सकती और
जो व्यक्ति अपने मन से
नही हारा है उसे संसार की कोई
भी ताकत हरा नहीं सकती ।
जो व्यक्ति अपने मन मे दृढ संकल्प के
साथ कार्य आरंभ करता है वह
कभी भी जीवन में हारता नहीं ।
मन न हारने का अर्थ है हिम्मत न
हारना , अपना हौसला बनाए
रखना । जब तक मनुष्य में यह
हौसला बना रहता है वह शांत
नहीं बैठता वह कोई न कोई नए
कार्य को करने में निरंतर
लगा ही रहता है । जिस
व्यक्ति का आत्मविश्वास दृढ है वह
बार-बार असफल होकर
भी सफलता की राह पर
सदा गतिशील रहता है ।
सफलता भी उसी के कदम चूमती है
जो अपने आप को सफलता पर ले
जाना चाहता है । जीवन एक
संघर्ष है और जो इस संघर्ष में सफल
होता है वही सही अर्थों में मनुष्य
है और जो इस संघर्ष से घबराकर
विचलित हो जाते हैं उनका जीवन
व्यर्थ है । जीना है तो सदैव
आत्मविश्वास के साथ ।
आत्मविश्वासी व्यक्ति तो
पहाड़ों को भी काटकर
नदियाँ बना सकता है, बस
जरुरता है दृढ़ संकल्प की । जीवन
एक संघर्ष है इसके लिए अंग्रेजी में
एक कहावत है कि -
"किसी भी लड़ाई में तब तक हार
नहीं माननी चाहिए जब तक
कि जीत न ली जाए।" वास्तव में
कोई भी संघर्ष या लड़ाई मनुष्य
अपने आत्मबल ( आत्मविश्वास ) के
भरोसे पर ही जीत सकता है।
मनुष्य शरीर तो एक साधन मात्र
रहता है।
हमें इतिहास में अनेक ऐसे
व्यक्तियो के उदाहरण मिल जाएंगे
जिन्होंने अपने आत्मबल के भरोसे से
दुनिया को झुका दिया असंभव
को भी संभव कर दिखाया । हमें
हमारे इतिहास में अनेक
व्यक्तियों के जीवन चरित्र पढ़ने
को मिलते हैं जो आजीवन
कठिनाइयाँ झेलते रहे किन्तु अन्त में
सफल हुए। आज उन
व्यक्तियों को असाधारण
महापुरुषों की श्रेणी में रखते हैं ।
इसका क्या कारण है?
इसका कारण यही है कि इन
लोगों ने विषम परिस्थितियों के
आगे अपने घुटने नहीं टेके और
उसका डटकर मुकाबला किया और
उन विषम परिस्थितियों पर
विजय प्राप्त की इसी कारण आज
हम उन्हें असाधारण मनुष्य मानते हैं
। जैसा कि हम उदाहरण
राष्ट्रपिता महात्मागाँधी जी का ले
सकते हैं जिन्होने अपने जीवन में
अपने आत्मविश्वास के बल पर
ब्रिटिश साम्राज्य की नीव
हिला कर रख दी थी । ब्रिटिश
सरकार उन्हें तोड़ न सकी क्यों ?
क्योंकि उनका आत्मविश्वास सुदृढ़
था । यदि उनका मनोबल कमजोर
पड़ जाता तो शायद आज हम
आजादी की हवा में सांस न ले रहे
होते बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य के
शासकों के अत्याचारों का शिकार
हो रहे होते । इस लिए हम कह
सकते हैं कि जिस
व्यक्ति का आत्मविश्वास दृढ़
होता है उसे बड़ी से
बड़ी बाधा भी नही हरा सकती ।
यह बात जरूर है
कि जो व्यक्ति सच्चाई की राह
पर चलता है उसे
कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
किन्तु सफलता भी उसी व्यक्ति के
कदम चूमती है जो सच्चाई और
आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य
की प्राप्ति का प्रयास करता है
।
दूसरा उदाहरण हम
स्वामी विवेकानंद का ले सकते हैं
जिन्होंने अपनी विदेश यात्रा के
दौरान जब अमेरिका में भाषणों के
दौरान उन्हें भाषण देने
की अनुमति न मिलने पर वे निराश
नहीं हुए ,बल्कि उन्होंने किसी न
किसी तरह भाषण देने
की अनुमति प्राप्त कर ही ली
उन्होंने अपना आत्मविश्वास
नहीं खोया उन्हें केवल कुछ समय
की ही अनुमति मिली थी किन्तु
जैसे ही उन्होंने अपना भाषण आरंभ
किया वहाँ पर बैठे सभी लोग उनके
भाषण सुनकर मंत्र मुग्ध हो गए और
उन्होंने पाँच मिनट के स्थान पर
बीस मिनट का भाषण दिया और
अपने देश का नाम उज्ज्वल किया ।
यह सब कार्य उन्होंने अपने
आत्मविश्वास के बल पर
ही किया । उन्होंने
आशा का दामन नहीं छोड़ा और आज
एक महान पुरुष के रुप में याद किए
जाते हैं । जो व्यक्ति आत्मविश्वास
के साथ अपना कार्य करता उसे
सफलता अवश्य मिलती ह
ही सफलता की प्रथम सीढी है ।
यह इस आधार पर कहा जा सकता है
कि जिस व्यक्ति का आत्मविश्वास
कमजोर होता है वह अपने जीवन में
कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर
पाता । सफलता एवं उन्नती के
शिखर पर केवल वहीं पहुँच सकता है
जिसका मनोबल , आत्मविश्वास
सुदृढ़ होगा। आत्मविश्वास का जन्म
मन में होता है । मनुष्य का मन
समस्त इन्द्रियों का स्वामी और
गतिविधियों का केन्द्र
माना जाता है । मन के संकेत पर
ही एवं उसकी प्रेरणा से ही शरीर
का संचालन सुचारु रुप से होता है ।
यदि मन न होता तो मनुष्य शरीर
अपने आप में बड़ा लाचार होता ,
क्योकि मनुष्य का मन जो कहता है
वह वही करता है किन्तु मनुष्य
की कुछ सीमाएं भी हैं उन्हें वह पार
नहीं कर सकता । मनुष्य का शरीर
आग में जल जाता है , पानी में गल
जाता है ,वायु-धूप में वह सूख
जाता है , शीत धाम
वर्षा सभी इसे विचलित कर
देती हैं । यह तन थक जाता है , टूट
जाता है और हिम्मत हार बैठता है
। इस बेचारे शरीर से मनुष्य वह सब
कुछ नहीं कर सकता था जो आज उसने
कर दिखाया है मात्र शरीर से यह
सब संभव नही हो सकता उसके लिए
उसे अपने आप
को आत्मविश्वासी बनाना होगा तभी वह
अपने आप को ऊँचाइयों के शिखर पर
पहुँचा सकता है।
आज वैज्ञानिक,सास्कृतिक और
कलात्मक उपलब्धियाँ मनुष्य के
शरीर के कारण नहीं अपितु उसके
आत्मविश्वास के कारण ही प्राप्त
हो सकी हैं । आत्मविश्वास वह है
जिसे न तो कोई तोड़ सकता है , न
उसे हिला सकता है यदि वह
आत्मविश्वास द्रढ़ है तो । मनुष्य
का मन भी उस की सफलता में
कहीं न कहीं भागीदार अवश्य
होता है क्योंकि मन के अंदर
ही किसी कार्य को करने
की इच्छा का जन्म होता है । मन
शरीर का एक ऐसा यंत्र है जिससे
शरीर का संचालन सुचारु रुप से
होता है। इस लिए हम कह सकते हैं
कि जो व्यक्ति अपने मन से हार
मान बैठता है उसे संसार
की को भी ताकत
नहीं जिता सकती और
जो व्यक्ति अपने मन से
नही हारा है उसे संसार की कोई
भी ताकत हरा नहीं सकती ।
जो व्यक्ति अपने मन मे दृढ संकल्प के
साथ कार्य आरंभ करता है वह
कभी भी जीवन में हारता नहीं ।
मन न हारने का अर्थ है हिम्मत न
हारना , अपना हौसला बनाए
रखना । जब तक मनुष्य में यह
हौसला बना रहता है वह शांत
नहीं बैठता वह कोई न कोई नए
कार्य को करने में निरंतर
लगा ही रहता है । जिस
व्यक्ति का आत्मविश्वास दृढ है वह
बार-बार असफल होकर
भी सफलता की राह पर
सदा गतिशील रहता है ।
सफलता भी उसी के कदम चूमती है
जो अपने आप को सफलता पर ले
जाना चाहता है । जीवन एक
संघर्ष है और जो इस संघर्ष में सफल
होता है वही सही अर्थों में मनुष्य
है और जो इस संघर्ष से घबराकर
विचलित हो जाते हैं उनका जीवन
व्यर्थ है । जीना है तो सदैव
आत्मविश्वास के साथ ।
आत्मविश्वासी व्यक्ति तो
पहाड़ों को भी काटकर
नदियाँ बना सकता है, बस
जरुरता है दृढ़ संकल्प की । जीवन
एक संघर्ष है इसके लिए अंग्रेजी में
एक कहावत है कि -
"किसी भी लड़ाई में तब तक हार
नहीं माननी चाहिए जब तक
कि जीत न ली जाए।" वास्तव में
कोई भी संघर्ष या लड़ाई मनुष्य
अपने आत्मबल ( आत्मविश्वास ) के
भरोसे पर ही जीत सकता है।
मनुष्य शरीर तो एक साधन मात्र
रहता है।
हमें इतिहास में अनेक ऐसे
व्यक्तियो के उदाहरण मिल जाएंगे
जिन्होंने अपने आत्मबल के भरोसे से
दुनिया को झुका दिया असंभव
को भी संभव कर दिखाया । हमें
हमारे इतिहास में अनेक
व्यक्तियों के जीवन चरित्र पढ़ने
को मिलते हैं जो आजीवन
कठिनाइयाँ झेलते रहे किन्तु अन्त में
सफल हुए। आज उन
व्यक्तियों को असाधारण
महापुरुषों की श्रेणी में रखते हैं ।
इसका क्या कारण है?
इसका कारण यही है कि इन
लोगों ने विषम परिस्थितियों के
आगे अपने घुटने नहीं टेके और
उसका डटकर मुकाबला किया और
उन विषम परिस्थितियों पर
विजय प्राप्त की इसी कारण आज
हम उन्हें असाधारण मनुष्य मानते हैं
। जैसा कि हम उदाहरण
राष्ट्रपिता महात्मागाँधी जी का ले
सकते हैं जिन्होने अपने जीवन में
अपने आत्मविश्वास के बल पर
ब्रिटिश साम्राज्य की नीव
हिला कर रख दी थी । ब्रिटिश
सरकार उन्हें तोड़ न सकी क्यों ?
क्योंकि उनका आत्मविश्वास सुदृढ़
था । यदि उनका मनोबल कमजोर
पड़ जाता तो शायद आज हम
आजादी की हवा में सांस न ले रहे
होते बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य के
शासकों के अत्याचारों का शिकार
हो रहे होते । इस लिए हम कह
सकते हैं कि जिस
व्यक्ति का आत्मविश्वास दृढ़
होता है उसे बड़ी से
बड़ी बाधा भी नही हरा सकती ।
यह बात जरूर है
कि जो व्यक्ति सच्चाई की राह
पर चलता है उसे
कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
किन्तु सफलता भी उसी व्यक्ति के
कदम चूमती है जो सच्चाई और
आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य
की प्राप्ति का प्रयास करता है
।
दूसरा उदाहरण हम
स्वामी विवेकानंद का ले सकते हैं
जिन्होंने अपनी विदेश यात्रा के
दौरान जब अमेरिका में भाषणों के
दौरान उन्हें भाषण देने
की अनुमति न मिलने पर वे निराश
नहीं हुए ,बल्कि उन्होंने किसी न
किसी तरह भाषण देने
की अनुमति प्राप्त कर ही ली
उन्होंने अपना आत्मविश्वास
नहीं खोया उन्हें केवल कुछ समय
की ही अनुमति मिली थी किन्तु
जैसे ही उन्होंने अपना भाषण आरंभ
किया वहाँ पर बैठे सभी लोग उनके
भाषण सुनकर मंत्र मुग्ध हो गए और
उन्होंने पाँच मिनट के स्थान पर
बीस मिनट का भाषण दिया और
अपने देश का नाम उज्ज्वल किया ।
यह सब कार्य उन्होंने अपने
आत्मविश्वास के बल पर
ही किया । उन्होंने
आशा का दामन नहीं छोड़ा और आज
एक महान पुरुष के रुप में याद किए
जाते हैं । जो व्यक्ति आत्मविश्वास
के साथ अपना कार्य करता उसे
सफलता अवश्य मिलती ह
Best sms
DEAR,
Zindagi sapno ki nhi haqiqat ki jiya kro
kyuki,
Sapno me sirf phul khila karte hai,
Wo phul apko kya zindgi denge,
Jo khud 2 din jiya karte hai.
Zindagi sapno ki nhi haqiqat ki jiya kro
kyuki,
Sapno me sirf phul khila karte hai,
Wo phul apko kya zindgi denge,
Jo khud 2 din jiya karte hai.
NICE THOUGHT
**
"Khushi "Ke Liye Kaam Karoge To Khushi Shyad Na Mile,
Lekin...
"Khush Hokar" agar Kaam Karoge To "Khushi"
Zarur Milegi*
"Khushi "Ke Liye Kaam Karoge To Khushi Shyad Na Mile,
Lekin...
"Khush Hokar" agar Kaam Karoge To "Khushi"
Zarur Milegi*
02/06/2012
MY HEART SAY-
..
Kaafi Arsa Beet Gaya,
Jane Ab Vo Kaisi Hogi..
.
Waqt Ki Saari Kadwi Baate,
Chup-Chup se Wo Sahti Hogi,
.
Ab Bhi Bhigi Barish Me Wo,
Bin Chatri ke Chalti Hogi,
.
Mujhse Bichde Arsa Ho Gaya,
Ab Wo Kis se Ladti Hogi..
.
Achha Tha
Jo Saath Me The hum,
Baad Me Usne Socha Hoga.
.
Apne Dil Ki Sari Baate,
Khud Hi Khud Se Karti Hogi.
Aakhe Nam Bhi Hoti Hogi
Yaad Wo Jab B Karti Hogi
Kafi Arsa Bit Gaya,
Jane Ab Wo Kaisi Hogi
Na jane wo kesi hogi..
Kaafi Arsa Beet Gaya,
Jane Ab Vo Kaisi Hogi..
.
Waqt Ki Saari Kadwi Baate,
Chup-Chup se Wo Sahti Hogi,
.
Ab Bhi Bhigi Barish Me Wo,
Bin Chatri ke Chalti Hogi,
.
Mujhse Bichde Arsa Ho Gaya,
Ab Wo Kis se Ladti Hogi..
.
Achha Tha
Jo Saath Me The hum,
Baad Me Usne Socha Hoga.
.
Apne Dil Ki Sari Baate,
Khud Hi Khud Se Karti Hogi.
Aakhe Nam Bhi Hoti Hogi
Yaad Wo Jab B Karti Hogi
Kafi Arsa Bit Gaya,
Jane Ab Wo Kaisi Hogi
Na jane wo kesi hogi..
BEAUTIFUL THINK
#
श्रृद्धा बहुत ऊची चीज है
विश्वास और
श्रृद्धा का मूल्यान्कन
करना सम्भव नही है जैसे
अप्रिय शब्दों से
अशांति और दुख
पैदा होता है, ऐसे
ही श्रृद्धा और विश्वास
से अशांति शांति में बदल
जाती है, निराशा आशा में
बदल जाती है, कोध
क्षमा में बदल जाता है,
मोह क्षमता में बदल
जाता है, लोभ संतोष में
बदल जाता है और काम
राम में बदल जाता है ।
श्रृद्धा एवं विश्वास के
बल से और कई रासायनिक
परिवतर्न होते है ।
श्रृद्धा के बल से शरीर
का तनाव शांत
हो जाता है, मन
संदेह रहित हो जाता है,
बुद्धि में दुगनी-
तिगुनी योग्यता आती है
और अज्ञान की परतें हट
जाती हैं ।
श्रध्दा ओर विश्वास से व्यक्ति विजेता बन सकता है !ईश्वर इन्ही चिजो मेँ निवास करता है!
श्रृद्धा बहुत ऊची चीज है
विश्वास और
श्रृद्धा का मूल्यान्कन
करना सम्भव नही है जैसे
अप्रिय शब्दों से
अशांति और दुख
पैदा होता है, ऐसे
ही श्रृद्धा और विश्वास
से अशांति शांति में बदल
जाती है, निराशा आशा में
बदल जाती है, कोध
क्षमा में बदल जाता है,
मोह क्षमता में बदल
जाता है, लोभ संतोष में
बदल जाता है और काम
राम में बदल जाता है ।
श्रृद्धा एवं विश्वास के
बल से और कई रासायनिक
परिवतर्न होते है ।
श्रृद्धा के बल से शरीर
का तनाव शांत
हो जाता है, मन
संदेह रहित हो जाता है,
बुद्धि में दुगनी-
तिगुनी योग्यता आती है
और अज्ञान की परतें हट
जाती हैं ।
श्रध्दा ओर विश्वास से व्यक्ति विजेता बन सकता है !ईश्वर इन्ही चिजो मेँ निवास करता है!
great story
(प्रेरक प्रसंग-
बहुत पुरानी बात है
कहीं एक गावं था, जहाँ के
अधिकाँश लोग येन केन
प्राकरेण धन कमाने में लगे
हुए थे | उन सब के लिए
पैसा ही भगवान था |
लेकिन उसी गावं में एक
ब्राह्मण
ऐसा भी था जिसने
कभी भी कोई बुरा काम
नही किया था, सत्य
की राह पर चलते हुए
जो भी मिलता उसी से
गुजारा करता था | गाँव
वाले कतई उसकी इज्ज़त
नहीं किया करते थे
क्योंकि वह
बेचारा निर्धन था | एक
दिन उस ब्राह्मण ने
पूजा पाठ करते हुए
भगवान
को उलाहना दिया,
"हे ईश्वर, इस पूरे गाँव में
एक मैं ही हूँ जो कि धर्म
और सत्य की राह पर चल
रहा हूँ, मगर फिर
भी पूरा गाँव तो खुशहाल
है और अकेला मैं
ही भूखा मर रहा हूँ |"
उसी समय
आकाशवाणी हुई :
"तुम्हारा पूरा गाँव पाप
में डूब चुका है और
सभी लोग केवल तुम्हारे
सत्य के वजह से ही बचे हुए
हैं | लेकिन अब समय आ
चुका है कि गाँव वाले तुम्हे
यहाँ रहने भी नहीं देंगे |
"अब मैं क्या करूँ भगवान ?"
चिंतित ब्राह्मण ने पूछा |
फिर से उसे सुनाई दिया:
"तुम अपना कर्म करो और
गाँव छोड़ कर चले जाओ |"
उसने कहा "नहीं प्रभु मैं ये
गाँव छोड़ कर
नहीं जाऊंगा |"
"जैसी तुम्हारी मर्जी |"
और आकाशवाणी बंद
हो गई |
वह ब्राह्मण
सीधा अपनी पत्नी के
पास गया और पूरी बात
उसको बता दी | दोनों ने
बिचार किया कि अगर
हमारी वजह से गाँव
बचा हुआ है तो हम हरगिज़
भी ये गाँव छोड़ कर
नहीं जायेंगे |
उसी गाँव में दो चोर
भी रहते थे थे जो अक्सर
उस ब्राह्मण के लिए
परेशानियां पैदा करते
रहते थे | उन चोरों ने
सोचा कि क्यों न इस
ब्राह्मण
को झूठी चोरी के आरोप में
फसाकर गाँव
निकाला करवा दिया
जाए | वो दोनों रात
को चोरी का सामान
ब्राह्मण के घर
छुपा दिया | अगले दिन
चोरी के आरोप में उस
ब्राह्मण को पकड़
लिया गया और मुखिया के
द्वारा गावं निकाले
का हुक्म
सुना दिया गया |
ब्राह्मण और
उसकी पत्नी गाँव
वालो की चिंता करते हुए
गाँव के बाहर निकल गए |
मगर गाँव जस का तस
रहा और गाँव का कुछ
भी नहीं बिगड़ा | तब
ब्राह्मण ने भगवान
को आवाज लगाई:
"हे प्रभु आप तो आप कह रहे
थे हमारे सत्य पर गावं
टिका हुआ हैं, तो अब भी येँ
गाँव वैसा ही
क्यों हैं ?"
तो उसी समय
आकाशवाणी हुई :
"हे विप्रवर, अब भी गाँव
तुम्हारे ही सत्य पर
टिका हुआ हैं,
क्योंकि अभी भी उस गावं
में तुम्हारा घर मौजूद हैं |"
वह ब्राह्मण
अपनी पत्नी सहित अपने
गाँव से दूर एक मंदिर में
रात बिताने के लिए रुक
गया | सुबह आँख
खुली तो मंदिर
का पुजारी आया और
बोला :भयंकर लहर मेँ
"कल आपका पूरा गाँव
गंगा जी के आगोश में
समां गया |
रात को गावं
वालों ने आपके घर को आग
लगा दी, जैसे ही घर जल
कर खाक हुआ ! किसी ने खुब कहा- सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही...
बहुत पुरानी बात है
कहीं एक गावं था, जहाँ के
अधिकाँश लोग येन केन
प्राकरेण धन कमाने में लगे
हुए थे | उन सब के लिए
पैसा ही भगवान था |
लेकिन उसी गावं में एक
ब्राह्मण
ऐसा भी था जिसने
कभी भी कोई बुरा काम
नही किया था, सत्य
की राह पर चलते हुए
जो भी मिलता उसी से
गुजारा करता था | गाँव
वाले कतई उसकी इज्ज़त
नहीं किया करते थे
क्योंकि वह
बेचारा निर्धन था | एक
दिन उस ब्राह्मण ने
पूजा पाठ करते हुए
भगवान
को उलाहना दिया,
"हे ईश्वर, इस पूरे गाँव में
एक मैं ही हूँ जो कि धर्म
और सत्य की राह पर चल
रहा हूँ, मगर फिर
भी पूरा गाँव तो खुशहाल
है और अकेला मैं
ही भूखा मर रहा हूँ |"
उसी समय
आकाशवाणी हुई :
"तुम्हारा पूरा गाँव पाप
में डूब चुका है और
सभी लोग केवल तुम्हारे
सत्य के वजह से ही बचे हुए
हैं | लेकिन अब समय आ
चुका है कि गाँव वाले तुम्हे
यहाँ रहने भी नहीं देंगे |
"अब मैं क्या करूँ भगवान ?"
चिंतित ब्राह्मण ने पूछा |
फिर से उसे सुनाई दिया:
"तुम अपना कर्म करो और
गाँव छोड़ कर चले जाओ |"
उसने कहा "नहीं प्रभु मैं ये
गाँव छोड़ कर
नहीं जाऊंगा |"
"जैसी तुम्हारी मर्जी |"
और आकाशवाणी बंद
हो गई |
वह ब्राह्मण
सीधा अपनी पत्नी के
पास गया और पूरी बात
उसको बता दी | दोनों ने
बिचार किया कि अगर
हमारी वजह से गाँव
बचा हुआ है तो हम हरगिज़
भी ये गाँव छोड़ कर
नहीं जायेंगे |
उसी गाँव में दो चोर
भी रहते थे थे जो अक्सर
उस ब्राह्मण के लिए
परेशानियां पैदा करते
रहते थे | उन चोरों ने
सोचा कि क्यों न इस
ब्राह्मण
को झूठी चोरी के आरोप में
फसाकर गाँव
निकाला करवा दिया
जाए | वो दोनों रात
को चोरी का सामान
ब्राह्मण के घर
छुपा दिया | अगले दिन
चोरी के आरोप में उस
ब्राह्मण को पकड़
लिया गया और मुखिया के
द्वारा गावं निकाले
का हुक्म
सुना दिया गया |
ब्राह्मण और
उसकी पत्नी गाँव
वालो की चिंता करते हुए
गाँव के बाहर निकल गए |
मगर गाँव जस का तस
रहा और गाँव का कुछ
भी नहीं बिगड़ा | तब
ब्राह्मण ने भगवान
को आवाज लगाई:
"हे प्रभु आप तो आप कह रहे
थे हमारे सत्य पर गावं
टिका हुआ हैं, तो अब भी येँ
गाँव वैसा ही
क्यों हैं ?"
तो उसी समय
आकाशवाणी हुई :
"हे विप्रवर, अब भी गाँव
तुम्हारे ही सत्य पर
टिका हुआ हैं,
क्योंकि अभी भी उस गावं
में तुम्हारा घर मौजूद हैं |"
वह ब्राह्मण
अपनी पत्नी सहित अपने
गाँव से दूर एक मंदिर में
रात बिताने के लिए रुक
गया | सुबह आँख
खुली तो मंदिर
का पुजारी आया और
बोला :भयंकर लहर मेँ
"कल आपका पूरा गाँव
गंगा जी के आगोश में
समां गया |
रात को गावं
वालों ने आपके घर को आग
लगा दी, जैसे ही घर जल
कर खाक हुआ ! किसी ने खुब कहा- सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही...
KOI KHAS NAHI @
छू ही जाती है मेरे दिल
को
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
एक दोस्त है
कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक
पर्दा बस ,
एक बहाना है
अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक
ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
हवा का एक
सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक
तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें
झुका ले ,
कभी अपना तो कभी
बेगानों सा .
जिंदगी का एक
ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल
को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ
बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक
धुंधला चेहरा रह
जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ
गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू
बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में
है ,
पर इन
आँखों को उसकी तलाश
नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं!!!
खूबसूरत है वो लब जिन पर
दूसरों के लिए कोई दुआ आ
जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान
जो दूसरों की खुशी देख कर
खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दुख मे शामिल
हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात
जो दूसरो की भावनाओं
को समझ जाए,
खूबसूरत है वो एहसास
जिस मे प्यार की मिठास
हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे
शामिल हों दोस्ती और
प्यार की किस्से,
कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे
किसी के खूबसूरत ख्वाब
समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ
जो किसी के लिए मुश्किल
के वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच जिस मैं
किसी कि सारी ख़ुशी झुप
जाए,
खूबसूरत है वो दामन
जो दुनिया से किसी के
गमो को छुपा जाए,
खूबसूरत है वो किसी के
आँखों के आसूँ जो किसी के
ग़म मे बह जाए.........
खूबसूरत है वो लब जिन पर
दूसरों के लिए कोई दुआ आ
जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान
जो दूसरों की खुशी देख कर
खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दुख मे शामिल
हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात
जो दूसरो की भावनाओं
को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास
जिस मे प्यार की मिठास
हो जाए,
खूबसूरत है वो भावनाएँ जिनमे
शामिल हों दोस्ती का साथ ,सच्चे
प्यार की मिठास ....वो अपनापन ओर विश्वास!
को
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
एक दोस्त है
कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक
पर्दा बस ,
एक बहाना है
अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक
ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
हवा का एक
सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक
तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें
झुका ले ,
कभी अपना तो कभी
बेगानों सा .
जिंदगी का एक
ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल
को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ
बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक
धुंधला चेहरा रह
जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ
गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू
बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में
है ,
पर इन
आँखों को उसकी तलाश
नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास
नहीं!!!
खूबसूरत है वो लब जिन पर
दूसरों के लिए कोई दुआ आ
जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान
जो दूसरों की खुशी देख कर
खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दुख मे शामिल
हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात
जो दूसरो की भावनाओं
को समझ जाए,
खूबसूरत है वो एहसास
जिस मे प्यार की मिठास
हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे
शामिल हों दोस्ती और
प्यार की किस्से,
कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे
किसी के खूबसूरत ख्वाब
समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ
जो किसी के लिए मुश्किल
के वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच जिस मैं
किसी कि सारी ख़ुशी झुप
जाए,
खूबसूरत है वो दामन
जो दुनिया से किसी के
गमो को छुपा जाए,
खूबसूरत है वो किसी के
आँखों के आसूँ जो किसी के
ग़म मे बह जाए.........
खूबसूरत है वो लब जिन पर
दूसरों के लिए कोई दुआ आ
जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान
जो दूसरों की खुशी देख कर
खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दुख मे शामिल
हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात
जो दूसरो की भावनाओं
को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास
जिस मे प्यार की मिठास
हो जाए,
खूबसूरत है वो भावनाएँ जिनमे
शामिल हों दोस्ती का साथ ,सच्चे
प्यार की मिठास ....वो अपनापन ओर विश्वास!
best line
Life ka bahut bada suspanse ye hai ki,
Hum jante hai hum kiske liye ji rahe hai.
Lekin ye kabhi nahi jan pate ki hamare liye kon ji raha hai...
Hum jante hai hum kiske liye ji rahe hai.
Lekin ye kabhi nahi jan pate ki hamare liye kon ji raha hai...
01/06/2012
SAAHAS
निराशा से आप कभी कुछ हासिल नही कर सकते ओर न ही आज तक कोई कर सका है ! हताश न
होना सफलता का मूल है
और यही परम सुख है।
उत्साह मनुष्य
को कार्य करने के लिये प्रेरित
करता है और उत्साह
ही कर्म को सफल
बनता है। हर व्यक्ति में
प्रतिभा होती है।
दरअसल उस
प्रतिभा को निखारने के
लिए गहरे अंधेरे रास्ते में
जाने का साहस कम
लोगों में ही होता है। क्योकि अंधेरे मेँ ही प्रकाश चमकता है! यह
सच है कि पानी में
तैरनेवाले ही डूबते हैं,
किनारे पर खड़े रहने वाले
नहीं,
मगर ऐसे लोग
कभी तैरना भी नहीं सीख
पाते।
जिस काम को करने
में डर लगता है, उसको करने
का नाम ही साहस है ।
बिना निराश हुए
ही हार को सह
लेना इस पृथ्वी पर साहस
की सबसे बडी परीक्षा है
। संकट के समय ही नायक
बनाये जाते है। तो क्या आपमेँ है वो
धैर्य व साहस जो आपको नायक बना सके, क्योकि सफलता के
लिये कोई लिफ्ट
नही जाती इसलिये
सीढ़ीयों से
ही जाना पड़ेगा।
कष्ट और
विपत्ति मनुष्य
को शिक्षा देने वाले
श्रेष्ठ गुण हैं।
जो साहस के
साथ उनका सामना करते
हैं,
वे अवश्य विजयी होते हैं।
ऐसे
लोगों के लिए आकाश
ही सीमा है …
–SO BE FIGHTER SKY IS
THE LIMIT FOR YOU!!.........MKT
होना सफलता का मूल है
और यही परम सुख है।
उत्साह मनुष्य
को कार्य करने के लिये प्रेरित
करता है और उत्साह
ही कर्म को सफल
बनता है। हर व्यक्ति में
प्रतिभा होती है।
दरअसल उस
प्रतिभा को निखारने के
लिए गहरे अंधेरे रास्ते में
जाने का साहस कम
लोगों में ही होता है। क्योकि अंधेरे मेँ ही प्रकाश चमकता है! यह
सच है कि पानी में
तैरनेवाले ही डूबते हैं,
किनारे पर खड़े रहने वाले
नहीं,
मगर ऐसे लोग
कभी तैरना भी नहीं सीख
पाते।
जिस काम को करने
में डर लगता है, उसको करने
का नाम ही साहस है ।
बिना निराश हुए
ही हार को सह
लेना इस पृथ्वी पर साहस
की सबसे बडी परीक्षा है
। संकट के समय ही नायक
बनाये जाते है। तो क्या आपमेँ है वो
धैर्य व साहस जो आपको नायक बना सके, क्योकि सफलता के
लिये कोई लिफ्ट
नही जाती इसलिये
सीढ़ीयों से
ही जाना पड़ेगा।
कष्ट और
विपत्ति मनुष्य
को शिक्षा देने वाले
श्रेष्ठ गुण हैं।
जो साहस के
साथ उनका सामना करते
हैं,
वे अवश्य विजयी होते हैं।
ऐसे
लोगों के लिए आकाश
ही सीमा है …
–SO BE FIGHTER SKY IS
THE LIMIT FOR YOU!!.........MKT
27/05/2012
AATM-VISVAS
ईश्वर ओर अपने आप मेँ यकिन रखो ओर कर्म करते जाओँ,
आत्मविश्वास बढ़ाने
का तरीका यह है कि तुम
वह काम करो जिसे तुम
करते हुए डरते हो। इस
प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें
सफलता मिलती जाएगी
तुम्हारा आत्मविश्वास
बढ़ता जाएगा।जो मनुष्य
आत्मविश्वास से सुरक्षित
है वह उन चिंताओं और
आशंकाओं से मुक्त रहता है
जिनसे दूसरे आदमी दबे
रहते हैं।जिस प्रकार
दूसरों कि सेवा करना
सब
मनुष्य का कर्त्तव्य है,
उसी प्रकार अपने
आत्मसम्मान की हिफाजत
करना भी स्वयं का फर्ज है।
केवल इस शक्ति से वो पाया जा सकता है जो आपको कभी नामुमकिन सा लगता हो...
MKT
आत्मविश्वास बढ़ाने
का तरीका यह है कि तुम
वह काम करो जिसे तुम
करते हुए डरते हो। इस
प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें
सफलता मिलती जाएगी
तुम्हारा आत्मविश्वास
बढ़ता जाएगा।जो मनुष्य
आत्मविश्वास से सुरक्षित
है वह उन चिंताओं और
आशंकाओं से मुक्त रहता है
जिनसे दूसरे आदमी दबे
रहते हैं।जिस प्रकार
दूसरों कि सेवा करना
सब
मनुष्य का कर्त्तव्य है,
उसी प्रकार अपने
आत्मसम्मान की हिफाजत
करना भी स्वयं का फर्ज है।
केवल इस शक्ति से वो पाया जा सकता है जो आपको कभी नामुमकिन सा लगता हो...
MKT
26/05/2012
RAB RAZI
Insan Mayus isliye hota Hai Kyoki Wo PARMAATMA ko Razi Karne Ke Bajaye
Logo ko Razi Karne me lga Rahta Hai Wo
Ye BhuL Jata Hai Ke
Rab Razi To Sab Razi.
Logo ko Razi Karne me lga Rahta Hai Wo
Ye BhuL Jata Hai Ke
Rab Razi To Sab Razi.
25/05/2012
BOOK OF SUCCESS
सफलता का पथ दिखाने
वाली महत्वपूर्ण
पुस्तकें
जिन्होने मुझे प्रेरित किया
सफलता सम्बन्धि साहित्य
आज बाजार में बहुत आ
गये हैं। यह साहित्य
आपको को उस योग्य
बनाने में मदद करता हैं । मैं
स्वयं ऐसी साहित्यिक किताबे विगत
कुछ वर्षो से
खोजता रहा हूँ। इस क्रम
में जो प्रेरित
करने ,हिम्मत बढाने व
सक्षम बनाने
वाली व्यावहारिक
पुस्तके मुझे
मिली इनकी सूची दे
रहा हूँ।
'आपकी जीत'
"द सिक्रेट- रान्डाबर्न"
APJ Abdul Kalam :
Wings of Fire
Dale Carnegi : How to
Win Friends &
Influence People
:How to Stop Worry
and Start Living
Deepak Chopra : The
Seven Spiritual Laws
of Success
Kenneth Blanchard : The
One Minute Manager
and
Spencer Johnson
Napolean Hill : Think
and Grow Rich
Normen V. Peale : The
Power of Positive
Thinking
Stephen R. Covey : The
7 Habits of Highly
Effective People
Zig Ziglar : See You at
The Top
J. Krishnamurti : The
First And Last
Freedom
Osho : Meditation The
First And Last
Freedom
Joshpeh Murphy : The
Power of Your
Subconscious Mind
Raj Bapna : Mind Power
Study Technique
Mind Power Research
Institute, Mind
Chambers,
Win Wenger :
सफलता का पथ दिखाने
वाली महत्वपूर्ण
पुस्तकें
मुझे प्रेरित करने
वाली पुस्तकें
सफलता सम्बन्धि साहित्य
आज बाजार में बहुत आ
गया हैं। यह साहित्य
आपको को उस योग्य
बनाने में मदद करता हैं । मैं
स्वयं ऐसा साहित्य विगत
35 वर्षो से
खोजता रहा हूँ। इस क्रम
में जो प्रेरित
करने ,हिम्मत बढाने व
सक्षम बनाने
वाली व्यावहारिक
पुस्तके मुझे
मिली इनकी सूची दे
रहा हूँ।
APJ Abdul Kalam :
Wings of Fire
Dale Carnegi : How to
Win Friends &
Influence People
:How to Stop Worry
and Start Living
Deepak Chopra : The
Seven Spiritual Laws
of Success
Kenneth Blanchard : The
One Minute Manager
and
Spencer Johnson
Napolean Hill : Think
and Grow Rich
Normen V. Peale : The
Power of Positive
Thinking
Stephen R. Covey : The
7 Habits of Highly
Effective People
Zig Ziglar : See You at
The Top
J. Krishnamurti : The
First And Last
Freedom
कृष्णामूर्ति फाउण्डेशन
इण्डिया, राजघाट
फोर्ट, वाराणसी
Osho : Meditation The
First And Last
Freedom
रेबेल बुक ओशों कम्यून, पूणे
उपरोक्त पुस्तकांे के
हिन्दीअनुवाद उपलब्धहै।
Anthony Robbins :
Awaken the Giant
Within
:Unlimited Power
Simon & Schuster Inc.
1230 Avenue of the
Americas, New York.
Joshpeh Murphy : The
Power of Your
Subconscious Mind
Bantam Books, USA.
Raj Bapna : Mind Power
Study Technique
Mind Power Research
Institute, Mind
Chambers, Udaipur
Win Wenger : The
Einstein Factor
Prima Publishing,
California.
वाली महत्वपूर्ण
पुस्तकें
जिन्होने मुझे प्रेरित किया
सफलता सम्बन्धि साहित्य
आज बाजार में बहुत आ
गये हैं। यह साहित्य
आपको को उस योग्य
बनाने में मदद करता हैं । मैं
स्वयं ऐसी साहित्यिक किताबे विगत
कुछ वर्षो से
खोजता रहा हूँ। इस क्रम
में जो प्रेरित
करने ,हिम्मत बढाने व
सक्षम बनाने
वाली व्यावहारिक
पुस्तके मुझे
मिली इनकी सूची दे
रहा हूँ।
'आपकी जीत'
"द सिक्रेट- रान्डाबर्न"
APJ Abdul Kalam :
Wings of Fire
Dale Carnegi : How to
Win Friends &
Influence People
:How to Stop Worry
and Start Living
Deepak Chopra : The
Seven Spiritual Laws
of Success
Kenneth Blanchard : The
One Minute Manager
and
Spencer Johnson
Napolean Hill : Think
and Grow Rich
Normen V. Peale : The
Power of Positive
Thinking
Stephen R. Covey : The
7 Habits of Highly
Effective People
Zig Ziglar : See You at
The Top
J. Krishnamurti : The
First And Last
Freedom
Osho : Meditation The
First And Last
Freedom
Joshpeh Murphy : The
Power of Your
Subconscious Mind
Raj Bapna : Mind Power
Study Technique
Mind Power Research
Institute, Mind
Chambers,
Win Wenger :
सफलता का पथ दिखाने
वाली महत्वपूर्ण
पुस्तकें
मुझे प्रेरित करने
वाली पुस्तकें
सफलता सम्बन्धि साहित्य
आज बाजार में बहुत आ
गया हैं। यह साहित्य
आपको को उस योग्य
बनाने में मदद करता हैं । मैं
स्वयं ऐसा साहित्य विगत
35 वर्षो से
खोजता रहा हूँ। इस क्रम
में जो प्रेरित
करने ,हिम्मत बढाने व
सक्षम बनाने
वाली व्यावहारिक
पुस्तके मुझे
मिली इनकी सूची दे
रहा हूँ।
APJ Abdul Kalam :
Wings of Fire
Dale Carnegi : How to
Win Friends &
Influence People
:How to Stop Worry
and Start Living
Deepak Chopra : The
Seven Spiritual Laws
of Success
Kenneth Blanchard : The
One Minute Manager
and
Spencer Johnson
Napolean Hill : Think
and Grow Rich
Normen V. Peale : The
Power of Positive
Thinking
Stephen R. Covey : The
7 Habits of Highly
Effective People
Zig Ziglar : See You at
The Top
J. Krishnamurti : The
First And Last
Freedom
कृष्णामूर्ति फाउण्डेशन
इण्डिया, राजघाट
फोर्ट, वाराणसी
Osho : Meditation The
First And Last
Freedom
रेबेल बुक ओशों कम्यून, पूणे
उपरोक्त पुस्तकांे के
हिन्दीअनुवाद उपलब्धहै।
Anthony Robbins :
Awaken the Giant
Within
:Unlimited Power
Simon & Schuster Inc.
1230 Avenue of the
Americas, New York.
Joshpeh Murphy : The
Power of Your
Subconscious Mind
Bantam Books, USA.
Raj Bapna : Mind Power
Study Technique
Mind Power Research
Institute, Mind
Chambers, Udaipur
Win Wenger : The
Einstein Factor
Prima Publishing,
California.
23/05/2012
WORK OF GOD-
रेत अगर मुट्ठी से फिसलती है
तो उसका भी एक मकसद
होता है...
'ईश्वर' उस
मुट्ठी को इसलिए खाली कराता है
क्योंकि वो वहां आसमान
को उतारने के लिए जगह
बनाना चाहता है...
हर कोई
चाहता है कि... इक मुट्ठी आसमान हो... ओर दुसरी मुटठी मेँ तारे हो क्योकि आसमान सफलता है ओर तारे अपनी मंजिल!
पर ये सब कर्म , लगन ओर विश्वास से मिलता है MKT
तो उसका भी एक मकसद
होता है...
'ईश्वर' उस
मुट्ठी को इसलिए खाली कराता है
क्योंकि वो वहां आसमान
को उतारने के लिए जगह
बनाना चाहता है...
हर कोई
चाहता है कि... इक मुट्ठी आसमान हो... ओर दुसरी मुटठी मेँ तारे हो क्योकि आसमान सफलता है ओर तारे अपनी मंजिल!
पर ये सब कर्म , लगन ओर विश्वास से मिलता है MKT
GOD WITH ME-
मेरे जन्म के समय ही ईश्वर ने
कहा था कि वह हमेशा मेरे
साथ रहेगा और सच में वह
मेरे साथ चलता रहा ।
जिस राह पर मैं चल
रहा था , वह बहुत कठिन
था। राह पर
जहाँ तहाँ पत्थर पड़े थे,
काँटे बिछे थे और सिर पर
चिलचिलाती धूप थी,
छायादार
पेड़ों का कहीं भी नामोनिशान नहीं था। ऐसे
पथ पर ठोकर
तो लगना ही थी,
सो लगी
और मैं गिर पड़ा।
मुझे गिरा देखकर ईश्वर
आगे नहीं बढ़ा और न
ही उसने मुझे सहारा देकर
उठाने कि चिंता जताई।
मैं
ही अपने प्रयास से उठ
खड़ा हुआ।
मेरे उठने के बाद
वह फिर मेरे साथ चलने
लगा।
मैं इसी तरह कई
बार गिरा और हर बार
मुझे ही अपने बल पर
उठना पड़ा।
ईश्वर ने
कभी भी मेरी मदद
नहीं की।
मुझे भी इनसे कोई
शिकायत नहीं रही।
परन्तु
मेरी ओर ध्यान देकर
चलने वाला ईश्वर स्वयं एक
पत्थर से टकराकर गिर
पड़ा।
मैंने तुरंत आगे बढ़कर
उसे उठाया।
यह देख
ईश्वर ने मुझसे कहा,
'तुम्हारे गिरने पर मैंने
तो कभी भी आगे बढ़कर
तुम्हें नहीं उठाया। फिर
भी मेरे गिरने पर तुम आगे
बढे।
मैंने तो सोचा की तुम
इस समय मुझे छोड़कर अकेले
आगे चल पड़ोगे। तुमने
ऐसा क्यों नहीं किया?'
मैंने कहा,
'हे
ईश्वर, तुमने मेरी मदद
नहीं की वह
तुम्हारी इच्छा थी।
मैं
स्वयं उठ सकता था,
इसलिए हरबार
उठता गया। मेरे उठने पर
तुम पूर्ववत मेरे साथ चलने
लगे।
मेरे उठने तक तुम रुके
रहे,
यही मेरे लिए
क्या कम था।
ओर जहाँ तक
तुम्हें उठाने का प्रश्न है,
वह मैंने इसलिए
किया क्योंकि मुझे
तो तुम्हारा साथ हर पल चाहिए
था।
सच कहूँ तो जब तुम मेरे
साथ होते
हो तो
मेरी तुम्हारे
प्रति आस्था बनी रहती है
और उसी आस्था के बल ओर विश्वास पर
मैं गिरने पर स्वयं ही उठने
में सफल रहा हूँ। तुम्हारे
साथ के बिना तो मैं एक
कदम भी आगे नहीं रख
पाऊंगा और अगर रख
भी पाया तो मुझे संतोष
नहीं मिलेगा।
एक
बच्चा सामने
माँ को देखकर ही कदम आगे
रखकर चलना सीखता है।
परन्तु इसके लिए उसे
सारी शक्ति सामने
बैठी माँ से ही मिलती है।'
'पर'
बच्चे के
गिरने पर माँ तो तुरंत आगे
बढ़कर उसे उठती है। मैंने
तो ऐसा कभी नहीं किया,'
ईश्वर ने कहा।
मैंने कहा,
'यदि तुम ऐसा करते होते
तो तुममें और माँ में फर्क
ही क्या रह जाता फिर।
कहा था कि वह हमेशा मेरे
साथ रहेगा और सच में वह
मेरे साथ चलता रहा ।
जिस राह पर मैं चल
रहा था , वह बहुत कठिन
था। राह पर
जहाँ तहाँ पत्थर पड़े थे,
काँटे बिछे थे और सिर पर
चिलचिलाती धूप थी,
छायादार
पेड़ों का कहीं भी नामोनिशान नहीं था। ऐसे
पथ पर ठोकर
तो लगना ही थी,
सो लगी
और मैं गिर पड़ा।
मुझे गिरा देखकर ईश्वर
आगे नहीं बढ़ा और न
ही उसने मुझे सहारा देकर
उठाने कि चिंता जताई।
मैं
ही अपने प्रयास से उठ
खड़ा हुआ।
मेरे उठने के बाद
वह फिर मेरे साथ चलने
लगा।
मैं इसी तरह कई
बार गिरा और हर बार
मुझे ही अपने बल पर
उठना पड़ा।
ईश्वर ने
कभी भी मेरी मदद
नहीं की।
मुझे भी इनसे कोई
शिकायत नहीं रही।
परन्तु
मेरी ओर ध्यान देकर
चलने वाला ईश्वर स्वयं एक
पत्थर से टकराकर गिर
पड़ा।
मैंने तुरंत आगे बढ़कर
उसे उठाया।
यह देख
ईश्वर ने मुझसे कहा,
'तुम्हारे गिरने पर मैंने
तो कभी भी आगे बढ़कर
तुम्हें नहीं उठाया। फिर
भी मेरे गिरने पर तुम आगे
बढे।
मैंने तो सोचा की तुम
इस समय मुझे छोड़कर अकेले
आगे चल पड़ोगे। तुमने
ऐसा क्यों नहीं किया?'
मैंने कहा,
'हे
ईश्वर, तुमने मेरी मदद
नहीं की वह
तुम्हारी इच्छा थी।
मैं
स्वयं उठ सकता था,
इसलिए हरबार
उठता गया। मेरे उठने पर
तुम पूर्ववत मेरे साथ चलने
लगे।
मेरे उठने तक तुम रुके
रहे,
यही मेरे लिए
क्या कम था।
ओर जहाँ तक
तुम्हें उठाने का प्रश्न है,
वह मैंने इसलिए
किया क्योंकि मुझे
तो तुम्हारा साथ हर पल चाहिए
था।
सच कहूँ तो जब तुम मेरे
साथ होते
हो तो
मेरी तुम्हारे
प्रति आस्था बनी रहती है
और उसी आस्था के बल ओर विश्वास पर
मैं गिरने पर स्वयं ही उठने
में सफल रहा हूँ। तुम्हारे
साथ के बिना तो मैं एक
कदम भी आगे नहीं रख
पाऊंगा और अगर रख
भी पाया तो मुझे संतोष
नहीं मिलेगा।
एक
बच्चा सामने
माँ को देखकर ही कदम आगे
रखकर चलना सीखता है।
परन्तु इसके लिए उसे
सारी शक्ति सामने
बैठी माँ से ही मिलती है।'
'पर'
बच्चे के
गिरने पर माँ तो तुरंत आगे
बढ़कर उसे उठती है। मैंने
तो ऐसा कभी नहीं किया,'
ईश्वर ने कहा।
मैंने कहा,
'यदि तुम ऐसा करते होते
तो तुममें और माँ में फर्क
ही क्या रह जाता फिर।
22/05/2012
HEART FEELING STORY
.
एक छोटा सा लड़का जिस
की उम्र कोई 6 या 7 साल
थी. एक खिलोने की दूकान
पर खड़ा दुकानदार से कुछ
बात कर रहा था,
दुकानदार ने न जाने उससे
क्या कहा की वो वह से
थोडा सा दूर हट गया और
वहां से खड़े खड़े
वो कभी दुकान पर
रखी एक सुन्दर
सी गुडिया को देखता और
कभी अपनी जेब में हाथ
डालता. वो फिर आँख बंद
करके कुछ सोचता और फिर
दुबारा गुडिया को देखने
और अपनी जेब टटोलने
का क्रम दुहराने लगता.
.
वही कुछ दूर पर खड़ा एक
आदमी बहुत देर से
उसकी और देख रहा था.
वो आदमी जैसे ही आगे
को बढ़ा वो बच्चा दुकानद
ार के पास गया और कुछ
बोला फिर दुकानदार
की आवाज सुने
पड़ी की नहीं तुम ये
गुडिया नहीं खरीद सकते
क्योकि तुम्हारे पास
जो पैसे है वो काफी कम है.
.
वो बच्चा उस
आदमी की और मुड़ा और
उसने उस आदमी से
पूछा अंकल
क्या आपको लगता है
की मेरे पास वास्तव में कम
पैसे है. उस आदमी ने पैसे
गिने और बोला हां बेटा ये
वास्तव में कम है. तुम इतने
पैसो से
वो गुडिया नहीं खरीद
सकते. उस लड़के ने आह
भरी और फिर उदास मन से
उस गुडिया को घूरने लगा.
अब उस आदमी ने उस लड़के
से पूछा ” तुम ये
गुडिया ही क्यों लेना चाह
ते हो”. लड़के ने उत्तर
दिया ये
गुडिया मेरी बहिन
को बहुत पसंद है. और में ये
गुडिया उसको उसके
जन्मदिन पर गिफ्ट
करना चाहता हु. मुझे ये
गुडिया अपनी माँ को देनी
है, ताकि वो ये
गुडिया मेरे बहिन को दे दें
जब वो उसके पास जाये.
.
उस आदमी ने
पूछा कहा रहती है
तुम्हारी बहिन.
छोटा लड़का बोला मेरे
बहिन भगवान के पास
चली गयी है. और
पापा कहते है
जल्दी ही मेरी माँ भी उस
से मिलने भगवान के पास
जाने वाली है. और मै
चाहता हु की मेरी माँ जब
भगवान के पास जाये
तो वो ये
गुडिया मेरी बहीन के
लिए ले जाये. उस
आदमी की आखों से आंसू
छलकने लगे थे. पर
लड़का अभी बोल
ही रहा था.
.
वो कह रहा था की मै
पापा से
कहूँगा की वो माँ को कहे
की कुछ और तक दिन
भगवान के पास न जाये.
ताकि मै कुछ और पैसे
जमा कर लूँ और ये
गुडिया ले कर
अपनी बहिन के लिए भेज
दू. फिर उसने अपनी एक
फोटो जेब से निकली इस
फोटो में वो हँसता हुआ
बहुत सुन्दर दिख रहा था.
.
फोटो दिखाकर
वो बोला ये फोटो भी मै
अपनी माँ को दे दूंगा,
ताकि वो इसे
भी मेरी बहिन को दे
ताकि वो हमेशा मुझे याद
रख सके…………. मै जानता हु
की मेरी माँ इतनी जल्दी
मुझे छोड़ कर मेरी बहिन से
मिलने नहीं जाएगी.
लेकिन पापा कहते है
की वो 2 -1 दिन में
चली जाएगी.
उस आदमी ने झट से
अपनी जेब से पर्स
निकला और उसमे से एक
100 रुपए का नोट निकल
कर कहा……….. लाओ अपने
पैसे दो मै दुकानदार से
कहता हु शायद वो इतने
पैसे में ही दे दे. और उसने उस
लड़के के सामने रुपये गिनने
का अभिनय किया और
बोला…….. अरे तुम्हारे
पास तो उस
गुडिया की कीमत से
अधिक पैसे है. उस लड़के ने
आकाश की और देख कर
कहा भगवान
तेरा धन्यवाद….
.
अब वो लड़का उस आदमी से
बोला कल रात को मैंने
भगवान से कहा था की हे
भगवान मुझे इतने पैसे दे
देना की मै वो गुडिया ले
सकू. वैसे मै एक सफ़ेद गुलाब
भी लेना चाहता था किन्तु
भगवान से
ज्यादा मांगना मुझे ठीक
नहीं लगा. पर उसने मुझे
खुद ही इतना दे
दिया की मै गुडिया और
गुलाब दोनों ले सकता हु.
मेरी माँ को सफ़ेद गुलाब
बहुत पसंद है.
.
उस आदमी की आँखों से आंसू
नीचे गिरने लगे. फिर उसने
उन्हें संभलते हुए उस लड़के से
कहा ठीक है बच्चे
अपना ख्याल रखना. और
वो वहा से चला गया.
रस्ते भर उस आदमी के
दिमाग मै
वो लड़का छाया रहा.
फिर अचानक उसे 2 दिन
पहले अख़बार मै छपी खबर
याद आयी जिस में एक
हादसा छपा था की किसी
युवक ने शराब के नशे में एक
दूसरी गाड़ी को टक्कर
मार दी.
गाड़ी में सवार एक
लडकी की मौके पर
ही मौत हो गयी और
महिला गंभीर रूप से
घायल थी. अब उसके मन में
सवाल आया कही ये उस
लड़के की माँ और बहिन
ही तो नहीं थे.
अगले दिन अख़बार में खबर
आयी की उस
महिला की भी मौत
हो गयी है. वो आदमी उस
महिला के घर सफ़ेद गुलाब
के फूल ले कर गया. उस
महिला की लाश आँगन में
रखी थी. उसकी छाती पर
वो सुन्दर
सी गुडिया थी जो उस
लड़के ने ली थी और उस
महिला के एक हाथ में उस
लड़के की वो फोटो थी और
दुसरे में वो सफ़ेद गुलाब
का फूल था.
.
वो आदमी रोता हुआ
बाहर निकला. उसके मन मै
एक ही बात थी एक शराब
के नशे मै चूर एक युवक के
कारन एक
छोटा सा बच्चा अपनी माँ
और बहिन से दूर
हो गया जिन्हें वो बहुत
प्यार करता था.
.
इस कहानी को पढ़कर और
इस समय लिखते हुए भी मेरे
आँखों मै भी पानी है. और
शायद आपकी आँखों में भी आ
जाय
एक छोटा सा लड़का जिस
की उम्र कोई 6 या 7 साल
थी. एक खिलोने की दूकान
पर खड़ा दुकानदार से कुछ
बात कर रहा था,
दुकानदार ने न जाने उससे
क्या कहा की वो वह से
थोडा सा दूर हट गया और
वहां से खड़े खड़े
वो कभी दुकान पर
रखी एक सुन्दर
सी गुडिया को देखता और
कभी अपनी जेब में हाथ
डालता. वो फिर आँख बंद
करके कुछ सोचता और फिर
दुबारा गुडिया को देखने
और अपनी जेब टटोलने
का क्रम दुहराने लगता.
.
वही कुछ दूर पर खड़ा एक
आदमी बहुत देर से
उसकी और देख रहा था.
वो आदमी जैसे ही आगे
को बढ़ा वो बच्चा दुकानद
ार के पास गया और कुछ
बोला फिर दुकानदार
की आवाज सुने
पड़ी की नहीं तुम ये
गुडिया नहीं खरीद सकते
क्योकि तुम्हारे पास
जो पैसे है वो काफी कम है.
.
वो बच्चा उस
आदमी की और मुड़ा और
उसने उस आदमी से
पूछा अंकल
क्या आपको लगता है
की मेरे पास वास्तव में कम
पैसे है. उस आदमी ने पैसे
गिने और बोला हां बेटा ये
वास्तव में कम है. तुम इतने
पैसो से
वो गुडिया नहीं खरीद
सकते. उस लड़के ने आह
भरी और फिर उदास मन से
उस गुडिया को घूरने लगा.
अब उस आदमी ने उस लड़के
से पूछा ” तुम ये
गुडिया ही क्यों लेना चाह
ते हो”. लड़के ने उत्तर
दिया ये
गुडिया मेरी बहिन
को बहुत पसंद है. और में ये
गुडिया उसको उसके
जन्मदिन पर गिफ्ट
करना चाहता हु. मुझे ये
गुडिया अपनी माँ को देनी
है, ताकि वो ये
गुडिया मेरे बहिन को दे दें
जब वो उसके पास जाये.
.
उस आदमी ने
पूछा कहा रहती है
तुम्हारी बहिन.
छोटा लड़का बोला मेरे
बहिन भगवान के पास
चली गयी है. और
पापा कहते है
जल्दी ही मेरी माँ भी उस
से मिलने भगवान के पास
जाने वाली है. और मै
चाहता हु की मेरी माँ जब
भगवान के पास जाये
तो वो ये
गुडिया मेरी बहीन के
लिए ले जाये. उस
आदमी की आखों से आंसू
छलकने लगे थे. पर
लड़का अभी बोल
ही रहा था.
.
वो कह रहा था की मै
पापा से
कहूँगा की वो माँ को कहे
की कुछ और तक दिन
भगवान के पास न जाये.
ताकि मै कुछ और पैसे
जमा कर लूँ और ये
गुडिया ले कर
अपनी बहिन के लिए भेज
दू. फिर उसने अपनी एक
फोटो जेब से निकली इस
फोटो में वो हँसता हुआ
बहुत सुन्दर दिख रहा था.
.
फोटो दिखाकर
वो बोला ये फोटो भी मै
अपनी माँ को दे दूंगा,
ताकि वो इसे
भी मेरी बहिन को दे
ताकि वो हमेशा मुझे याद
रख सके…………. मै जानता हु
की मेरी माँ इतनी जल्दी
मुझे छोड़ कर मेरी बहिन से
मिलने नहीं जाएगी.
लेकिन पापा कहते है
की वो 2 -1 दिन में
चली जाएगी.
उस आदमी ने झट से
अपनी जेब से पर्स
निकला और उसमे से एक
100 रुपए का नोट निकल
कर कहा……….. लाओ अपने
पैसे दो मै दुकानदार से
कहता हु शायद वो इतने
पैसे में ही दे दे. और उसने उस
लड़के के सामने रुपये गिनने
का अभिनय किया और
बोला…….. अरे तुम्हारे
पास तो उस
गुडिया की कीमत से
अधिक पैसे है. उस लड़के ने
आकाश की और देख कर
कहा भगवान
तेरा धन्यवाद….
.
अब वो लड़का उस आदमी से
बोला कल रात को मैंने
भगवान से कहा था की हे
भगवान मुझे इतने पैसे दे
देना की मै वो गुडिया ले
सकू. वैसे मै एक सफ़ेद गुलाब
भी लेना चाहता था किन्तु
भगवान से
ज्यादा मांगना मुझे ठीक
नहीं लगा. पर उसने मुझे
खुद ही इतना दे
दिया की मै गुडिया और
गुलाब दोनों ले सकता हु.
मेरी माँ को सफ़ेद गुलाब
बहुत पसंद है.
.
उस आदमी की आँखों से आंसू
नीचे गिरने लगे. फिर उसने
उन्हें संभलते हुए उस लड़के से
कहा ठीक है बच्चे
अपना ख्याल रखना. और
वो वहा से चला गया.
रस्ते भर उस आदमी के
दिमाग मै
वो लड़का छाया रहा.
फिर अचानक उसे 2 दिन
पहले अख़बार मै छपी खबर
याद आयी जिस में एक
हादसा छपा था की किसी
युवक ने शराब के नशे में एक
दूसरी गाड़ी को टक्कर
मार दी.
गाड़ी में सवार एक
लडकी की मौके पर
ही मौत हो गयी और
महिला गंभीर रूप से
घायल थी. अब उसके मन में
सवाल आया कही ये उस
लड़के की माँ और बहिन
ही तो नहीं थे.
अगले दिन अख़बार में खबर
आयी की उस
महिला की भी मौत
हो गयी है. वो आदमी उस
महिला के घर सफ़ेद गुलाब
के फूल ले कर गया. उस
महिला की लाश आँगन में
रखी थी. उसकी छाती पर
वो सुन्दर
सी गुडिया थी जो उस
लड़के ने ली थी और उस
महिला के एक हाथ में उस
लड़के की वो फोटो थी और
दुसरे में वो सफ़ेद गुलाब
का फूल था.
.
वो आदमी रोता हुआ
बाहर निकला. उसके मन मै
एक ही बात थी एक शराब
के नशे मै चूर एक युवक के
कारन एक
छोटा सा बच्चा अपनी माँ
और बहिन से दूर
हो गया जिन्हें वो बहुत
प्यार करता था.
.
इस कहानी को पढ़कर और
इस समय लिखते हुए भी मेरे
आँखों मै भी पानी है. और
शायद आपकी आँखों में भी आ
जाय
A BEST STORY
एक लडकी जन्म से
नेत्रहीन थी और इस
कारण वह स्वयं से नफरत
करती थी। वह
किसी को भी पसंद
नहीं करती थी, सिवाय
एक लड़के के
जो उसका दोस्त था। वह
उससे बहुत प्यार
करता था और उसकी हर
तरह से देखभाल करता था।
एक दिन लड़की ने लड़के से
कहा – “यदि मैं कभी यह
दुनिया देखने लायक हुई
तो मैं तुमसे शादी कर
लूंगी”।
एक दिन उसका किस्मत बदला किसी ने उस
लड़की को अपने नेत्र दान
कर दिए। जब
लड़की की आंखों से
पट्टियाँ उतारी गयीं तो
वह सब कुछ देख सकती थी।
उसने लड़के को भी देखा।
लड़के ने उससे पूछा – “अब
तुम सब कुछ देख सकती हो,जियो अपनी जिन्दगी अब
जान क्या तुम मुझसे
शादी करोगी?”
लड़की को यह देखकर
सदमा पहुँचा की लड़का
अँधा था। लड़की को इस
बात की उम्मीद नहीं थी।
उसने सोचा कि उसे
ज़िन्दगी भर एक अंधे लड़के
के साथ रहना पड़ेगा, और
उसने शादी करने से इंकार
कर दिया।
लड़का अपने दिल मेँ अफसोस ओर अपनी आँखों में आंसू
लिए वहां से चला गया।
कुछ दिन बाद उसने
लड़की को एक पत्र लिखा:
“मेरी प्यारी,
अपनी आँखों को बहुत
संभाल कर रखना,
क्योंकि वे मेरी ऑंखें हैं”।
नेत्रहीन थी और इस
कारण वह स्वयं से नफरत
करती थी। वह
किसी को भी पसंद
नहीं करती थी, सिवाय
एक लड़के के
जो उसका दोस्त था। वह
उससे बहुत प्यार
करता था और उसकी हर
तरह से देखभाल करता था।
एक दिन लड़की ने लड़के से
कहा – “यदि मैं कभी यह
दुनिया देखने लायक हुई
तो मैं तुमसे शादी कर
लूंगी”।
एक दिन उसका किस्मत बदला किसी ने उस
लड़की को अपने नेत्र दान
कर दिए। जब
लड़की की आंखों से
पट्टियाँ उतारी गयीं तो
वह सब कुछ देख सकती थी।
उसने लड़के को भी देखा।
लड़के ने उससे पूछा – “अब
तुम सब कुछ देख सकती हो,जियो अपनी जिन्दगी अब
जान क्या तुम मुझसे
शादी करोगी?”
लड़की को यह देखकर
सदमा पहुँचा की लड़का
अँधा था। लड़की को इस
बात की उम्मीद नहीं थी।
उसने सोचा कि उसे
ज़िन्दगी भर एक अंधे लड़के
के साथ रहना पड़ेगा, और
उसने शादी करने से इंकार
कर दिया।
लड़का अपने दिल मेँ अफसोस ओर अपनी आँखों में आंसू
लिए वहां से चला गया।
कुछ दिन बाद उसने
लड़की को एक पत्र लिखा:
“मेरी प्यारी,
अपनी आँखों को बहुत
संभाल कर रखना,
क्योंकि वे मेरी ऑंखें हैं”।
KARM KARO-
एक गांव में दो दोस्त
रहते थे। एक का नाम
मोहन था और दूसरे
का सोहन। मोहन
मेहनती था। वह
हमेशा अपने खेतों में
काम करता।
खाली समय में भी वह
कुछ न कुछ
करता ही रहता था।
जबकि सोहन
आलसी था। वह भाग्य
पर अधिक
भरोसा करता था।
उसने खेतों में काम करने
के लिए नौकर रखे थें।
वह सोचता था जितना
किस्मत में लिखा है
उतना तो मिल
ही जाएगा। वह कभी-
कभी ही खेतों में
जाता था। पूरा दिन
घर में रहता या फिर
इधर-उधर घुमते रहता।
वह मोहन से
भी यही कहता था कि
खेतों में काम करने के
लिए नौकर रख ले और
खुद आराम करो। भाग्य
में जो लिखा है
उतना ही मिलेगा।
लेकिन मोहन
हमेशा यही कहता कि
कर्म भाग्य से भी ऊपर
है। काम करेंगे
तो उसका फल अवश्य
ही मिलेगा।
सोहन कई-कई
दिनों तक खेत पर
नहीं जाता तो नौकर
भी खेतों का ध्यान
ठीक से नहीं रखते और
अपनी मनमर्जी से काम
करते। न तो ठीक से
बुआई करते और न
ही सिंचाई।
जबकि मोहन दिन-
रात खेतों में काम
करता। थोड़े
दिनों बाद जब फसल
कटने का समय आया तब
सोहन खेत पर गया।
उसने
वहां देखा कि समय पर
सिंचाई न होने के
कारण फसल मुरझा गई
है। उसने अपन
नौकरों को बहुत
डांटा लेकिन तब तक
बहुत देर हो चुकी थी।
वहीं दूसरी ओर मोहन
के खेत में शानदार फसल
लहलहा रही थी।
यह देखकर सोहन
को मोहन की बात
याद आने लगी। वह
मोहन के पास गया और
उससे माफी मांगी और
वादा किया कि वह
आगे से भाग्य पर
निर्भर नहीं रहेगा।
क्योंकि भाग्य
भी उन्हीं लोगों का
साथ देता है जो कर्म
करते हैं।
रहते थे। एक का नाम
मोहन था और दूसरे
का सोहन। मोहन
मेहनती था। वह
हमेशा अपने खेतों में
काम करता।
खाली समय में भी वह
कुछ न कुछ
करता ही रहता था।
जबकि सोहन
आलसी था। वह भाग्य
पर अधिक
भरोसा करता था।
उसने खेतों में काम करने
के लिए नौकर रखे थें।
वह सोचता था जितना
किस्मत में लिखा है
उतना तो मिल
ही जाएगा। वह कभी-
कभी ही खेतों में
जाता था। पूरा दिन
घर में रहता या फिर
इधर-उधर घुमते रहता।
वह मोहन से
भी यही कहता था कि
खेतों में काम करने के
लिए नौकर रख ले और
खुद आराम करो। भाग्य
में जो लिखा है
उतना ही मिलेगा।
लेकिन मोहन
हमेशा यही कहता कि
कर्म भाग्य से भी ऊपर
है। काम करेंगे
तो उसका फल अवश्य
ही मिलेगा।
सोहन कई-कई
दिनों तक खेत पर
नहीं जाता तो नौकर
भी खेतों का ध्यान
ठीक से नहीं रखते और
अपनी मनमर्जी से काम
करते। न तो ठीक से
बुआई करते और न
ही सिंचाई।
जबकि मोहन दिन-
रात खेतों में काम
करता। थोड़े
दिनों बाद जब फसल
कटने का समय आया तब
सोहन खेत पर गया।
उसने
वहां देखा कि समय पर
सिंचाई न होने के
कारण फसल मुरझा गई
है। उसने अपन
नौकरों को बहुत
डांटा लेकिन तब तक
बहुत देर हो चुकी थी।
वहीं दूसरी ओर मोहन
के खेत में शानदार फसल
लहलहा रही थी।
यह देखकर सोहन
को मोहन की बात
याद आने लगी। वह
मोहन के पास गया और
उससे माफी मांगी और
वादा किया कि वह
आगे से भाग्य पर
निर्भर नहीं रहेगा।
क्योंकि भाग्य
भी उन्हीं लोगों का
साथ देता है जो कर्म
करते हैं।
TRUE FACT-
.....
Jiske sath aap dil khol ke hans skte ho uske sath aap
1 din reh skte ho.....
Lekin
Jiske sath aap dil khol ke ro skte ho uske sath aap
puri zindagi bita sakte ho...
Jiske sath aap dil khol ke hans skte ho uske sath aap
1 din reh skte ho.....
Lekin
Jiske sath aap dil khol ke ro skte ho uske sath aap
puri zindagi bita sakte ho...
EK POSITIVE SOCH-
एक बुद्धिमान
व्यक्ति ,जो लिखने
का शौकीन था ,लिखने
के लिए समुद्र के
किनारे जा कर बैठ
जाता था और फिर उसे
प्रेरणायें प्राप्त
होती थीं और
उसकी लेखनी चल
निकलती थी ।
लेकिन ,लिखने के लिए
बैठने से पहले वह समुद्र
के तट पर कुछ क्षण
टहलता अवश्य था । एक
दिन वह समुद्र के तट
पर टहल
रहा था कि तभी उसे
एक व्यक्ति तट से
उठा कर कुछ समुद्र में
फेंकता हुआ दिखा ।जब
उसने निकट जाकर
देखा तो पाया कि वह
व्यक्ति समुद्र के तट से
छोटी -
छोटी मछलियाँ एक-
एक करके
उठा रहा था और
समुद्र में फेंक रहा था ।
और ध्यान से अवलोकन
करने पर उसने
पाया कि समुद्र तट
पर
तो लाखों कि तादात
में छोटी -
छोटी मछलियाँ पडी
थीं जो कि थोडी ही
देर में दम तोड़ने
वाली थीं ।अंततः उससे
न रहा गया और उस
बुद्धिमान मनुष्य ने उस
व्यक्ति से पूछ
ही लिया ,"नमस्ते
भाई ! तट पर
तो लाखों मछलियाँ हैं ।
इस प्रकार तुम चंद
मछलियाँ पानी में फ़ेंक
कर मरने
वाली मछलियों का
अंतर कितना कम कर
पाओगे ?इस पर वह
व्यक्ति जो छोटी -
छोटी मछलियों को एक
-एक करके समुद्र में फेंक
रहा था ,बोला,"देखिए
!सूर्य निकल चुका है और
समुद्र की लहरें अब
शांत होकर वापस होने
की तैयारी में हैं । ऐसे
में ,मैं तट पर
बची सारी मछलियों
को तो जीवन दान
नहीं दे पाऊँगा । " और
फिर वह झुका और एक
और मछली को समुद्र में
फेंकते हुए
बोला ,"किन्तु , इस
मछली के जीवन में
तो मैंने अंतर
ला ही दिया ,और
यही मुझे बहुत संतोष
प्रदान कर रहा है ।
"इसी प्रकार ईश्वर ने
आप सब में भी यह
योग्यता दी है कि आप
एक छोटे से प्रयास से
रोज़ किसी न किसी के
जीवन में
'छोटा सा अंतर'
ला सकते हैं ।
जैसे ,किसी भूखे पशु
या मनुष्य को भोजन
देना , किसी ज़रूरतमंद
की निःस्वार्थ
सहायता करना
इत्यादि । आप
अपनी किस योग्यता से
इस समाज को , इस
संसार को या किसी एक इंसान को क्या दे रहे
हैं ,क्या दे सकते
हैं ,आपको यही
आत्मनिरीक्षण
करना है और फिर
अपनी उस
योग्यता को पहचान
कर रोज़ किसी न
किसी के मुख पर
मुस्कान लाने
का प्रयास करना है ।
और विश्वास
जानिए ,ऐसा करने से
अंततः सबसे अधिक
लाभान्वित आप
ही होंगे । ऐसा करने से
सबसे अधिक अंतर
आपको अपने भीतर
महसूस होगा ।
ऐसा करने से सबसे
अधिक अंतर आपके
ही जीवन में पड़ेगा!
व्यक्ति ,जो लिखने
का शौकीन था ,लिखने
के लिए समुद्र के
किनारे जा कर बैठ
जाता था और फिर उसे
प्रेरणायें प्राप्त
होती थीं और
उसकी लेखनी चल
निकलती थी ।
लेकिन ,लिखने के लिए
बैठने से पहले वह समुद्र
के तट पर कुछ क्षण
टहलता अवश्य था । एक
दिन वह समुद्र के तट
पर टहल
रहा था कि तभी उसे
एक व्यक्ति तट से
उठा कर कुछ समुद्र में
फेंकता हुआ दिखा ।जब
उसने निकट जाकर
देखा तो पाया कि वह
व्यक्ति समुद्र के तट से
छोटी -
छोटी मछलियाँ एक-
एक करके
उठा रहा था और
समुद्र में फेंक रहा था ।
और ध्यान से अवलोकन
करने पर उसने
पाया कि समुद्र तट
पर
तो लाखों कि तादात
में छोटी -
छोटी मछलियाँ पडी
थीं जो कि थोडी ही
देर में दम तोड़ने
वाली थीं ।अंततः उससे
न रहा गया और उस
बुद्धिमान मनुष्य ने उस
व्यक्ति से पूछ
ही लिया ,"नमस्ते
भाई ! तट पर
तो लाखों मछलियाँ हैं ।
इस प्रकार तुम चंद
मछलियाँ पानी में फ़ेंक
कर मरने
वाली मछलियों का
अंतर कितना कम कर
पाओगे ?इस पर वह
व्यक्ति जो छोटी -
छोटी मछलियों को एक
-एक करके समुद्र में फेंक
रहा था ,बोला,"देखिए
!सूर्य निकल चुका है और
समुद्र की लहरें अब
शांत होकर वापस होने
की तैयारी में हैं । ऐसे
में ,मैं तट पर
बची सारी मछलियों
को तो जीवन दान
नहीं दे पाऊँगा । " और
फिर वह झुका और एक
और मछली को समुद्र में
फेंकते हुए
बोला ,"किन्तु , इस
मछली के जीवन में
तो मैंने अंतर
ला ही दिया ,और
यही मुझे बहुत संतोष
प्रदान कर रहा है ।
"इसी प्रकार ईश्वर ने
आप सब में भी यह
योग्यता दी है कि आप
एक छोटे से प्रयास से
रोज़ किसी न किसी के
जीवन में
'छोटा सा अंतर'
ला सकते हैं ।
जैसे ,किसी भूखे पशु
या मनुष्य को भोजन
देना , किसी ज़रूरतमंद
की निःस्वार्थ
सहायता करना
इत्यादि । आप
अपनी किस योग्यता से
इस समाज को , इस
संसार को या किसी एक इंसान को क्या दे रहे
हैं ,क्या दे सकते
हैं ,आपको यही
आत्मनिरीक्षण
करना है और फिर
अपनी उस
योग्यता को पहचान
कर रोज़ किसी न
किसी के मुख पर
मुस्कान लाने
का प्रयास करना है ।
और विश्वास
जानिए ,ऐसा करने से
अंततः सबसे अधिक
लाभान्वित आप
ही होंगे । ऐसा करने से
सबसे अधिक अंतर
आपको अपने भीतर
महसूस होगा ।
ऐसा करने से सबसे
अधिक अंतर आपके
ही जीवन में पड़ेगा!
21/05/2012
BEST STORY
|
हजरत मोहम्मद
साहब जब भी नमाज
पढ़ने मस्जिद
जाते तो उन्हें
नित्य ही एक
वृद्धा के घर के
सामने से
निकलना पड़ता
था। वह
वृद्धा अशिष्ट,
कर्कश और
क्रोधी स्वभाव
की थी। जब
भी मोहम्मद
साहब उधर से
निकलते, वह उन
पर कूड़ा-करकट
फेंक
दिया करती थी।
मोहम्मद साहब
बगैर कुछ कहे अपने
कपड़ों से
कूड़ा झाड़कर आगे
बढ़ जाते।
प्रतिदिन
की तरह जब वे
एक दिन उधर से
गुजरे तो उन पर
कूड़ा आकर
नहीं गिरा। उन्हें
कुछ हैरानी हुई,
किंतु वे आगे बढ़
गए।
अगले दिन फिर
ऐसा ही हुआ
तो मोहम्मद
साहब से
रहा नहीं गया।
उन्होंने दरवाजे
पर दस्तक दी।
वृद्धा ने
दरवाजा खोला।
दो ही दिन में
बीमारी के
कारण वह अत्यंत
दुर्बल हो गई
थी। मोहम्मद
साहब
उसकी बीमारी
की बात सुनकर
हकीम
को बुलाकर लाए
और
उसकी दवा आदि
की व्यवस्था की।
उनकी सेवा और
देखभाल से
वृद्धा शीघ्र
ही स्वस्थ
हो गई।
अंतिम दिन जब
वह अपने बिस्तर
से उठ
बैठी तो मोहम्मद
साहब ने कहा-
अपनी दवाएं
लेती रहना और
मेरी जरूरत
हो तो मुझे
बुला लेना।
वृद्धा रोने लगी।
मोहम्मद साहब
ने उससे रोने
का कारण
पूछा तो वह
बोली, मेरे
र्दुव्*यवहार के
लिए मुझे माफ कर
दोगे? वे हंसते हुए
कहने लगे- भूल
जाओ सब कुछ और
अपनी तबीयत
सुधारो।
वृद्धा बोली- मैं
क्या सुधारूंगी
तबीयत? तुमने
तबीयत के साथ-
साथ मुझे
भी सुधार
दिया है। तुमने
अपने प्रेम और
पवित्रता से मुझे
सही मार्ग
दिखाया है। मैं
आजीवन तुम्हारी
अहसानमंद
रहूंगी।
घटना का संदेश है
कि जिसने स्वयं
को प्रेम,
क्षमा व
सद्भावना में
डुबोकर पवित्र
कर लिया, उसने
संत-महात्माओं से
भी अधिक
प्राप्त कर
लिया।
हजरत मोहम्मद
साहब जब भी नमाज
पढ़ने मस्जिद
जाते तो उन्हें
नित्य ही एक
वृद्धा के घर के
सामने से
निकलना पड़ता
था। वह
वृद्धा अशिष्ट,
कर्कश और
क्रोधी स्वभाव
की थी। जब
भी मोहम्मद
साहब उधर से
निकलते, वह उन
पर कूड़ा-करकट
फेंक
दिया करती थी।
मोहम्मद साहब
बगैर कुछ कहे अपने
कपड़ों से
कूड़ा झाड़कर आगे
बढ़ जाते।
प्रतिदिन
की तरह जब वे
एक दिन उधर से
गुजरे तो उन पर
कूड़ा आकर
नहीं गिरा। उन्हें
कुछ हैरानी हुई,
किंतु वे आगे बढ़
गए।
अगले दिन फिर
ऐसा ही हुआ
तो मोहम्मद
साहब से
रहा नहीं गया।
उन्होंने दरवाजे
पर दस्तक दी।
वृद्धा ने
दरवाजा खोला।
दो ही दिन में
बीमारी के
कारण वह अत्यंत
दुर्बल हो गई
थी। मोहम्मद
साहब
उसकी बीमारी
की बात सुनकर
हकीम
को बुलाकर लाए
और
उसकी दवा आदि
की व्यवस्था की।
उनकी सेवा और
देखभाल से
वृद्धा शीघ्र
ही स्वस्थ
हो गई।
अंतिम दिन जब
वह अपने बिस्तर
से उठ
बैठी तो मोहम्मद
साहब ने कहा-
अपनी दवाएं
लेती रहना और
मेरी जरूरत
हो तो मुझे
बुला लेना।
वृद्धा रोने लगी।
मोहम्मद साहब
ने उससे रोने
का कारण
पूछा तो वह
बोली, मेरे
र्दुव्*यवहार के
लिए मुझे माफ कर
दोगे? वे हंसते हुए
कहने लगे- भूल
जाओ सब कुछ और
अपनी तबीयत
सुधारो।
वृद्धा बोली- मैं
क्या सुधारूंगी
तबीयत? तुमने
तबीयत के साथ-
साथ मुझे
भी सुधार
दिया है। तुमने
अपने प्रेम और
पवित्रता से मुझे
सही मार्ग
दिखाया है। मैं
आजीवन तुम्हारी
अहसानमंद
रहूंगी।
घटना का संदेश है
कि जिसने स्वयं
को प्रेम,
क्षमा व
सद्भावना में
डुबोकर पवित्र
कर लिया, उसने
संत-महात्माओं से
भी अधिक
प्राप्त कर
लिया।
BEST MOTIVATION STORY
|
एक बहुत बड़े
ठेकेदार के
यहां हजारों
मजदूर काम करते
थे। एक बार उस
क्षेत्र के
मजदूरों ने
अपनी मांगों को
लेकर हड़ताल कर
दी।
महीनों हड़ताल
चलती रही।
नतीजा मजदूर
भूखे मरने लगे और
रोजी-
रोटी कमाने के
लिए
दूसरी बस्तियों में
चले गए, लेकिन
दूसरी बस्तियों के
गरीब मजदूर इस
बस्ती में आ पहुंचे।
ठेकेदार नित्य
ही ऐसे
लोगों की तलाश
में रहता था,
जो उसके ठेके
का काम पूरा कर
सकें। अत: एक दिन
वह बस्ती के
चौराहे पर आकर
खड़ा हो गया।
तभी एक मजदूर
कंधे पर
कुदाली रखे
वहां आया।
ठेकेदार ने उससे
पूछा-
क्या मजदूरी लेगा
? मजदूर ने कहा-
बारह आने।
ठेकेदार ने उससे
कहा -
अच्छा दूंगा,
जाकर मेरे ईंटों के
भट्ठे के लिए
मिट्टी खोदो।
इसके बाद एक
दूसरा मजदूर
वहां आया,
ठेकेदार ने उससे
भी मजदूरी पूछी।
वह बोला- तीन
रुपए। ठेकेदार ने
उसे खान में
कोयला खोदने
भेज दिया। तीसरे
मजदूर ने बड़े ताव
से दस रुपए
अपनी मजदूरी
बताई। ठेकेदार ने
उसे हीरे की खान
में भेज दिया।
शाम
को तीनों मजदूरी
लेने पहुंचे। पहले ने
सौ टोकरी
मिट्टी खोदी।
दूसने ने दस मन
कोयला निकाला
और तीसरे को एक
हीरा मिला।
तीनों के हाथ पर
जब
मजदूरी रखी गई
तो पहला मजदूर
तीसरे मजदूर के
हाथ पर दस रुपए
देखकर नाराज
होने लगा। तब
ठेकेदार बोला-
तुम्हारी मजदूरी
तुमने ही तय
की थी। जिसमें
जितनी शक्ति और
इच्छा थी, उसने
उतनी मजदूरी
बताई और सभी ने
काम भी उसी के
अनुरूप किया है।
यह सुनकर
पहला मजदूर चुप
हो गया। सार
यह है
कि शक्ति ही
जीवन है,
दुर्बलता ही मृत्यु
है। अत:
आशावादी, दृढ़ व
अनुकूल
विचारों को
अपनाकर
कर्म
करना चाहिए।
,
,
: प्रेरक प्रसंग
[ ]
एक बार
अमेरिका के
राष्ट्रपति
जॉर्ज वॉशिंगटन
नगर
की स्थिति का
जायजा लेने के
लिए निकले।
रास्ते में एक जगह
भवन
का निर्माण
कार्य चल
रहा था। वह कुछ
देर के लिए
वहीं रुक गए और
वहां चल रहे
कार्य को गौर से
देखने लगे। कुछ देर
में उन्होंने
देखा कि कई
मजदूर एक बड़ा-
सा पत्थर
उठा कर इमारत
पर ले जाने
की कोशिश कर
रहे हैं। किंतु
पत्थर बहुत
ही भारी था,
इसलिए वह इतने
मजदूरों के उठाने
पर भी उठ
नहीं आ रहा था।
ठेकेदार उन
मजदूरों को पत्थर
न उठा पाने के
कारण डांट
रहा था पर खुद
किसी भी तरह
उन्हें मदद देने
को तैयार
नहीं था।
वॉशिंगटन यह
देखकर उस
ठेकेदार के पास
आकर बोले, ‘इन
मजदूरों की मदद
करो। यदि एक
आदमी और
प्रयास करे
तो यह पत्थर
आसानी से उठ
जाएगा।’ ठेकेदार
वॉशिंगटन
को पहचान
नहीं पाया और
रौब से बोला, ‘मैं
दूसरों से काम
लेता हूं, मैं
मजदूरी नहीं
करता।’ यह
जवाब सुनकर
वॉशिंगटन घोड़े
से उतरे और पत्थर
उठाने में
मजदूरों की मदद
करने लगे। उनके
सहारा देते
ही पत्थर उठ
गया और
आसानी से ऊपर
चला गया। इसके
बाद वह वापस
अपने घोड़े पर
आकर बैठ गए और
बोले, ‘सलाम
ठेकेदार साहब,
भविष्य में
कभी तुम्हें एक
व्यक्ति की कमी
मालूम पड़े
तो राष्ट्रपति
भवन में आकर
जॉर्ज वॉशिंगटन
को याद कर
लेना।’ यह सुनते
ही ठेकेदार उनके
पैरों पर गिर
पड़ा और अपने
दुर्व्यवहार के
लिए
क्षमा मांगने
लगा। ठेकेदार के
माफी मांगने पर
वॉशिंगटन बोले,
‘मेहनत करने से
कोई
छोटा नहीं हो
जाता।
मजदूरों की मदद
करने से तुम
उनका सम्मान
हासिल करोगे।
याद रखो, मदद
के लिए सदैव
तैयार रहने वाले
को ह
एक बहुत बड़े
ठेकेदार के
यहां हजारों
मजदूर काम करते
थे। एक बार उस
क्षेत्र के
मजदूरों ने
अपनी मांगों को
लेकर हड़ताल कर
दी।
महीनों हड़ताल
चलती रही।
नतीजा मजदूर
भूखे मरने लगे और
रोजी-
रोटी कमाने के
लिए
दूसरी बस्तियों में
चले गए, लेकिन
दूसरी बस्तियों के
गरीब मजदूर इस
बस्ती में आ पहुंचे।
ठेकेदार नित्य
ही ऐसे
लोगों की तलाश
में रहता था,
जो उसके ठेके
का काम पूरा कर
सकें। अत: एक दिन
वह बस्ती के
चौराहे पर आकर
खड़ा हो गया।
तभी एक मजदूर
कंधे पर
कुदाली रखे
वहां आया।
ठेकेदार ने उससे
पूछा-
क्या मजदूरी लेगा
? मजदूर ने कहा-
बारह आने।
ठेकेदार ने उससे
कहा -
अच्छा दूंगा,
जाकर मेरे ईंटों के
भट्ठे के लिए
मिट्टी खोदो।
इसके बाद एक
दूसरा मजदूर
वहां आया,
ठेकेदार ने उससे
भी मजदूरी पूछी।
वह बोला- तीन
रुपए। ठेकेदार ने
उसे खान में
कोयला खोदने
भेज दिया। तीसरे
मजदूर ने बड़े ताव
से दस रुपए
अपनी मजदूरी
बताई। ठेकेदार ने
उसे हीरे की खान
में भेज दिया।
शाम
को तीनों मजदूरी
लेने पहुंचे। पहले ने
सौ टोकरी
मिट्टी खोदी।
दूसने ने दस मन
कोयला निकाला
और तीसरे को एक
हीरा मिला।
तीनों के हाथ पर
जब
मजदूरी रखी गई
तो पहला मजदूर
तीसरे मजदूर के
हाथ पर दस रुपए
देखकर नाराज
होने लगा। तब
ठेकेदार बोला-
तुम्हारी मजदूरी
तुमने ही तय
की थी। जिसमें
जितनी शक्ति और
इच्छा थी, उसने
उतनी मजदूरी
बताई और सभी ने
काम भी उसी के
अनुरूप किया है।
यह सुनकर
पहला मजदूर चुप
हो गया। सार
यह है
कि शक्ति ही
जीवन है,
दुर्बलता ही मृत्यु
है। अत:
आशावादी, दृढ़ व
अनुकूल
विचारों को
अपनाकर
कर्म
करना चाहिए।
,
,
: प्रेरक प्रसंग
[ ]
एक बार
अमेरिका के
राष्ट्रपति
जॉर्ज वॉशिंगटन
नगर
की स्थिति का
जायजा लेने के
लिए निकले।
रास्ते में एक जगह
भवन
का निर्माण
कार्य चल
रहा था। वह कुछ
देर के लिए
वहीं रुक गए और
वहां चल रहे
कार्य को गौर से
देखने लगे। कुछ देर
में उन्होंने
देखा कि कई
मजदूर एक बड़ा-
सा पत्थर
उठा कर इमारत
पर ले जाने
की कोशिश कर
रहे हैं। किंतु
पत्थर बहुत
ही भारी था,
इसलिए वह इतने
मजदूरों के उठाने
पर भी उठ
नहीं आ रहा था।
ठेकेदार उन
मजदूरों को पत्थर
न उठा पाने के
कारण डांट
रहा था पर खुद
किसी भी तरह
उन्हें मदद देने
को तैयार
नहीं था।
वॉशिंगटन यह
देखकर उस
ठेकेदार के पास
आकर बोले, ‘इन
मजदूरों की मदद
करो। यदि एक
आदमी और
प्रयास करे
तो यह पत्थर
आसानी से उठ
जाएगा।’ ठेकेदार
वॉशिंगटन
को पहचान
नहीं पाया और
रौब से बोला, ‘मैं
दूसरों से काम
लेता हूं, मैं
मजदूरी नहीं
करता।’ यह
जवाब सुनकर
वॉशिंगटन घोड़े
से उतरे और पत्थर
उठाने में
मजदूरों की मदद
करने लगे। उनके
सहारा देते
ही पत्थर उठ
गया और
आसानी से ऊपर
चला गया। इसके
बाद वह वापस
अपने घोड़े पर
आकर बैठ गए और
बोले, ‘सलाम
ठेकेदार साहब,
भविष्य में
कभी तुम्हें एक
व्यक्ति की कमी
मालूम पड़े
तो राष्ट्रपति
भवन में आकर
जॉर्ज वॉशिंगटन
को याद कर
लेना।’ यह सुनते
ही ठेकेदार उनके
पैरों पर गिर
पड़ा और अपने
दुर्व्यवहार के
लिए
क्षमा मांगने
लगा। ठेकेदार के
माफी मांगने पर
वॉशिंगटन बोले,
‘मेहनत करने से
कोई
छोटा नहीं हो
जाता।
मजदूरों की मदद
करने से तुम
उनका सम्मान
हासिल करोगे।
याद रखो, मदद
के लिए सदैव
तैयार रहने वाले
को ह
THE WALL
– दीवार
किसी महिला पत्रकार
को यह पता चला कि एक
बहुत वृद्ध यहूदी सज्जन
लंबे समय से येरुशलम
की पश्चिमी दीवार पर
रोज़ाना
प्रार्थना करते आ रहे हैं
तो उसने उनसे मिलने
का तय किया.
वह येरुशलम
की पश्चिमी प्रार्थना
दीवार पर गयी और उसने
वृद्ध सज्जन
को प्रार्थना करते देखा.
लगभग 45 मिनट तक
प्रार्थना करने के बाद वे
अपनी छड़ी के सहारे धीरे-
धीरे चलकर वापस जाने
लगे.
महिला पत्रकार उनके
पास गयी और अभिवादन
करके बोली, “नमस्ते, मैं
CNN की पत्रकार
रेबेका स्मिथ हूँ.
आपका नाम क्या है?”
“मौरिस फ़िशिबिएन”,
वृद्ध ने कहा.
“मैंने सुना है कि आप बहुत
लंबे समय से यहाँ रोज़
प्रार्थना करते रहे हैं. आप
ऐसा कब से कर रहे हैं?”
“लगभग 60 साल से”.
“60 साल! यह तो वाकई
बहुत लम्बा अरसा है! तो,
आप यहाँ किसलिए
प्रार्थना करते हैं?”
“मैं यह
प्रार्थना करता हूँ
कि ईसाइयों, यहूदियों,
और मुसलमानों के बीच
शांति स्थापित हो. मैं
युद्ध और नफरत के खात्मे के
लिए प्रार्थना करता हूँ.
मैं यह
भी प्रार्थना करता हूँ
कि बच्चे बड़े होकर
जिम्मेदार इंसान बनें और
सब लोग प्रेम से एकजुट
रहें”.
“यह तो बहुत अच्छी बात
है… और आपको यह
प्रार्थना करने से
कैसी अनुभूति होती है?”
“मुझे यह लगता है कि मैं 60
सालों से सिर्फ एक
दीवार से ही बातें कर
रहा हूँ”
किसी महिला पत्रकार
को यह पता चला कि एक
बहुत वृद्ध यहूदी सज्जन
लंबे समय से येरुशलम
की पश्चिमी दीवार पर
रोज़ाना
प्रार्थना करते आ रहे हैं
तो उसने उनसे मिलने
का तय किया.
वह येरुशलम
की पश्चिमी प्रार्थना
दीवार पर गयी और उसने
वृद्ध सज्जन
को प्रार्थना करते देखा.
लगभग 45 मिनट तक
प्रार्थना करने के बाद वे
अपनी छड़ी के सहारे धीरे-
धीरे चलकर वापस जाने
लगे.
महिला पत्रकार उनके
पास गयी और अभिवादन
करके बोली, “नमस्ते, मैं
CNN की पत्रकार
रेबेका स्मिथ हूँ.
आपका नाम क्या है?”
“मौरिस फ़िशिबिएन”,
वृद्ध ने कहा.
“मैंने सुना है कि आप बहुत
लंबे समय से यहाँ रोज़
प्रार्थना करते रहे हैं. आप
ऐसा कब से कर रहे हैं?”
“लगभग 60 साल से”.
“60 साल! यह तो वाकई
बहुत लम्बा अरसा है! तो,
आप यहाँ किसलिए
प्रार्थना करते हैं?”
“मैं यह
प्रार्थना करता हूँ
कि ईसाइयों, यहूदियों,
और मुसलमानों के बीच
शांति स्थापित हो. मैं
युद्ध और नफरत के खात्मे के
लिए प्रार्थना करता हूँ.
मैं यह
भी प्रार्थना करता हूँ
कि बच्चे बड़े होकर
जिम्मेदार इंसान बनें और
सब लोग प्रेम से एकजुट
रहें”.
“यह तो बहुत अच्छी बात
है… और आपको यह
प्रार्थना करने से
कैसी अनुभूति होती है?”
“मुझे यह लगता है कि मैं 60
सालों से सिर्फ एक
दीवार से ही बातें कर
रहा हूँ”
MISS YOU
Tum se bohut kuch kehna hai
MAGAR
kabhi tum nahi miltey to
kabhi alfaaz nahi miltey,
Ek nayi duniya basana chahta hu
MAGAR
kabhi neend nahi aati to kabhi
khwaab nahi miltey,
Ye duriyan to mita du main ek
pal main
MAGAR
kabhi kadam nahi chaltey to
kabhi rastey nahi milte,
mein to milne ko Betaab hu
bahut
MAGAR
Kabhi waqt nhi milta or kabhi TUM
nahi miltey ... MISS YOU
MAGAR
kabhi tum nahi miltey to
kabhi alfaaz nahi miltey,
Ek nayi duniya basana chahta hu
MAGAR
kabhi neend nahi aati to kabhi
khwaab nahi miltey,
Ye duriyan to mita du main ek
pal main
MAGAR
kabhi kadam nahi chaltey to
kabhi rastey nahi milte,
mein to milne ko Betaab hu
bahut
MAGAR
Kabhi waqt nhi milta or kabhi TUM
nahi miltey ... MISS YOU
19/05/2012
GOD SAY-
The God's best cosmetics in life:
Truth 4 lips! Confidence 4 eye. Charity 4 hands!
Smile 4 face!
Love 4 heart! Make Life very
Beautiful!
Truth 4 lips! Confidence 4 eye. Charity 4 hands!
Smile 4 face!
Love 4 heart! Make Life very
Beautiful!
18/05/2012
problem solve-
किसी व्यक्ति ने जब बुद्ध
की ख्याति सुनी तो वह
उनके दर्शन और
अपनी समस्याओं के
समाधान के लिए उनके
पास गया. जैसा हम सबके
जीवन में प्रायः होता है,
वह किसान भी अनेक
कठिनाइयों का सामना
कर रहा था. उसे
लगा कि बुद्ध उसे
कठिनाइयों से निकलने
का उपाय बता देंगे. उसने
बुद्ध से कहा:
“मैं किसान हूँ. मुझे
खेती करना अच्छा लगता है
. लेकिन
कभी वर्षा पर्याप्त
नहीं होती और मेरी फसल
बर्बाद हो जाती है.
पिछले साल हमारे पास
खाने को कुछ भी नहीं था.
और फिर
कभी ऐसा भी होता है
कि बहुत अधिक
वर्षा हो जाती है और
हमारी फसल को नुकसान
पहुँचता है.”
बुद्ध शांतिपूर्वक
उसकी बात सुनते रहे.
“मैं विवाहित हूँ”, किसान
ने कहा,
“मेरी पत्नी मेरा ध्यान
रखती है… मैं उससे प्रेम
करता हूँ. लेकिन कभी-
कभी वह मुझे बहुत परेशान
कर देती है. कभी मुझे लगने
लगता है कि मैं उससे
उकता गया हूँ”.
बुद्ध शांतिपूर्वक
उसकी बात सुनते रहे.
“मेरे बच्चे भी हैं”, किसान
बोला, “वे भले हैं… पर
कभी-कभी वे
मेरी अवज्ञा कर बैठते हैं.
और कभी तो…”
किसान ऐसी ही बातें
बुद्ध से कहता गया. वाकई
उसके जीवन में बहुत
सारी समस्याएँ थीं.
अपना मन हल्का कर लेने के
बाद वह चुप हो गया और
प्रतीक्षा करने
लगा कि बुद्ध उसे कुछ
उपाय बताएँगे.
उसकी आशा के विपरीत,
बुद्ध ने कहा, “मैं
तुम्हारी कोई
सहायता नहीं कर सकता.”
“ये आप क्या कह रहे हैं?”,
किसान ने हतप्रभ होकर
कहा.
“सभी के जीवन में
कठिनाइयाँ हैं”, बुद्ध ने
कहा, “वास्तविकता यह
है कि हम सबके जीवन में 83
कठिनाइयाँ हैं, मेरा,
तुम्हारा, और
यहाँ उपस्थित हर
व्यक्ति का जीवन
समस्याओं से ग्रस्त है. तुम
इन 83 समस्याओं का कोई
समाधान नहीं कर सकते.
यदि तुम कठोर कर्म
करो और उनमें से
किन्हीं एक का उपाय कर
भी लो तो उसके स्थान पर
एक नयी समस्या खड़ी हो
जायेगी. जीवन का कोई
भरोसा नहीं है. एक दिन
तुम्हारी प्रियजन चल
बसेंगे, तुम भी एक दिन
नहीं रहोगे. समस्याएँ
सदैव बनी रहेंगीं और कोई
भी उनका कुछ उपाय
नहीं कर सकता.”
किसान क्रुद्ध
हो गया और बोला, “सब
कहते हैं कि आप
महात्मा हो! मैं यहाँ इस
आस में आया था कि आप
मेरी कुछ सहायता करोगे!
यदि आप इतनी छोटी-
छोटी बातों का उपाय
नहीं कर सकते
तो आपकी शिक्षाएं किस
काम की!?”
बुद्ध ने कहा, “मैं
तुम्हारी 84वीं समस्या
का समाधान कर
सकता हूँ”.
“84वीं समस्या?”, किसान
ने कहा, “वह क्या है?”
बुद्ध ने कहा, “यह कि तुम
नहीं चाहते कि जीवन में
कोई समस्या हो”.
की ख्याति सुनी तो वह
उनके दर्शन और
अपनी समस्याओं के
समाधान के लिए उनके
पास गया. जैसा हम सबके
जीवन में प्रायः होता है,
वह किसान भी अनेक
कठिनाइयों का सामना
कर रहा था. उसे
लगा कि बुद्ध उसे
कठिनाइयों से निकलने
का उपाय बता देंगे. उसने
बुद्ध से कहा:
“मैं किसान हूँ. मुझे
खेती करना अच्छा लगता है
. लेकिन
कभी वर्षा पर्याप्त
नहीं होती और मेरी फसल
बर्बाद हो जाती है.
पिछले साल हमारे पास
खाने को कुछ भी नहीं था.
और फिर
कभी ऐसा भी होता है
कि बहुत अधिक
वर्षा हो जाती है और
हमारी फसल को नुकसान
पहुँचता है.”
बुद्ध शांतिपूर्वक
उसकी बात सुनते रहे.
“मैं विवाहित हूँ”, किसान
ने कहा,
“मेरी पत्नी मेरा ध्यान
रखती है… मैं उससे प्रेम
करता हूँ. लेकिन कभी-
कभी वह मुझे बहुत परेशान
कर देती है. कभी मुझे लगने
लगता है कि मैं उससे
उकता गया हूँ”.
बुद्ध शांतिपूर्वक
उसकी बात सुनते रहे.
“मेरे बच्चे भी हैं”, किसान
बोला, “वे भले हैं… पर
कभी-कभी वे
मेरी अवज्ञा कर बैठते हैं.
और कभी तो…”
किसान ऐसी ही बातें
बुद्ध से कहता गया. वाकई
उसके जीवन में बहुत
सारी समस्याएँ थीं.
अपना मन हल्का कर लेने के
बाद वह चुप हो गया और
प्रतीक्षा करने
लगा कि बुद्ध उसे कुछ
उपाय बताएँगे.
उसकी आशा के विपरीत,
बुद्ध ने कहा, “मैं
तुम्हारी कोई
सहायता नहीं कर सकता.”
“ये आप क्या कह रहे हैं?”,
किसान ने हतप्रभ होकर
कहा.
“सभी के जीवन में
कठिनाइयाँ हैं”, बुद्ध ने
कहा, “वास्तविकता यह
है कि हम सबके जीवन में 83
कठिनाइयाँ हैं, मेरा,
तुम्हारा, और
यहाँ उपस्थित हर
व्यक्ति का जीवन
समस्याओं से ग्रस्त है. तुम
इन 83 समस्याओं का कोई
समाधान नहीं कर सकते.
यदि तुम कठोर कर्म
करो और उनमें से
किन्हीं एक का उपाय कर
भी लो तो उसके स्थान पर
एक नयी समस्या खड़ी हो
जायेगी. जीवन का कोई
भरोसा नहीं है. एक दिन
तुम्हारी प्रियजन चल
बसेंगे, तुम भी एक दिन
नहीं रहोगे. समस्याएँ
सदैव बनी रहेंगीं और कोई
भी उनका कुछ उपाय
नहीं कर सकता.”
किसान क्रुद्ध
हो गया और बोला, “सब
कहते हैं कि आप
महात्मा हो! मैं यहाँ इस
आस में आया था कि आप
मेरी कुछ सहायता करोगे!
यदि आप इतनी छोटी-
छोटी बातों का उपाय
नहीं कर सकते
तो आपकी शिक्षाएं किस
काम की!?”
बुद्ध ने कहा, “मैं
तुम्हारी 84वीं समस्या
का समाधान कर
सकता हूँ”.
“84वीं समस्या?”, किसान
ने कहा, “वह क्या है?”
बुद्ध ने कहा, “यह कि तुम
नहीं चाहते कि जीवन में
कोई समस्या हो”.
YOUR AIM-
–
आपका लक्ष्य क्या है?
कई दशकों तक सभी यह
मानते रहे कि कोई
भी व्यक्ति 4 मिनट में 1
मील नहीं दौड़ सकता.
लोगों ने कहा,
“ऐसा हो ही नहीं सकता
”! वैज्ञानिक और
चिकित्सकों ने मानव
शरीर की सीमाओं और
क्षमताओं का आकलन करके
यह बताया कि 4 मिनट में
1 मील दौड़ पाना संभव
नहीं था. उनके अनुसार
इसके लिए उपयुक्त
गति तक पहुँचने से पहले
ही शरीर
धराशायी हो जाता.
सभी ने यह मान लिया : 4
मिनट में 1 मील
दौड़ना असंभव है.
लेकिन सब लोगो को इस बात पर
यकीन नहीं था. 4 मिनट में
1500 मीटर (एक मील में
1600 मीटर होते हैं)
दौड़ने का रिकार्ड तोड़ने
के बाद रोजर बैनिस्टर
को यह लगने लगा कि वह
ऐसा कर सकता है. उसने
अपने मन में यह ठान
लिया कि वह 4 मिनट में 1
मील दौड़कर दिखाएगा.
उसके आत्मविश्वास ने
ही असंभव को संभव कर
दिखाया. उसने यह
रिकार्ड बनाने
की दिशा में प्रयत्न
करना शुरू कर दिया.
और 6 मई, 1954 के दिन यह
संभव हो गया:
रोजर बैनिस्टर ने यह कर
दिखाया. उसने 4 मिनट में
1 मील दौड़कर वह
रिकार्ड बना दिया जिसे
सब असंभव मानते थे. उसने
दुनिया को बता दिया कि
ऐसा भी हो सकता है.
उसने अपनी दौड़ 3 मिनट
और 59.4 सैकंड में पूरी की.
इसके 6 हफ्ते बाद ही एक
औस्ट्रेलियन जौन लैंड्री ने
यह दौड़ 3 मिनट 58 सैकंड
में पूरी की. 1957
की समाप्ति से पहले
सोलह धावक 4 मिनट से
कम में 1 मील दौड़ चुके थे.
अब तो हजारों धावक 4
मिनट में 1 मील दौड़ चुके
हैं. कुछ धावक तो हर दिन
अभ्यास दौड़ में ऐसा कर
लेते हैं. इस दौड़ का विश्व
रिकॉर्ड मोरक्कन धावक
हिचाम एल गेरोज़ के नाम
है जिसने 7 जुलाई 1999
को 1 मील की दौड़ 3
मिनट 43.13 सेकंड में
पूरी की. 1997 में
कीनिया के डेनियल कोमेन
ने 8 मिनट से कम में 2 मील
की दौड़ पूरी की.
आपके जीवन का वह कौन
सा लक्ष्य है जिसे
सभी असंभव मानते हैं?
लोग बहुत सी बातें करते
होंगे और आपको बताते
होंगे कि आप यह नहीं कर
सकते या वह नहीं कर
सकते. उनकी बातें सुनकर
शायद आप भी वही मानने
लगे होंगे. हो सकता है
आपने जीवन में कभी कोई
लक्ष्य बनाए हों जिन्हें
आपने बीच रस्ते ही छोड़
दिया या उनकी राह में
पहला कदम
भी नहीं बढ़ाया. शायद
आपने किसी ख़ास
नौकरी की चाह की थी.
आप कोई किताब
लिखना चाहते थे.
आपका लक्ष्य कोई सेल्स
टार्गेट भी हो सकता है
और किसी ख़ास हुनर में
कामयाबी पाना भी.
आपका ’4 मिनट में 1 मील’
कोई ऐसी चीज़
हो सकती है जिसे बहुत से
लोग पहले ही कर चुके हैं,
लेकिन आप अभी भी इसे
असंभव मानते हैं. आपको यह
जान लेना है कि कोई लक्ष्य
असंभव नहीं है और आप यह
कर सकते हैं. आप
भी अपना कोई ’4 मिनट में 1
मील’ पूरा कर सकते है
आपका लक्ष्य क्या है?
कई दशकों तक सभी यह
मानते रहे कि कोई
भी व्यक्ति 4 मिनट में 1
मील नहीं दौड़ सकता.
लोगों ने कहा,
“ऐसा हो ही नहीं सकता
”! वैज्ञानिक और
चिकित्सकों ने मानव
शरीर की सीमाओं और
क्षमताओं का आकलन करके
यह बताया कि 4 मिनट में
1 मील दौड़ पाना संभव
नहीं था. उनके अनुसार
इसके लिए उपयुक्त
गति तक पहुँचने से पहले
ही शरीर
धराशायी हो जाता.
सभी ने यह मान लिया : 4
मिनट में 1 मील
दौड़ना असंभव है.
लेकिन सब लोगो को इस बात पर
यकीन नहीं था. 4 मिनट में
1500 मीटर (एक मील में
1600 मीटर होते हैं)
दौड़ने का रिकार्ड तोड़ने
के बाद रोजर बैनिस्टर
को यह लगने लगा कि वह
ऐसा कर सकता है. उसने
अपने मन में यह ठान
लिया कि वह 4 मिनट में 1
मील दौड़कर दिखाएगा.
उसके आत्मविश्वास ने
ही असंभव को संभव कर
दिखाया. उसने यह
रिकार्ड बनाने
की दिशा में प्रयत्न
करना शुरू कर दिया.
और 6 मई, 1954 के दिन यह
संभव हो गया:
रोजर बैनिस्टर ने यह कर
दिखाया. उसने 4 मिनट में
1 मील दौड़कर वह
रिकार्ड बना दिया जिसे
सब असंभव मानते थे. उसने
दुनिया को बता दिया कि
ऐसा भी हो सकता है.
उसने अपनी दौड़ 3 मिनट
और 59.4 सैकंड में पूरी की.
इसके 6 हफ्ते बाद ही एक
औस्ट्रेलियन जौन लैंड्री ने
यह दौड़ 3 मिनट 58 सैकंड
में पूरी की. 1957
की समाप्ति से पहले
सोलह धावक 4 मिनट से
कम में 1 मील दौड़ चुके थे.
अब तो हजारों धावक 4
मिनट में 1 मील दौड़ चुके
हैं. कुछ धावक तो हर दिन
अभ्यास दौड़ में ऐसा कर
लेते हैं. इस दौड़ का विश्व
रिकॉर्ड मोरक्कन धावक
हिचाम एल गेरोज़ के नाम
है जिसने 7 जुलाई 1999
को 1 मील की दौड़ 3
मिनट 43.13 सेकंड में
पूरी की. 1997 में
कीनिया के डेनियल कोमेन
ने 8 मिनट से कम में 2 मील
की दौड़ पूरी की.
आपके जीवन का वह कौन
सा लक्ष्य है जिसे
सभी असंभव मानते हैं?
लोग बहुत सी बातें करते
होंगे और आपको बताते
होंगे कि आप यह नहीं कर
सकते या वह नहीं कर
सकते. उनकी बातें सुनकर
शायद आप भी वही मानने
लगे होंगे. हो सकता है
आपने जीवन में कभी कोई
लक्ष्य बनाए हों जिन्हें
आपने बीच रस्ते ही छोड़
दिया या उनकी राह में
पहला कदम
भी नहीं बढ़ाया. शायद
आपने किसी ख़ास
नौकरी की चाह की थी.
आप कोई किताब
लिखना चाहते थे.
आपका लक्ष्य कोई सेल्स
टार्गेट भी हो सकता है
और किसी ख़ास हुनर में
कामयाबी पाना भी.
आपका ’4 मिनट में 1 मील’
कोई ऐसी चीज़
हो सकती है जिसे बहुत से
लोग पहले ही कर चुके हैं,
लेकिन आप अभी भी इसे
असंभव मानते हैं. आपको यह
जान लेना है कि कोई लक्ष्य
असंभव नहीं है और आप यह
कर सकते हैं. आप
भी अपना कोई ’4 मिनट में 1
मील’ पूरा कर सकते है
TOP LINE
"khwabo k Andr Zinda mat rho,
Balki Apne andar Khwabon ko zinda rkho
Mohabbat use nhi hoti Jo Khubsurat ho
Khubsurat wo hota h jise Mohobbt ho...
Balki Apne andar Khwabon ko zinda rkho
Mohabbat use nhi hoti Jo Khubsurat ho
Khubsurat wo hota h jise Mohobbt ho...
best msg-
Mother Teresa Ne Ek Khubsurat Baat Kahi Thi.
'Jo Log Kahte He Ki Bina Dekhe Kisi Se Pyar Nahi Ho Sakta Unhe Kabhi Bhagwan Se Bhi Pyar Nahi Ho sakta hai...
'Jo Log Kahte He Ki Bina Dekhe Kisi Se Pyar Nahi Ho Sakta Unhe Kabhi Bhagwan Se Bhi Pyar Nahi Ho sakta hai...
BEST STORY
एक बार एक लड़का अपने
स्कूल की फीस भरने के लिए
वह एक दरवाजे से दूसरे
दरवाजे तक कुछ सामान
बेचा करता था, एक दिन
उसका कोई सामान
नहीं बिका और उसे बड़े
जोर से भूख भी लग
रही थी. उसने तय
किया कि अब वह जिस
भी दरवाजे पर जायेगा,
उससे खाना मांग लेगा.
दरवाजा खटखटाते ही एक
लड़की ने दरवाजा खोला,
जिसे देखकर वह
घबरा गया और बजाय
खाने के उसने...
पानी का एक गिलास
माँग लिया.लड़की ने
भांप लिया था कि वह
भूखा है, इसलिए वह
........एक बड़ा गिलास दूध
का ले आई. लड़के ने धीरे-
धीरे दूध पी लिया."
कितने पैसे दूं?" लड़के ने
पूछा.
" पैसे किस बात के?"
लड़की ने जवाव में कहा."
माँ ने मुझे सिखाया है
कि जब भी किसी पर
दया करो तो उसके पैसे
नहीं लेने चाहिए."
लडका-
तो फिर मैं आपको दिल से
धन्यबाद देताहूँ.
"जैसे
ही उस लड़के ने वह घर
छोड़ा, उसे न केवल
शारीरिक तौर पर
शक्ति मिल चुकी थी ,
बल्कि उसका भगवान् और
इंसानो पर भरोसा और
भी बढ़ गया था.
अब .....कई सालों बाद वह
लड़की गंभीर रूप से
बीमार पड़ गयी. लोकल
डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े
अस्पताल में इलाज के लिए
भेज दिया. विशेषज्ञ
डॉक्टर होवार्ड
को मरीज देखने के
लिए बुलाया गया.
वह एकदम आफिस कि सीट से
उठा और उस लड़की के कमरे
में गया. उसने उस
लड़की को देखा, एकदम से बिमारी को
पहचान लिया और कहा ईलाज महंगा पडेगा तो पता चला लडकी के साथ कोई नही फिर उसने तय कर
लिया कि वह उसकी जान
बचाने के लिए जमीन-
आसमान एक कर
देगा..उसकी मेहनत और
लगन रंग लायी और उस
लड़की कि जान बच गयी.
डॉक्टर ने अस्पताल के
ऑफिस में जा कर उस
लड़की के इलाज का बिल
लिया. उस बिल के कौने में
एक नोट लिखा और उसे उस
लड़की के पास
भिजवा दिया लड़की बिल
का लिफाफा देखकर
घबरा गयी,
उसे मालूम
था कि वह बीमारी से
तो वह बच गयी है लेकिन
बिल कि रकम जरूर
उसकी जान लेलेगी. फिर
भी उसने धीरे से बिल
खोला, रकम को देखा और
फिर अचानक उसकी नज़र
बिल के कौने में पेन से लिखे
नोट पर गयी,
जहाँ लिखा था," एक
गिलास दूध द्वारा इस
बिल का भुगतान
किया जा चुका है." नीचे
डॉक्टर होवार्ड के
हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और
अचम्भे से उस लड़की के
आंसू टपक पड़े उसने
ऊपर कि और दोनों हाथ
उठा कर कहा,"
हे भगवान!
आपका बहुत-बहुत
धन्यवाद,
आपका प्यार
इंसानों के दिलों और
हाथों द्वारा न जाने
कहाँ- कहाँ फैल चुका है.
तू हम इंसानो से कहाँ क्या करवाता है येँ तू हि जानता है तू गजब है गजब.....
स्कूल की फीस भरने के लिए
वह एक दरवाजे से दूसरे
दरवाजे तक कुछ सामान
बेचा करता था, एक दिन
उसका कोई सामान
नहीं बिका और उसे बड़े
जोर से भूख भी लग
रही थी. उसने तय
किया कि अब वह जिस
भी दरवाजे पर जायेगा,
उससे खाना मांग लेगा.
दरवाजा खटखटाते ही एक
लड़की ने दरवाजा खोला,
जिसे देखकर वह
घबरा गया और बजाय
खाने के उसने...
पानी का एक गिलास
माँग लिया.लड़की ने
भांप लिया था कि वह
भूखा है, इसलिए वह
........एक बड़ा गिलास दूध
का ले आई. लड़के ने धीरे-
धीरे दूध पी लिया."
कितने पैसे दूं?" लड़के ने
पूछा.
" पैसे किस बात के?"
लड़की ने जवाव में कहा."
माँ ने मुझे सिखाया है
कि जब भी किसी पर
दया करो तो उसके पैसे
नहीं लेने चाहिए."
लडका-
तो फिर मैं आपको दिल से
धन्यबाद देताहूँ.
"जैसे
ही उस लड़के ने वह घर
छोड़ा, उसे न केवल
शारीरिक तौर पर
शक्ति मिल चुकी थी ,
बल्कि उसका भगवान् और
इंसानो पर भरोसा और
भी बढ़ गया था.
अब .....कई सालों बाद वह
लड़की गंभीर रूप से
बीमार पड़ गयी. लोकल
डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े
अस्पताल में इलाज के लिए
भेज दिया. विशेषज्ञ
डॉक्टर होवार्ड
को मरीज देखने के
लिए बुलाया गया.
वह एकदम आफिस कि सीट से
उठा और उस लड़की के कमरे
में गया. उसने उस
लड़की को देखा, एकदम से बिमारी को
पहचान लिया और कहा ईलाज महंगा पडेगा तो पता चला लडकी के साथ कोई नही फिर उसने तय कर
लिया कि वह उसकी जान
बचाने के लिए जमीन-
आसमान एक कर
देगा..उसकी मेहनत और
लगन रंग लायी और उस
लड़की कि जान बच गयी.
डॉक्टर ने अस्पताल के
ऑफिस में जा कर उस
लड़की के इलाज का बिल
लिया. उस बिल के कौने में
एक नोट लिखा और उसे उस
लड़की के पास
भिजवा दिया लड़की बिल
का लिफाफा देखकर
घबरा गयी,
उसे मालूम
था कि वह बीमारी से
तो वह बच गयी है लेकिन
बिल कि रकम जरूर
उसकी जान लेलेगी. फिर
भी उसने धीरे से बिल
खोला, रकम को देखा और
फिर अचानक उसकी नज़र
बिल के कौने में पेन से लिखे
नोट पर गयी,
जहाँ लिखा था," एक
गिलास दूध द्वारा इस
बिल का भुगतान
किया जा चुका है." नीचे
डॉक्टर होवार्ड के
हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और
अचम्भे से उस लड़की के
आंसू टपक पड़े उसने
ऊपर कि और दोनों हाथ
उठा कर कहा,"
हे भगवान!
आपका बहुत-बहुत
धन्यवाद,
आपका प्यार
इंसानों के दिलों और
हाथों द्वारा न जाने
कहाँ- कहाँ फैल चुका है.
तू हम इंसानो से कहाँ क्या करवाता है येँ तू हि जानता है तू गजब है गजब.....
MOHABBAT
MOHABBAT Bhi Zindagi Ki Trah Hoti Hai
Jiska HAr MOD Aasan Nahi Hota.!
Par Jab Hum Zindagi Ka Sath Nhi ChoDte HAI,
Toh MOHBBAT Ka Sath Q ChoDe..??
..
Jiska HAr MOD Aasan Nahi Hota.!
Par Jab Hum Zindagi Ka Sath Nhi ChoDte HAI,
Toh MOHBBAT Ka Sath Q ChoDe..??
..
17/05/2012
CAN YOU BELIVE .?
Read With HEArt...
1 bar sari feelings ne decide kiya ki wo log
chupaM- chupai khelenge..
Dard ne counting start ki aur baki feelings chhup gayi.....jhut ped ke peeche chupa aur pyar gulab ki jhadiyon ke peeche.. ...
Sab pakde gaye siwaye pyar ke.....
Yeh dekh jelesy ne dard ko bata diya ki pyar kahan chupa hai..
dard ne pyar ko khich ke nikala to kaanto ki wajah se pyar ki aankhe kharab ho gayi , aur
wo andha ho gaya .
yeh dekh bhagwan ne dard ko saja sunai ki use jindagi bhar pyar k sath rehna padega.... Tab se pyar Andha hai aur jaha bhi jata hai Dard deta hai...
Its Ture Fact
1 bar sari feelings ne decide kiya ki wo log
chupaM- chupai khelenge..
Dard ne counting start ki aur baki feelings chhup gayi.....jhut ped ke peeche chupa aur pyar gulab ki jhadiyon ke peeche.. ...
Sab pakde gaye siwaye pyar ke.....
Yeh dekh jelesy ne dard ko bata diya ki pyar kahan chupa hai..
dard ne pyar ko khich ke nikala to kaanto ki wajah se pyar ki aankhe kharab ho gayi , aur
wo andha ho gaya .
yeh dekh bhagwan ne dard ko saja sunai ki use jindagi bhar pyar k sath rehna padega.... Tab se pyar Andha hai aur jaha bhi jata hai Dard deta hai...
Its Ture Fact
SELF MOTIVATION-
मेरे विचार मेँ एक छोटा सा विचार या किसी के द्वारा कही गयी छोटी सी बात या कोई घटना व्यक्ति के जीवन को झनझोरकर रख देती है किसी भी कार्य को करने
के लिये कहीं न कहीं से
प्रेरणा मिलनी बहुत
ही आवश्यक है और उससे
भी अधिक जरूरी है स्व-
प्रेरणा (Self
Motivation) ।
आदमी यदि स्वयं
को प्रेरित
नहीं करेगा तो अपने
कार्य को सही ढंग से
कभी भी नहीं कर पायेगा।
मैं
तो आज से इस यकिन पर कि आप अपने हर कार्य को ओर एक सकारात्मक सोच करेँगे ओर इस उम्मीद पर के प्रेरित
कर रहा हूँ कि
आपको भी स्वयं
को प्रेरणा देनी होगी।
MKT
के लिये कहीं न कहीं से
प्रेरणा मिलनी बहुत
ही आवश्यक है और उससे
भी अधिक जरूरी है स्व-
प्रेरणा (Self
Motivation) ।
आदमी यदि स्वयं
को प्रेरित
नहीं करेगा तो अपने
कार्य को सही ढंग से
कभी भी नहीं कर पायेगा।
मैं
तो आज से इस यकिन पर कि आप अपने हर कार्य को ओर एक सकारात्मक सोच करेँगे ओर इस उम्मीद पर के प्रेरित
कर रहा हूँ कि
आपको भी स्वयं
को प्रेरणा देनी होगी।
MKT
KYA AAP KAMJOR HAI-
ईश्वर को किसी की हत्या द्वारा प्रसन्न करना मुझे उचित नही लगता !
क्या आपने
कभी किसी देवी-देवता
पर शेर,
हाथी या घोड़े जैसे
जानवर की बलि चढ़ाते
देखा है या सुना है? शायद नही ,
उन्हें केवल बकरे
की बलि दी जाती है,
क्योंकि बकरा एक कमजोर
जानवर होता है।
इसका साफ मतलब है कि
कमजोर
की रक्षा भगवान
भी नहीं करते। इसलिये
यदि आप अपने आप
का भला चाहते हैं
तो अपनी सारी कमजोरी
को निकाल कर फेंक दें।इसका अर्थ ये बिलकुल नही है कि ईश्वर मदद नही करता! वो मदद करता है पर उसकी जो स्वयं की मदद करता है! MKT
क्या आपने
कभी किसी देवी-देवता
पर शेर,
हाथी या घोड़े जैसे
जानवर की बलि चढ़ाते
देखा है या सुना है? शायद नही ,
उन्हें केवल बकरे
की बलि दी जाती है,
क्योंकि बकरा एक कमजोर
जानवर होता है।
इसका साफ मतलब है कि
कमजोर
की रक्षा भगवान
भी नहीं करते। इसलिये
यदि आप अपने आप
का भला चाहते हैं
तो अपनी सारी कमजोरी
को निकाल कर फेंक दें।इसका अर्थ ये बिलकुल नही है कि ईश्वर मदद नही करता! वो मदद करता है पर उसकी जो स्वयं की मदद करता है! MKT
16/05/2012
KAVITA
एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ
जाए
पास प्यासे के कुँआ
आता नहीं है
ये कहावत है
अमरवाणी नहीं है
और जिसके पास देने को न
कुछ भी
एक
भी ऎसा यहाँ प्राणी नहीं
है
कर स्वयं हर गीत
का शृंगार
जाने देवता को कौन-
सा भा जाए
चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ़
दर्पण
किन्तु
आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं
आदमी से रूठ जाता है
सभी कुछ
पर समस्याएँ
कभी रूठी नहीं हैं
हर छलकते अश्रु को कर
प्यार
जाने आत्मा को कौन
सा नहला जाए
व्यर्थ है करना ख़ुशामद
रास्तों की
काम अपने पाँव ही आते
सफ़र में
वह न ईश्वर के उठाए
भी उठेगा
जो स्वयं गिर जाए
अपनी ही नज़र में
हर लहर का कर प्रणय
स्वीकार
जाने कौन तट के पास
पहुँचा जाए
»
वक्त क़ी सीधी-
सी पहचान
मैं बतलाऊँ वक्त क़ी,
सीधी-सी पहचान।
जितना मुश्क़िल आज है, कल
उतना आसान॥
जाने कब समंदर मांगने आ
जाए
पास प्यासे के कुँआ
आता नहीं है
ये कहावत है
अमरवाणी नहीं है
और जिसके पास देने को न
कुछ भी
एक
भी ऎसा यहाँ प्राणी नहीं
है
कर स्वयं हर गीत
का शृंगार
जाने देवता को कौन-
सा भा जाए
चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ़
दर्पण
किन्तु
आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं
आदमी से रूठ जाता है
सभी कुछ
पर समस्याएँ
कभी रूठी नहीं हैं
हर छलकते अश्रु को कर
प्यार
जाने आत्मा को कौन
सा नहला जाए
व्यर्थ है करना ख़ुशामद
रास्तों की
काम अपने पाँव ही आते
सफ़र में
वह न ईश्वर के उठाए
भी उठेगा
जो स्वयं गिर जाए
अपनी ही नज़र में
हर लहर का कर प्रणय
स्वीकार
जाने कौन तट के पास
पहुँचा जाए
»
वक्त क़ी सीधी-
सी पहचान
मैं बतलाऊँ वक्त क़ी,
सीधी-सी पहचान।
जितना मुश्क़िल आज है, कल
उतना आसान॥
good thought
Distance never breaks any relation,
Closeness never builds any relation..
If feelings are true from heart,then Friends are Friends even miles apart.
Closeness never builds any relation..
If feelings are true from heart,then Friends are Friends even miles apart.
THE REAL THOUGHT
:
Ye Mohabbat, Ye wafa to un dino ki baat hai dosto...
*
*
Jab Makaan kacche Aur Log Sacche hua karte the. -
Ye Mohabbat, Ye wafa to un dino ki baat hai dosto...
*
*
Jab Makaan kacche Aur Log Sacche hua karte the. -
15/05/2012
motivation
प्रेरित
होने का अर्थ है कुछ करने
की पूर्ण मन से तैयारी ओर बाधाओँ से लडने कि हिम्मत!
प्रेरणा का मतलब उस
लक्ष्य के लिए कार्य करने
को तैयार
रहना जो कि अपनी
सफलता का मार्ग प्रशस्त
करता है ।
“आप किसी को प्रेरित
नहीं करते हैं।बल्कि आप केवल
उस शक्ति का एहसास कराते है ओर उसके अन्दर स्वयं में शक्ति
खोजने में सहयोग करते
हैं।”
होने का अर्थ है कुछ करने
की पूर्ण मन से तैयारी ओर बाधाओँ से लडने कि हिम्मत!
प्रेरणा का मतलब उस
लक्ष्य के लिए कार्य करने
को तैयार
रहना जो कि अपनी
सफलता का मार्ग प्रशस्त
करता है ।
“आप किसी को प्रेरित
नहीं करते हैं।बल्कि आप केवल
उस शक्ति का एहसास कराते है ओर उसके अन्दर स्वयं में शक्ति
खोजने में सहयोग करते
हैं।”
A MOTIVATION STORY
एक
अंधी लड़की कैसे प्रेरित
हुई ?
मैं एक 12 वर्ष
की लड़की तसनीम के बारे
में बताना चाहूँगा। 6 वर्ष
पहले एक गांव छोड़ कर
शहर में आकर बस गये। तब से
वह अंध विद्यालय में
निरन्तर पढ़ने
जा रही थी। पर वह कुछ
भी नहीं सीख पाई । उसके
माता-पिता ने
सोचा कि वह दिमाग से
कमजोर है। अतः उन्होंने
शहर के कई चिकित्सकों से
परामर्श लिया, पर सब
व्यर्थ रहा। फिर उन्होंने
मुम्बई हाँस्पिटल में
भी दिखाया। कोई लाभ
नहीं हुआ।
एक दिन वह लड़की अपने
पिता के साथ मेरे घर आई।
मैने उससे पूछा कि वह
क्यों नहीं पढ़ना चाहती है? उसका उत्तर था, ‘‘पढ़ने
का कोई लाभ नहीं है।’’
मैंने उसे उसकी बुआ अजब के
जीवन के बारे में बताया।
उसके केरियर के बारे में
बताया कि कैसे अजब ने
लकवाग्रस्त होते हुए
भी अपना केरियर
बनाया। उससे
पूछा कि क्यों तुम्हारी मां
घर में ही रहती हैं और
तुम्हारी बुआ
नौकरी करती हैं। मैने
दोनों का अन्तर उसे
समझाया। जब उसे समझ में
आया कि अजब,
उसकी बुआ,अधिकारी है
अपनी पढ़ाई की वजह से
वह आज किसी पर
आश्रित नहीं है। और
चूंकि उसकी मां पढ़ी-
लिखी नहीं है,तो उसे घर में
ही रहना पड़ता है। मैने,
तसनीम
को समझाया कि उसमें और
उसकी माँ में भी अन्तर है।
मैने उससे कुछ प्रश्न
किये,‘‘तुमसे कौन
शादी करेगा ?’’ ‘‘एक दिन
जब तुम्हारे माता-
पिता नहीं होंगे, कौन
तुम्हारी देख-भाल
करेगा ?’’ ‘‘क्या तुम
अपनी बुआ की तरह
अधिकारी बनना चाहोगीँ?
’’अजब अधिकारी कैसे
बनी, यह मैने उसे
समझाया। इस पाँच
मिनिट की वार्ता से वह
सीखने-पढ़ने को तैयार
हो गई। उसके पश्चात् उसमे वो लगन पैदा हुई कि
एक माह में ही उसने वह सब
सीख लिया जो वह पिछले
पाँच वर्षों में नहीं सीख
सकी थी। मैने सिर्फ
अध्ययन
की आवश्यकता की प्रेरणा
दी। मैने उसकी
मान्यताओं ओर सोच को बदला
विश्वासों को जगाया कि वो किसी से कम नही ओर वो अधुरी भी नही है।
मैने आधारभूत
आवश्यकताओं पर
प्रहार किया और वह
प्रेरित हो गई।
आज वो सफल है!
मैँ भुल गया पर उसे वो 5 मिनिट आज भी याद है
अंधी लड़की कैसे प्रेरित
हुई ?
मैं एक 12 वर्ष
की लड़की तसनीम के बारे
में बताना चाहूँगा। 6 वर्ष
पहले एक गांव छोड़ कर
शहर में आकर बस गये। तब से
वह अंध विद्यालय में
निरन्तर पढ़ने
जा रही थी। पर वह कुछ
भी नहीं सीख पाई । उसके
माता-पिता ने
सोचा कि वह दिमाग से
कमजोर है। अतः उन्होंने
शहर के कई चिकित्सकों से
परामर्श लिया, पर सब
व्यर्थ रहा। फिर उन्होंने
मुम्बई हाँस्पिटल में
भी दिखाया। कोई लाभ
नहीं हुआ।
एक दिन वह लड़की अपने
पिता के साथ मेरे घर आई।
मैने उससे पूछा कि वह
क्यों नहीं पढ़ना चाहती है? उसका उत्तर था, ‘‘पढ़ने
का कोई लाभ नहीं है।’’
मैंने उसे उसकी बुआ अजब के
जीवन के बारे में बताया।
उसके केरियर के बारे में
बताया कि कैसे अजब ने
लकवाग्रस्त होते हुए
भी अपना केरियर
बनाया। उससे
पूछा कि क्यों तुम्हारी मां
घर में ही रहती हैं और
तुम्हारी बुआ
नौकरी करती हैं। मैने
दोनों का अन्तर उसे
समझाया। जब उसे समझ में
आया कि अजब,
उसकी बुआ,अधिकारी है
अपनी पढ़ाई की वजह से
वह आज किसी पर
आश्रित नहीं है। और
चूंकि उसकी मां पढ़ी-
लिखी नहीं है,तो उसे घर में
ही रहना पड़ता है। मैने,
तसनीम
को समझाया कि उसमें और
उसकी माँ में भी अन्तर है।
मैने उससे कुछ प्रश्न
किये,‘‘तुमसे कौन
शादी करेगा ?’’ ‘‘एक दिन
जब तुम्हारे माता-
पिता नहीं होंगे, कौन
तुम्हारी देख-भाल
करेगा ?’’ ‘‘क्या तुम
अपनी बुआ की तरह
अधिकारी बनना चाहोगीँ?
’’अजब अधिकारी कैसे
बनी, यह मैने उसे
समझाया। इस पाँच
मिनिट की वार्ता से वह
सीखने-पढ़ने को तैयार
हो गई। उसके पश्चात् उसमे वो लगन पैदा हुई कि
एक माह में ही उसने वह सब
सीख लिया जो वह पिछले
पाँच वर्षों में नहीं सीख
सकी थी। मैने सिर्फ
अध्ययन
की आवश्यकता की प्रेरणा
दी। मैने उसकी
मान्यताओं ओर सोच को बदला
विश्वासों को जगाया कि वो किसी से कम नही ओर वो अधुरी भी नही है।
मैने आधारभूत
आवश्यकताओं पर
प्रहार किया और वह
प्रेरित हो गई।
आज वो सफल है!
मैँ भुल गया पर उसे वो 5 मिनिट आज भी याद है
INSAN OR BAT
"Behtreen Insaan Apni Mithi Jubaan Se Jana Jata Hai.....
Wrna Achhi Batein To Deewaro Par Bhi Likhi Hoti Hai...
Wrna Achhi Batein To Deewaro Par Bhi Likhi Hoti Hai...
14/05/2012
HARE KRISNA
आप कृष्ण से बेहतर है!
आपकी स्थिति कृष्ण से
बेहतर है!
अरे! हॅसने
की जरुरत नहीं है।
इसके लिए श्री कृष्ण के
जीवन से अपने जीवन
की परिस्थिति की
तुलना करने की जरुरत
है।
हमारे में से किसी का जन्म
जेल में नही हुआ।
जबकि योगेश्वर कृष्ण
का जन्म जेल में हुआ था।
उनके मां बाप
दोनों राजा होकर कंस के
वहाँ बन्दी थे।
आपके
मां बाप आपके जन्म के समय
बन्दी तो न थे।
किसी ने तुम्हें स्तनों पर
जहर लगाकर दूध तो न
पिलाया ?
जबकि पूतना ने कृष्ण
को मारने के लिए यह
किया था।
मां बाप के
होते हुए कृष्ण यशोदा केे
पास पले।
हमारे मे से
अधिकतर लोगों का पालन
पोषण तो हमारी मां ने
ही किया है।
बचपन में उन्हें गाय चराने
भेजा गया।
मुख्यतः हममे से
किसी को भी जानवरों को
चराने के लिए
तो नहीं भेजा गया।
कम से कम आपके
मामा आपको मारना तो
नहीं चाहते थे ?
कृष्ण
को उनकी प्रेमिका राधा
बिछुड़ने के बाद शेष जीवन
में फिर कभी ना मिली।
राजा होकर महाभारत के
युद्ध में अर्जुन का रथ
संचालन करना पड़ा। आज
की भाषा में कहे तो वाहन
चालक
की भूमिका निभानी पड़ी।
फिर
चिन्ता की क्या बात है।?
हुई न
आपकी स्थिति कृष्ण से
बेहतर ।
भगवान ने विपरीत
परिस्थितियों के होते हुए
महान् कार्य किये।
यदि अपमेँ भी आत्म छवि एवं
आत्म विश्वास है तो आप
भी अपना सोचा प्राप्त
कर सकते है। आपका आत्म
बल ही आपको सफलता व
सुख दिला सकती है।
आपकी स्थिति कृष्ण से
बेहतर है!
अरे! हॅसने
की जरुरत नहीं है।
इसके लिए श्री कृष्ण के
जीवन से अपने जीवन
की परिस्थिति की
तुलना करने की जरुरत
है।
हमारे में से किसी का जन्म
जेल में नही हुआ।
जबकि योगेश्वर कृष्ण
का जन्म जेल में हुआ था।
उनके मां बाप
दोनों राजा होकर कंस के
वहाँ बन्दी थे।
आपके
मां बाप आपके जन्म के समय
बन्दी तो न थे।
किसी ने तुम्हें स्तनों पर
जहर लगाकर दूध तो न
पिलाया ?
जबकि पूतना ने कृष्ण
को मारने के लिए यह
किया था।
मां बाप के
होते हुए कृष्ण यशोदा केे
पास पले।
हमारे मे से
अधिकतर लोगों का पालन
पोषण तो हमारी मां ने
ही किया है।
बचपन में उन्हें गाय चराने
भेजा गया।
मुख्यतः हममे से
किसी को भी जानवरों को
चराने के लिए
तो नहीं भेजा गया।
कम से कम आपके
मामा आपको मारना तो
नहीं चाहते थे ?
कृष्ण
को उनकी प्रेमिका राधा
बिछुड़ने के बाद शेष जीवन
में फिर कभी ना मिली।
राजा होकर महाभारत के
युद्ध में अर्जुन का रथ
संचालन करना पड़ा। आज
की भाषा में कहे तो वाहन
चालक
की भूमिका निभानी पड़ी।
फिर
चिन्ता की क्या बात है।?
हुई न
आपकी स्थिति कृष्ण से
बेहतर ।
भगवान ने विपरीत
परिस्थितियों के होते हुए
महान् कार्य किये।
यदि अपमेँ भी आत्म छवि एवं
आत्म विश्वास है तो आप
भी अपना सोचा प्राप्त
कर सकते है। आपका आत्म
बल ही आपको सफलता व
सुख दिला सकती है।
NICE LINE
Friends meet by coincidence and spend sweet times together.. Then god separates them. Not to end the story bUt to sée how long they remember each other....
KOSHIS
कोशिश करना हमारी फितरत होनी चाहियेँ
मैं आपको बता दूँ
कि किसी भी नये
काम को करने में
अवश्य ही बहुत
सारी कठिनाइयाँ आती हैं
किन्तु यदि हम
ठान लें कि इस
काम को करके रहेंगे
तो उस कार्य
को हम अवश्य
ही कर सकते हैं।
“जब मानव जोर
लगाता है,
पत्थर पानी बन
जाता है”
तो जरूरत है
तो आत्म विश्वास
की, स्व-
प्रेरणा की।
कठिनाइयों से
डरना नहीं है
बल्कि लड़ना है।
निराशा को समाप्त
करना है। नई राहें
खोजनी है।
मैं आपको बता दूँ
कि किसी भी नये
काम को करने में
अवश्य ही बहुत
सारी कठिनाइयाँ आती हैं
किन्तु यदि हम
ठान लें कि इस
काम को करके रहेंगे
तो उस कार्य
को हम अवश्य
ही कर सकते हैं।
“जब मानव जोर
लगाता है,
पत्थर पानी बन
जाता है”
तो जरूरत है
तो आत्म विश्वास
की, स्व-
प्रेरणा की।
कठिनाइयों से
डरना नहीं है
बल्कि लड़ना है।
निराशा को समाप्त
करना है। नई राहें
खोजनी है।
DIFFERENCE-
एक सफल और असफल
व्यक्ति में
क्या अन्तर है ?
एक सफल और असफल
व्यक्ति में सिर्फ
मामूली अन्तर होता है।
हम सब आदतों के
शिकार होते हैं। सफल
व्यक्ति सजगता से
अपना विश्लेषण करते हुए
नई आदतें डालता है।
जबकि असफल
व्यक्ति बेहोशी में पुराने
ढर्रे पर चलता रहता हैं।
दूसरा, सफल व्यक्ति जाने-
अनजाने
सफलता प्राप्ति के कुछ
उपाय अपनाता है।
जबकि असफल
व्यक्ति उनका उपयोग
नहीं करता है।
अन्यथा प्रत्येक
व्यक्ति में
सफलता प्राप्ति असीमित
शक्ति एवं अनन्त
क्षमता की विद्यमान
होती है।
एक असफल व्यक्ति अपने
भीतर छिपी अनन्त
क्षमताओं, असीमित
शक्तियों एवं ढेर-
सारी सफलता प्राप्ति क
अवगत नहीं होता है।
मनुष्य ऊर्जा का भण्डार
है। वह ऊर्जा के पुंज के
अतिरिक्त कुछ नहीं है।
जैसा कि आधुनिक शोध
बताते हंै कि एक औसत
व्यक्ति अपनी उपलब्ध
क्षमता का सिर्फ 5 से 8
प्रतिशत ही उपयोग
करता है। यहाँ तक
कहा जाता है कि
स्वामी विवेकानन्द एवं
आईन्सटाईन जैसे
विद्वान
भी अपनी क्षमता का 50
प्रतिशत भाग ही उपयोग
कर सके।
अतः आपमें असीमित
शक्ति एवं क्षमता उपलब्ध
है। अब
प्रश्न यह है कि आप
अपने भीतर कि
शक्ति,
क्षमता एवं
स्रोतों का
सफलता-
प्राप्ति के लिए उपयोग
किस तरह से ओर कैसे करते है?
व्यक्ति में
क्या अन्तर है ?
एक सफल और असफल
व्यक्ति में सिर्फ
मामूली अन्तर होता है।
हम सब आदतों के
शिकार होते हैं। सफल
व्यक्ति सजगता से
अपना विश्लेषण करते हुए
नई आदतें डालता है।
जबकि असफल
व्यक्ति बेहोशी में पुराने
ढर्रे पर चलता रहता हैं।
दूसरा, सफल व्यक्ति जाने-
अनजाने
सफलता प्राप्ति के कुछ
उपाय अपनाता है।
जबकि असफल
व्यक्ति उनका उपयोग
नहीं करता है।
अन्यथा प्रत्येक
व्यक्ति में
सफलता प्राप्ति असीमित
शक्ति एवं अनन्त
क्षमता की विद्यमान
होती है।
एक असफल व्यक्ति अपने
भीतर छिपी अनन्त
क्षमताओं, असीमित
शक्तियों एवं ढेर-
सारी सफलता प्राप्ति क
अवगत नहीं होता है।
मनुष्य ऊर्जा का भण्डार
है। वह ऊर्जा के पुंज के
अतिरिक्त कुछ नहीं है।
जैसा कि आधुनिक शोध
बताते हंै कि एक औसत
व्यक्ति अपनी उपलब्ध
क्षमता का सिर्फ 5 से 8
प्रतिशत ही उपयोग
करता है। यहाँ तक
कहा जाता है कि
स्वामी विवेकानन्द एवं
आईन्सटाईन जैसे
विद्वान
भी अपनी क्षमता का 50
प्रतिशत भाग ही उपयोग
कर सके।
अतः आपमें असीमित
शक्ति एवं क्षमता उपलब्ध
है। अब
प्रश्न यह है कि आप
अपने भीतर कि
शक्ति,
क्षमता एवं
स्रोतों का
सफलता-
प्राप्ति के लिए उपयोग
किस तरह से ओर कैसे करते है?
SAYING ABOUT LOVE
In our lives there are
many things to be
grateful for, therefore
we should always start
each day with a
grateful and loving
heart, and try to
always go through each
day until the end with
the same attitude.
We all have different
things to be grateful
for, and while some of
us are blessed more
abundantly in areas
where others may lack,
we can all name at
least one thing to be
grateful for. For
example, we have all
been given this day so
that we have more
time to do what means
the most to us. Not
every one who was
blessed with life
yesterday has the
ability to say that they
were blessed with
more life today.
many things to be
grateful for, therefore
we should always start
each day with a
grateful and loving
heart, and try to
always go through each
day until the end with
the same attitude.
We all have different
things to be grateful
for, and while some of
us are blessed more
abundantly in areas
where others may lack,
we can all name at
least one thing to be
grateful for. For
example, we have all
been given this day so
that we have more
time to do what means
the most to us. Not
every one who was
blessed with life
yesterday has the
ability to say that they
were blessed with
more life today.
13/05/2012
BEST METHOD FOR OUR MIND
स्मरणशक्ति एक
ऐसा विषय है जिसके बारे
में हर कोई
जानना चाहता है। चाहे
विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति
या कोई भी व्यक्ति तो आइए हम जाने जिसका क्रम निम्न हैँ- पेज 4,पेज 3 ,पेज 2, पेज 1
ऐसा विषय है जिसके बारे
में हर कोई
जानना चाहता है। चाहे
विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति
या कोई भी व्यक्ति तो आइए हम जाने जिसका क्रम निम्न हैँ- पेज 4,पेज 3 ,पेज 2, पेज 1
पेज4* मनोरंजन हमारे जीवन
का जरूरी हिस्सा है।
परीक्षा के दिनों में
मनोरंजन का समय घटा दें,
लेकिन खुद को मनोरंजन
की दुनिया से पूरी तरह
अलग न करें। थोड़ा समय
निकालकर हल्का-
फुल्का संगीत, हल्की-
फुल्की कॉमेडी फिल्म
या धारावाहिक अवश्य
देखें।
* अगर माता-पिता ने
आपके सामने बहुत कठिन
लक्ष्य रख दिया है,
आपको लगता है कि आप उसे
हासिल नहीं कर पाएँगे,
तो उनसे स्पष्ट शब्दों में
कहें कि आप कोशिश करेंगे
लेकिन आपकी क्षमता से
यह लक्ष्य बड़ा है। अगर वे
फिर भी उसे बार-बार आप
पर थोपते हैं तो इसे
नाकका प्रश्न न बनाएँ।
धैर्यपूर्वक उतना करें,
जितना आप कर सकते हैं।
अनावश्यक तनाव न पालें।
* अगर आप तनाव में हैं
या फिर
आपको किसी तरह
की घबराहट
या बेचैनी हो रही है
तो जल्दी ही घर के
किसी सदस्य को या फिर
करीबी मित्र को बताएँ।
अगर आपको लगता है
कि आपकी बात कोई
नहीं सुनेगा तो किसी हेल्पलाइन
पर फोन करें। वे
आपका मार्गदर्शन करेंगे।
परीक्षा के दिनों में
बच्चों के लिए विशेष
हेल्पलाइन शुरू
की जाती हैं।
इनकी जानकारी सभी अखबारों में
मिल जाती है।
का जरूरी हिस्सा है।
परीक्षा के दिनों में
मनोरंजन का समय घटा दें,
लेकिन खुद को मनोरंजन
की दुनिया से पूरी तरह
अलग न करें। थोड़ा समय
निकालकर हल्का-
फुल्का संगीत, हल्की-
फुल्की कॉमेडी फिल्म
या धारावाहिक अवश्य
देखें।
* अगर माता-पिता ने
आपके सामने बहुत कठिन
लक्ष्य रख दिया है,
आपको लगता है कि आप उसे
हासिल नहीं कर पाएँगे,
तो उनसे स्पष्ट शब्दों में
कहें कि आप कोशिश करेंगे
लेकिन आपकी क्षमता से
यह लक्ष्य बड़ा है। अगर वे
फिर भी उसे बार-बार आप
पर थोपते हैं तो इसे
नाकका प्रश्न न बनाएँ।
धैर्यपूर्वक उतना करें,
जितना आप कर सकते हैं।
अनावश्यक तनाव न पालें।
* अगर आप तनाव में हैं
या फिर
आपको किसी तरह
की घबराहट
या बेचैनी हो रही है
तो जल्दी ही घर के
किसी सदस्य को या फिर
करीबी मित्र को बताएँ।
अगर आपको लगता है
कि आपकी बात कोई
नहीं सुनेगा तो किसी हेल्पलाइन
पर फोन करें। वे
आपका मार्गदर्शन करेंगे।
परीक्षा के दिनों में
बच्चों के लिए विशेष
हेल्पलाइन शुरू
की जाती हैं।
इनकी जानकारी सभी अखबारों में
मिल जाती है।
पेज3 *नया करने की सोच रखिए।
हमेशा नए आइडियाज
को सामने आने दें। इसके
लिए एक बच्चे की तरह
सोचना ही काफी है।
बच्चे सकारात्मक ऊर्जा,
विस्मित भाव और
उत्सुकता से सोचते हैं। अपने
आपको दिवास्वप्न देखने
दीजिए। इससे मस्तिष्क
तीक्ष्ण होगा और दिमाग
की ताकत भी बढ़ेगी। अपने
आपको केवल एक
ही व्यक्ति न बनने दें। एक
ही व्यक्ति में बहुत सारे
व्यक्तित्व पैदा कीजिए।
आप जितने अधिक से अधिक
हो सकते हैं, उतने
तरीकों से सोचिए।
कोई गलती न कर बैठें, इस
विचार पर लगाम
दीजिए। इस दुनिया में
कोई परफेक्ट नहीं होता,
कभी हो भी नहीं सकेगा।
इसलिए अपनी गलतियों से
सीखिए। नई
चीजों को आजमाने से न
डरें, क्योंकि नई चीजों के
प्रयोग से आपके दिमाग में
कई नए विचार भी आ सकते
हैं। आप अपने दिमाग
को आश्चर्यचकित होने
दीजिए।
इससे नई कलात्मक
ऊर्जा का संचार
होगा और आप जो कर रहे
होते हैं, उसमें
इसका प्रतिबिंब दिखाई
देने लगता है। अपने आपसे
बातें कीजिए। हो सकता है
कि कोई इस प्रस्ताव
को मूर्खतापूर्ण मान ले,
लेकिन इससे बहुत
चमत्कारिक परिणाम आते
हैं। यदि आप किसी चीज
को खो बैठे हों तो उसे
खोजने में यह तकनीक
कारगर साबित
हो सकती है।
तनाव आपकी याददाश्त
को कमजोर कर सकता है,
इसलिए जरूरी है कि आप
कम से कम तनावग्रस्त रहें।
इससे आपको अपना दिमाग
तेज रखने में मदद मिल
सकती है।
आप जितने नाम याद कर
सकते हैं, करें। हर नाम के
साथ उस व्यक्ति के चेहरे
को फिट करने की कोशिश
करें। इससे निश्चित
ही आपके दिमाग
की खासी अच्छी कसरत
हो सकेगी।
अवसाद अक्सर याददाश्त
को कमजोर करता है।
यदि गहरे अवसाद में
हों तो चिकित्सकीय
सहायता लेने से न डरें।
हमेशा कुछ नया करने
का अर्थ है रूटीन से हटकर
कुछ करें।
अपनी जिंदगी को रोजाना के
रूटीन से दूर कर लें।
जो भी दिमाग में
नया आता है, उसे लिखने
की आदतडालें। जब भी पढ़ने
से बोर हो जाएँ, कोई नई
किताब हाथ में ले लें।
हो सकता है कि इससे
आपका ध्यान बोरिंग
रूटीन से हटकर अलग
हो जाए।
याद रखने के लिए
टिप्स
किसी भी बात को याद
रखने के लिए दिमाग उस
बात का अर्थ, मूल्य और
औचित्य के आधार पर तय
करता है। दिमाग
की प्राथमिकता भी इसी क्रम
में काम करती है।
याद रखने की सबसे
पहली सीढ़ी है अर्थ
जानना,
अतः किसी भी बात
को याद रखने से
उसका अर्थ जरूर समझिए।
यदि अर्थ ही समझ में
नहीं आया है तो रटने
का कोई मतलब नहीं है।
इसलिए पहले जिस बात
या पाठ को याद
रखना है, पहले उसका अर्थ
समझिए, फिर
उसका महत्व और मूल्य
समझिए इसके बाद आपके
जीवन में उस बात
का क्या औचित्य है यह
जानिए।
किसी बात के
प्रति आपका क्या रवैया है,
इससे उस बात को याद
रखने का सीधा संबंध है।
यदि आप किसी बात
को याद रखते समय उसके
प्रति सकारात्मक
रवैया रखेंगे तो वह बात
या पाठ
आपको पहली बार में
ही याद हो जाएगा।
किसी भी नई बात
को समझना आपके पहले से
अर्जित ज्ञान पर निर्भर
है, क्योंकि तब आप नई
बात
को उसकी कसौटी पर
रखकर जोड़ते हुए याद रख
लेंगे। आप जितना मूलभूत
ज्ञान बढ़ाते जाएँगे,
उतना नए ज्ञान
को समझना आसान
होता जाएगा। यही बात
याद रखने पर भी लागू
होतीहै।
प्राथमिकता के आधार
पर तय करें
प्राथमिकता के आधार पर
तय करें कि पहले क्या याद
करना जरूरी है। जरूरत
पड़ने पर इसके और टुकड़े कर
लें और फिर याद करें।
दिमाग पर सबसे
गहरा और लंबे समय तक
टिके रहने वाला प्रभाव
केवल
आकृतियों का होता है।
इसलिए किसी भी पाठ
को याद करते समय
उसकीएक आकृति अपने
मस्तिष्क में गढ़ लें। दिमाग
में आकृति बन जाने से याद
रखने वाला पाठ जरूरत
पड़ने पर तत्काल रिकॉल
किया जा सकता है।
परीक्षा की तैयारी
परीक्षा का तनाव
क्या होता है ?यह सवाल
आप किसी भी छात्र से करे
,तो उसके हिसाब से
दुनिया का सबसे
बड़ा तनाव यही है पूरे
साल मेहनत की है .पर अब
nervous हो रहे है |
पता नहीं क्या होगा ?
और अगर यह बोर्ड
परीक्षा है ,तो तनाव
होना असामान्य बात
नहीं है |लेकिन कुछ
बातो का ध्यान रख कर
बच्चे तनाव से बच सकते है
और अपनी परीक्षा में
अच्छा प्रदर्शन कर सकते
है
क्या करें छात्र
*परीक्षा के लिए लक्ष्य
तय करना जरूरी है।
अपनी क्षमता देखकर
ही अपना लक्ष्य तय करें।
वरना बाद में
निराशा होगी। अगर आप
9वीं कक्षा तक 65 प्रश
अंक लेकर पास होते रहे हैं
तो अपना लक्ष्य भी 65 से
75 प्रश अंकों का ही रखें।
85 या 90 प्रश
अंकों का लक्ष्य रखने से आप
भटक जाएँगे।
* ध्यान रहे, लगातार कई
घंटों तक पढ़कर कोई
बच्चा अच्छे अंक प्राप्त
नहीं कर सकता।
किताबी कीड़ा बनने
की जरूरत नहीं। पढ़ाई के
साथ थोड़ा समय
बाकी कामों के लिए
भी निकालें।
* सुबह की सैर के साथ-
साथ थोड़ा-बहुत
व्यायाम व खेलकूद
भी जरूरी है। इससे शरीर
को नई चुस्ती-
फुर्ती मिलती है,
जो कि शारीरिक व
मानसिक विकास के लिए
बहुत जरूरी है।
हमेशा नए आइडियाज
को सामने आने दें। इसके
लिए एक बच्चे की तरह
सोचना ही काफी है।
बच्चे सकारात्मक ऊर्जा,
विस्मित भाव और
उत्सुकता से सोचते हैं। अपने
आपको दिवास्वप्न देखने
दीजिए। इससे मस्तिष्क
तीक्ष्ण होगा और दिमाग
की ताकत भी बढ़ेगी। अपने
आपको केवल एक
ही व्यक्ति न बनने दें। एक
ही व्यक्ति में बहुत सारे
व्यक्तित्व पैदा कीजिए।
आप जितने अधिक से अधिक
हो सकते हैं, उतने
तरीकों से सोचिए।
कोई गलती न कर बैठें, इस
विचार पर लगाम
दीजिए। इस दुनिया में
कोई परफेक्ट नहीं होता,
कभी हो भी नहीं सकेगा।
इसलिए अपनी गलतियों से
सीखिए। नई
चीजों को आजमाने से न
डरें, क्योंकि नई चीजों के
प्रयोग से आपके दिमाग में
कई नए विचार भी आ सकते
हैं। आप अपने दिमाग
को आश्चर्यचकित होने
दीजिए।
इससे नई कलात्मक
ऊर्जा का संचार
होगा और आप जो कर रहे
होते हैं, उसमें
इसका प्रतिबिंब दिखाई
देने लगता है। अपने आपसे
बातें कीजिए। हो सकता है
कि कोई इस प्रस्ताव
को मूर्खतापूर्ण मान ले,
लेकिन इससे बहुत
चमत्कारिक परिणाम आते
हैं। यदि आप किसी चीज
को खो बैठे हों तो उसे
खोजने में यह तकनीक
कारगर साबित
हो सकती है।
तनाव आपकी याददाश्त
को कमजोर कर सकता है,
इसलिए जरूरी है कि आप
कम से कम तनावग्रस्त रहें।
इससे आपको अपना दिमाग
तेज रखने में मदद मिल
सकती है।
आप जितने नाम याद कर
सकते हैं, करें। हर नाम के
साथ उस व्यक्ति के चेहरे
को फिट करने की कोशिश
करें। इससे निश्चित
ही आपके दिमाग
की खासी अच्छी कसरत
हो सकेगी।
अवसाद अक्सर याददाश्त
को कमजोर करता है।
यदि गहरे अवसाद में
हों तो चिकित्सकीय
सहायता लेने से न डरें।
हमेशा कुछ नया करने
का अर्थ है रूटीन से हटकर
कुछ करें।
अपनी जिंदगी को रोजाना के
रूटीन से दूर कर लें।
जो भी दिमाग में
नया आता है, उसे लिखने
की आदतडालें। जब भी पढ़ने
से बोर हो जाएँ, कोई नई
किताब हाथ में ले लें।
हो सकता है कि इससे
आपका ध्यान बोरिंग
रूटीन से हटकर अलग
हो जाए।
याद रखने के लिए
टिप्स
किसी भी बात को याद
रखने के लिए दिमाग उस
बात का अर्थ, मूल्य और
औचित्य के आधार पर तय
करता है। दिमाग
की प्राथमिकता भी इसी क्रम
में काम करती है।
याद रखने की सबसे
पहली सीढ़ी है अर्थ
जानना,
अतः किसी भी बात
को याद रखने से
उसका अर्थ जरूर समझिए।
यदि अर्थ ही समझ में
नहीं आया है तो रटने
का कोई मतलब नहीं है।
इसलिए पहले जिस बात
या पाठ को याद
रखना है, पहले उसका अर्थ
समझिए, फिर
उसका महत्व और मूल्य
समझिए इसके बाद आपके
जीवन में उस बात
का क्या औचित्य है यह
जानिए।
किसी बात के
प्रति आपका क्या रवैया है,
इससे उस बात को याद
रखने का सीधा संबंध है।
यदि आप किसी बात
को याद रखते समय उसके
प्रति सकारात्मक
रवैया रखेंगे तो वह बात
या पाठ
आपको पहली बार में
ही याद हो जाएगा।
किसी भी नई बात
को समझना आपके पहले से
अर्जित ज्ञान पर निर्भर
है, क्योंकि तब आप नई
बात
को उसकी कसौटी पर
रखकर जोड़ते हुए याद रख
लेंगे। आप जितना मूलभूत
ज्ञान बढ़ाते जाएँगे,
उतना नए ज्ञान
को समझना आसान
होता जाएगा। यही बात
याद रखने पर भी लागू
होतीहै।
प्राथमिकता के आधार
पर तय करें
प्राथमिकता के आधार पर
तय करें कि पहले क्या याद
करना जरूरी है। जरूरत
पड़ने पर इसके और टुकड़े कर
लें और फिर याद करें।
दिमाग पर सबसे
गहरा और लंबे समय तक
टिके रहने वाला प्रभाव
केवल
आकृतियों का होता है।
इसलिए किसी भी पाठ
को याद करते समय
उसकीएक आकृति अपने
मस्तिष्क में गढ़ लें। दिमाग
में आकृति बन जाने से याद
रखने वाला पाठ जरूरत
पड़ने पर तत्काल रिकॉल
किया जा सकता है।
परीक्षा की तैयारी
परीक्षा का तनाव
क्या होता है ?यह सवाल
आप किसी भी छात्र से करे
,तो उसके हिसाब से
दुनिया का सबसे
बड़ा तनाव यही है पूरे
साल मेहनत की है .पर अब
nervous हो रहे है |
पता नहीं क्या होगा ?
और अगर यह बोर्ड
परीक्षा है ,तो तनाव
होना असामान्य बात
नहीं है |लेकिन कुछ
बातो का ध्यान रख कर
बच्चे तनाव से बच सकते है
और अपनी परीक्षा में
अच्छा प्रदर्शन कर सकते
है
क्या करें छात्र
*परीक्षा के लिए लक्ष्य
तय करना जरूरी है।
अपनी क्षमता देखकर
ही अपना लक्ष्य तय करें।
वरना बाद में
निराशा होगी। अगर आप
9वीं कक्षा तक 65 प्रश
अंक लेकर पास होते रहे हैं
तो अपना लक्ष्य भी 65 से
75 प्रश अंकों का ही रखें।
85 या 90 प्रश
अंकों का लक्ष्य रखने से आप
भटक जाएँगे।
* ध्यान रहे, लगातार कई
घंटों तक पढ़कर कोई
बच्चा अच्छे अंक प्राप्त
नहीं कर सकता।
किताबी कीड़ा बनने
की जरूरत नहीं। पढ़ाई के
साथ थोड़ा समय
बाकी कामों के लिए
भी निकालें।
* सुबह की सैर के साथ-
साथ थोड़ा-बहुत
व्यायाम व खेलकूद
भी जरूरी है। इससे शरीर
को नई चुस्ती-
फुर्ती मिलती है,
जो कि शारीरिक व
मानसिक विकास के लिए
बहुत जरूरी है।
पेज 2*यदि आपने उपरोक्त नियम
का ध्यान रखा तो आप यह
कहना भूल जाएँगे
कि मेरी याददाश्त
शक्ति कमजोर है।
कैसे रखें याद
परीक्षा के दिनों में
परीक्षा के दिनों में पाठ
याद
रखना किसी थका देने
वाली कसरत से कम
नहीं होता। कई बार याद
किया हुआ पाठ
परीक्षा हाल में घुसते
ही दिमाग
की अंधेरी गुफाओं में जाकर
छिप जाता है। पूरे तीन
घंटे बीत जाते हैं, लेकिन
हर कोशिश नाकाम
रहती है। जैसे ही आप
परीक्षा हाल से बाहर
आते हैं, सभी प्रश्नों के
उत्तर एक-एक करके सामने
आने लगते हैं।
ऐसे में
किसी दिमागी खलल
को दोष देना गलत है।
याद रखने के लिए
सदियों से विद्वान कुछ न
कुछ नया तजवीज करते आए
हैं। इन
नुस्खों को भी आजमाएँ,
हो सकता है कि इस बार
की परीक्षा में आप
भी बाजी मार ले जाएँ।
इस दुनिया में कोई
परफेक्ट नहीं होता,
कभी हो भी नहीं सकेगा।
इसलिए अपनी गलतियों से
सीखिए। नई
चीजों को आजमाने से न
डरें, क्योंकि नई चीजों के
प्रयोग से आपके दिमाग में
कई नए विचार भी आ सकते
हैं। आप अपने दिमाग
को आश्चर्यचकित होने
दीजिए।
आपके शरीर की तरह आपके
दिमाग को भी बेहतर
काम करने के लिए
व्यवस्थित
रहना जरूरी है। इसके लिए
कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं।
इनसे न सिर्फ
आपका दिमाग तेज गति से
काम करने लगेगा,
बल्कि परीक्षा के लिए
किसी भी पाठ को याद
रखना आसान हो जाएगा।
बढ़ाएँ दिमाग
की ताकत
आप दिमागी कसरत करने
के लिए अपने आपको तैयार
करें। दिमागी कसरत
शारीरिक कसरत से
भिन्ना होती है। हमारे
देश में शतरंज की ईजाद हुई
तो इसीलिए कि यह
दिमाग की सबसे कठिन
और जोरदार कसरत है।
खैर शतरंज
तो सभी नहीं खेलते हैं,
लेकिन क्रासबर्ड पजल्स
या कम्प्यूटर पर दिए गए
गेम सालिटायर
को तो लगभग सभी पसंद
करते हैं। आप इनसे शुरुआत
कर सकते हैं। आप यदि यह
भी नहीं करना चाहते हैं
तो आसान तरीका है
साधारण स्तर के
गुणा भाग अथवा जोड़
घटाव करना।
हफ्ते में एक बार कोई
कविता या जोक याद
करने की कोशिश करें। इससे
आपका दिमाग शेप में
रहेगा और इसकी ताकत
भी बढ़ेगी। हमेशा कुछ
नया करने की सोच रखिए।
का ध्यान रखा तो आप यह
कहना भूल जाएँगे
कि मेरी याददाश्त
शक्ति कमजोर है।
कैसे रखें याद
परीक्षा के दिनों में
परीक्षा के दिनों में पाठ
याद
रखना किसी थका देने
वाली कसरत से कम
नहीं होता। कई बार याद
किया हुआ पाठ
परीक्षा हाल में घुसते
ही दिमाग
की अंधेरी गुफाओं में जाकर
छिप जाता है। पूरे तीन
घंटे बीत जाते हैं, लेकिन
हर कोशिश नाकाम
रहती है। जैसे ही आप
परीक्षा हाल से बाहर
आते हैं, सभी प्रश्नों के
उत्तर एक-एक करके सामने
आने लगते हैं।
ऐसे में
किसी दिमागी खलल
को दोष देना गलत है।
याद रखने के लिए
सदियों से विद्वान कुछ न
कुछ नया तजवीज करते आए
हैं। इन
नुस्खों को भी आजमाएँ,
हो सकता है कि इस बार
की परीक्षा में आप
भी बाजी मार ले जाएँ।
इस दुनिया में कोई
परफेक्ट नहीं होता,
कभी हो भी नहीं सकेगा।
इसलिए अपनी गलतियों से
सीखिए। नई
चीजों को आजमाने से न
डरें, क्योंकि नई चीजों के
प्रयोग से आपके दिमाग में
कई नए विचार भी आ सकते
हैं। आप अपने दिमाग
को आश्चर्यचकित होने
दीजिए।
आपके शरीर की तरह आपके
दिमाग को भी बेहतर
काम करने के लिए
व्यवस्थित
रहना जरूरी है। इसके लिए
कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं।
इनसे न सिर्फ
आपका दिमाग तेज गति से
काम करने लगेगा,
बल्कि परीक्षा के लिए
किसी भी पाठ को याद
रखना आसान हो जाएगा।
बढ़ाएँ दिमाग
की ताकत
आप दिमागी कसरत करने
के लिए अपने आपको तैयार
करें। दिमागी कसरत
शारीरिक कसरत से
भिन्ना होती है। हमारे
देश में शतरंज की ईजाद हुई
तो इसीलिए कि यह
दिमाग की सबसे कठिन
और जोरदार कसरत है।
खैर शतरंज
तो सभी नहीं खेलते हैं,
लेकिन क्रासबर्ड पजल्स
या कम्प्यूटर पर दिए गए
गेम सालिटायर
को तो लगभग सभी पसंद
करते हैं। आप इनसे शुरुआत
कर सकते हैं। आप यदि यह
भी नहीं करना चाहते हैं
तो आसान तरीका है
साधारण स्तर के
गुणा भाग अथवा जोड़
घटाव करना।
हफ्ते में एक बार कोई
कविता या जोक याद
करने की कोशिश करें। इससे
आपका दिमाग शेप में
रहेगा और इसकी ताकत
भी बढ़ेगी। हमेशा कुछ
नया करने की सोच रखिए।
1.स्मरणशक्ति एक
ऐसा विषय है जिसके बारे
में हर कोई
जानना चाहता है। चाहे
विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति
,
गृहिणी हो या वृद्ध। आज
की आपाधापी के समय में
हर कोई यही कहता नजर
आता है
कि मेरी याददाश्त
कमजोर है या जो पढ़ता हूँ
याद नहीं रहता।
आजकल स्मरणशक्ति बढ़ाने
के लिए बाजार में तरह-
तरह के प्रोडक्ट्स आते हैं।
वास्तव में
किसी की भी स्मरणशक्ति कमजोर
नहीं होती, न ही इस पर
उम्र का कोई फर्क
पड़ता है। इस लेख में कुछ
आसान से नियम बताए
जा रहे हैं यदि उन पर
अमल कर लिया जाए
तो निश्चित
ही आपकी स्मरणशक्ति बगैर
दवा सेवन के बढ़ जाएगी व
आप यह भूल ही जाएँगे
कि मेरी स्मरणशक्ति कभी कमजोर
थी।
सबसे पहले हम ध्यान रखें
कि हमारे विचारों में
नकारात्मक सोच
नहीं आना चाहिए,
बल्कि सोच सदैव
सकारात्मक
होना चाहिए। हम
उपन्यास, कोई
भी कहानी या फिल्म
या नाटक आदि देखते है
तो हमें घटनाक्रम से लेकर
पात्रों के नाम,
कहानी आदि भी याद
रहते हैं। कभी-कभी गाने
भी याद रह जाते हैं।
आखिर
ऐसा क्यों होता है?
वास्तव में हम जब फिल्में
देख रहे होते हैं
या उपन्यास आदि पढ़ रहे
होते हैं या कोई नाटक देख
रहे होते हैं तब हम उसे
याद नहीं करते बस
हमारी आँखों के सामने से व
हमारी स्मृति पटल से
गुजारते जाते हैं।
क्योंकि हम उसे याद
नहीं करते और दिमाग पर
जोर नहीं डालते और बस
पढ़ते जाते हैं या सिर्फ
देखते जाते हैं और वह हमें
याद हो जाता है।
जब हम कोई
घटना या किसी का नाम
याद रखने की कोशिश
करते हैं तो हमारे
मस्तिष्क पर दबाव
पड़ता है और जब मस्तिष्क
पर दबाव पड़ता है तो वह
घटना या किसी का नाम
नाम याद नहीं आता! जैसे
ही हम उसे याद करना बंद
कर देते है व दूसरे काम में
लग जाते हैं तो वह
घटना हमें शीघ्र याद आ
जाती है क्योंकि उस वक्त
हम उसे याद नहीं करते।
जबकि हमें किसी कोर्स
की किताबो को पढ़ते हैं
तो या तो हम रटते हैं
या याद करने की कोशिश
करते हैं जबकि हमें पढ़ते
वक्त याद
नहीं करना चाहिए। बस
पढ़ते रहना चाहिए। याद
करने की कोशिश ही हमें
याद नहीं होने देती। जब
भी हम पढ़ने बैठते हैं
तो एक या दो पैरा पढ़कर
किताब बंद कर दें,
थोड़ी देर विश्राम करें
फिर जो पढ़ा है उसे एक
कॉपी पर लिखें व मिलाएँ
कि हमने जो पढ़ा व
लिखा है उसमें कितना मेल
है। आप चकित रह जाएँगे
कि लगभग
जो पढ़ा था वही लिखा है।
धीरे-धीरे
यही क्रिया दोहराते
रहें। इस प्रकार हम
जो पढ़ेंगे उसे आसानी से
लिख कर अपने स्मृति पटल
पर अच्छी तरह बैठा लेंगे।
पढ़ाई किसी भी वक्त करें,
याद न करें बस पढ़ते जाएँ।
फिर थोड़ी देर लेट जाएँ व
एक कॉपी में
जो पढ़ा लिखते जाएँ यह
क्रिया आपको तथ्यों याद
रखने में सहायक होगी।
दूसरी क्रिया यह है
कि हम रात को सोते वक्त
ध्यान करें कि सुबह उठने से
लेकर सोते वक्त तक क्या-
क्या किया। किस-किस से
मिले। क्रमवार ध्यान
करते जाएँ। लगभग एक माह
में आपको सारा घटनाक्रम
हूबहू याद हो जाएगा।
तीसरी क्रिया आत्म
सम्मोहन की है।
सर्वप्रथम हम हाथ-पैर
धोकर रात्रि में एक
खुशबूदार
अगरबत्ती लगाकर
बिस्तर पर लेट जाएँ व
तीन बार गहरी-
गहरी साँसे लें व धीरे-धीरे
छोड़ें फिर अपने
दोनों पैरों को ढीला छोड़
दें फिर दोनों हाथ, सिर
व पूरे शरीर
को ढीला छोड़ दें। फिर
कहें मेरी आँखों मेंएक
सम्मोहक नींद
समाती जा रही है।
ऐसा कम से कम दस बार
करें। फिर अपने
आपको निर्देश दें कि आज
जो भी पढ़ा या लिखा मुझे
हमेशा जीवन भर ध्यान में
रहेगा और जब भी मैं उसे
लिखना चाहूँगा, लिख
दूँगा या बताना चाहूँगा बता दूँगा।
अब से मेरी याद्दाश्त
पहले से अधिक बढ़ गई है।
ऐसा क्रम एक माह तक करें
फिर देखें कि आपकी से
स्मरणशक्ति चमत्कारिक
रूप से बढ़ गई है। अगले पेज पर-
ऐसा विषय है जिसके बारे
में हर कोई
जानना चाहता है। चाहे
विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति
,
गृहिणी हो या वृद्ध। आज
की आपाधापी के समय में
हर कोई यही कहता नजर
आता है
कि मेरी याददाश्त
कमजोर है या जो पढ़ता हूँ
याद नहीं रहता।
आजकल स्मरणशक्ति बढ़ाने
के लिए बाजार में तरह-
तरह के प्रोडक्ट्स आते हैं।
वास्तव में
किसी की भी स्मरणशक्ति कमजोर
नहीं होती, न ही इस पर
उम्र का कोई फर्क
पड़ता है। इस लेख में कुछ
आसान से नियम बताए
जा रहे हैं यदि उन पर
अमल कर लिया जाए
तो निश्चित
ही आपकी स्मरणशक्ति बगैर
दवा सेवन के बढ़ जाएगी व
आप यह भूल ही जाएँगे
कि मेरी स्मरणशक्ति कभी कमजोर
थी।
सबसे पहले हम ध्यान रखें
कि हमारे विचारों में
नकारात्मक सोच
नहीं आना चाहिए,
बल्कि सोच सदैव
सकारात्मक
होना चाहिए। हम
उपन्यास, कोई
भी कहानी या फिल्म
या नाटक आदि देखते है
तो हमें घटनाक्रम से लेकर
पात्रों के नाम,
कहानी आदि भी याद
रहते हैं। कभी-कभी गाने
भी याद रह जाते हैं।
आखिर
ऐसा क्यों होता है?
वास्तव में हम जब फिल्में
देख रहे होते हैं
या उपन्यास आदि पढ़ रहे
होते हैं या कोई नाटक देख
रहे होते हैं तब हम उसे
याद नहीं करते बस
हमारी आँखों के सामने से व
हमारी स्मृति पटल से
गुजारते जाते हैं।
क्योंकि हम उसे याद
नहीं करते और दिमाग पर
जोर नहीं डालते और बस
पढ़ते जाते हैं या सिर्फ
देखते जाते हैं और वह हमें
याद हो जाता है।
जब हम कोई
घटना या किसी का नाम
याद रखने की कोशिश
करते हैं तो हमारे
मस्तिष्क पर दबाव
पड़ता है और जब मस्तिष्क
पर दबाव पड़ता है तो वह
घटना या किसी का नाम
नाम याद नहीं आता! जैसे
ही हम उसे याद करना बंद
कर देते है व दूसरे काम में
लग जाते हैं तो वह
घटना हमें शीघ्र याद आ
जाती है क्योंकि उस वक्त
हम उसे याद नहीं करते।
जबकि हमें किसी कोर्स
की किताबो को पढ़ते हैं
तो या तो हम रटते हैं
या याद करने की कोशिश
करते हैं जबकि हमें पढ़ते
वक्त याद
नहीं करना चाहिए। बस
पढ़ते रहना चाहिए। याद
करने की कोशिश ही हमें
याद नहीं होने देती। जब
भी हम पढ़ने बैठते हैं
तो एक या दो पैरा पढ़कर
किताब बंद कर दें,
थोड़ी देर विश्राम करें
फिर जो पढ़ा है उसे एक
कॉपी पर लिखें व मिलाएँ
कि हमने जो पढ़ा व
लिखा है उसमें कितना मेल
है। आप चकित रह जाएँगे
कि लगभग
जो पढ़ा था वही लिखा है।
धीरे-धीरे
यही क्रिया दोहराते
रहें। इस प्रकार हम
जो पढ़ेंगे उसे आसानी से
लिख कर अपने स्मृति पटल
पर अच्छी तरह बैठा लेंगे।
पढ़ाई किसी भी वक्त करें,
याद न करें बस पढ़ते जाएँ।
फिर थोड़ी देर लेट जाएँ व
एक कॉपी में
जो पढ़ा लिखते जाएँ यह
क्रिया आपको तथ्यों याद
रखने में सहायक होगी।
दूसरी क्रिया यह है
कि हम रात को सोते वक्त
ध्यान करें कि सुबह उठने से
लेकर सोते वक्त तक क्या-
क्या किया। किस-किस से
मिले। क्रमवार ध्यान
करते जाएँ। लगभग एक माह
में आपको सारा घटनाक्रम
हूबहू याद हो जाएगा।
तीसरी क्रिया आत्म
सम्मोहन की है।
सर्वप्रथम हम हाथ-पैर
धोकर रात्रि में एक
खुशबूदार
अगरबत्ती लगाकर
बिस्तर पर लेट जाएँ व
तीन बार गहरी-
गहरी साँसे लें व धीरे-धीरे
छोड़ें फिर अपने
दोनों पैरों को ढीला छोड़
दें फिर दोनों हाथ, सिर
व पूरे शरीर
को ढीला छोड़ दें। फिर
कहें मेरी आँखों मेंएक
सम्मोहक नींद
समाती जा रही है।
ऐसा कम से कम दस बार
करें। फिर अपने
आपको निर्देश दें कि आज
जो भी पढ़ा या लिखा मुझे
हमेशा जीवन भर ध्यान में
रहेगा और जब भी मैं उसे
लिखना चाहूँगा, लिख
दूँगा या बताना चाहूँगा बता दूँगा।
अब से मेरी याद्दाश्त
पहले से अधिक बढ़ गई है।
ऐसा क्रम एक माह तक करें
फिर देखें कि आपकी से
स्मरणशक्ति चमत्कारिक
रूप से बढ़ गई है। अगले पेज पर-
12/05/2012
good msg
:
Insan Ki Sabse KamZ0r CheeZ.
/
*
\
"DIL"
/
*
\
Or
Insan Ki Sabse MaZbut CheeZ.
/
*
\
Tuta hua"DIL"
/
*
\
Ajib Hai Lekin Sach Hai
*
Insan Ki Sabse KamZ0r CheeZ.
/
*
\
"DIL"
/
*
\
Or
Insan Ki Sabse MaZbut CheeZ.
/
*
\
Tuta hua"DIL"
/
*
\
Ajib Hai Lekin Sach Hai
*
TRUE LOVE
SACHA_PYAR
Rone Se Agar
Sanwar Jaate
Halaat Kisi Ke...
_
_
To. . .
Ae dosto,
_
_
>Mujse Jyada khushnaseeb
Koi Aur Na Hota.
*
*
>SO Be_Happy
Rone Se Agar
Sanwar Jaate
Halaat Kisi Ke...
_
_
To. . .
Ae dosto,
_
_
>Mujse Jyada khushnaseeb
Koi Aur Na Hota.
*
*
>SO Be_Happy
11/05/2012
jindgi ki udan
Zindagi ki asli udaan abhi
baaki hai,
Zindagi ke kai imtihann abhi
baaki hai.
Abhi to napi hai muthi bhar
zameen aapne,
Aage abhi saara aasman
baaki hai.
baaki hai,
Zindagi ke kai imtihann abhi
baaki hai.
Abhi to napi hai muthi bhar
zameen aapne,
Aage abhi saara aasman
baaki hai.
LOVE
If YOu touch AnD feel its desire.
If YOu touch AND don¢â‚¬â¢t feel
its ignorance,
But YOu don¢â‚¬â¢t touch AnD still
feels its love
If YOu touch AND don¢â‚¬â¢t feel
its ignorance,
But YOu don¢â‚¬â¢t touch AnD still
feels its love
Mohabat khawab hoti hai,
Mohabat baat hoti hai,
Ager koi pooch bethey to
mohabat raaz hoti hai,
Machalti hui umangon ka
sohana saath hoti hai,
Ager koi dhondna chahe to
mohabat nayab hoti hai,
Mohabat yu bhi hoti hai
kurbani hoti hai sayad ,
Mohabat phool hai shayad!
Ghamon ki dhool hai shayad!
Kisi ka saath hai shayad!
Chamakti raat hai shayad!
Mohabat khusi bhi hai.,
Mager!
Betaab hoti hai
Mohabat baat hoti hai,
Ager koi pooch bethey to
mohabat raaz hoti hai,
Machalti hui umangon ka
sohana saath hoti hai,
Ager koi dhondna chahe to
mohabat nayab hoti hai,
Mohabat yu bhi hoti hai
kurbani hoti hai sayad ,
Mohabat phool hai shayad!
Ghamon ki dhool hai shayad!
Kisi ka saath hai shayad!
Chamakti raat hai shayad!
Mohabat khusi bhi hai.,
Mager!
Betaab hoti hai
good thought
Our Behaviour is greater than our Knowledge
B'coz there are many situations where our knowledge may fail But
Our Behavior can handle that very well...!!!:-
B'coz there are many situations where our knowledge may fail But
Our Behavior can handle that very well...!!!:-
10/05/2012
BEST LINE -
Distance never breaks any relation,
Closeness never builds any relation..
If feelings are true from heart,
then Friends are Friends even miles apart.
Closeness never builds any relation..
If feelings are true from heart,
then Friends are Friends even miles apart.
YAADE
Acchi yaadein aapki aankhon me tabhi nami laati hai....
jab apko ye ehsaas ho ki aap un yaadon ko doobara nahi jee sakte....
so true..
feel it..
jab apko ye ehsaas ho ki aap un yaadon ko doobara nahi jee sakte....
so true..
feel it..
"I can
accept
failure.
Everyone
fails at
something. But I can’t
accept not trying."
~ Michael Jordan
- "Be
thankful
for what
you have;
you’ll end
up having more. If you
concentrate on what
you don’t have, you
will never, ever have
enough"
~ Marilyn vos
Quotes by Bill
Gates -
"If you
are born
poor, it’s
not your
mistake.
But if you die poor, it’s
definitely your
mistake."
~
-
"You
know it’s
love when
all you
want is
that person to be
happy, even if you’re
not part of their
happiness"
जो टुट गया बिखर गया ,
वो हार गया
ओर
जो टुट के भी न बिखरा ,
वो हार नही सकता ...MKT
accept
failure.
Everyone
fails at
something. But I can’t
accept not trying."
~ Michael Jordan
- "Be
thankful
for what
you have;
you’ll end
up having more. If you
concentrate on what
you don’t have, you
will never, ever have
enough"
~ Marilyn vos
Quotes by Bill
Gates -
"If you
are born
poor, it’s
not your
mistake.
But if you die poor, it’s
definitely your
mistake."
~
-
"You
know it’s
love when
all you
want is
that person to be
happy, even if you’re
not part of their
happiness"
जो टुट गया बिखर गया ,
वो हार गया
ओर
जो टुट के भी न बिखरा ,
वो हार नही सकता ...MKT
FUN-
2012:
Difficult OR Boring Papers Se Students Tang
Aa Gaye Hai.?
:
Aakhir Kab Tak Hoga
Ye Zulm.?
:
Ab Hume Aise
Papers Chahiye..
:HOw?
Total Marks 50
Choose The Best..
:
Q's NO-,
1.Tere Mast Mast_____Nain.
(3,5,2)
:
2.______Badnaam Hui Darling Tere Liye.
(Munni,Sheila,Razia)
:
3.Maa Ka Laadla ______Gaya.
(Sudhar,Bigad,Ujad)
:
4.Rehna Hai Tere______Me.
(Ghar,Dil,Bil)
:
5.Tum______Aaye.
(Pass,Ghar,Yaad)
New Pattren SEE To All Students & teacher....
Difficult OR Boring Papers Se Students Tang
Aa Gaye Hai.?
:
Aakhir Kab Tak Hoga
Ye Zulm.?
:
Ab Hume Aise
Papers Chahiye..
:HOw?
Total Marks 50
Choose The Best..
:
Q's NO-,
1.Tere Mast Mast_____Nain.
(3,5,2)
:
2.______Badnaam Hui Darling Tere Liye.
(Munni,Sheila,Razia)
:
3.Maa Ka Laadla ______Gaya.
(Sudhar,Bigad,Ujad)
:
4.Rehna Hai Tere______Me.
(Ghar,Dil,Bil)
:
5.Tum______Aaye.
(Pass,Ghar,Yaad)
New Pattren SEE To All Students & teacher....
09/05/2012
PREM-
प्रेम
आदमी सज़ा नहीं है.
बल्कि यह उसका इनाम है
और उसकी ताकत और
उसकी खुशी भी है, प्यार ओर दोस्ती एहसास के सबसे बडे जज्बो मे आते है!
आदमी सज़ा नहीं है.
बल्कि यह उसका इनाम है
और उसकी ताकत और
उसकी खुशी भी है, प्यार ओर दोस्ती एहसास के सबसे बडे जज्बो मे आते है!
08/05/2012
best of the best
"Some Reasons make Relatnshp Precious,
But
Only Precious Relatnships
are made with No Reasons".
Keep those relations alive for life time..!
But
Only Precious Relatnships
are made with No Reasons".
Keep those relations alive for life time..!
07/05/2012
BEST THOUGHT
Dont get attached to someone so much,
it hurts later.
Bcoz life starts wen u fall in Love
but
Doesnt end wen Love ends.
Dificult but True...!!!
it hurts later.
Bcoz life starts wen u fall in Love
but
Doesnt end wen Love ends.
Dificult but True...!!!
EK BHAROSA
खुद पर भरोसा, आप
अधिक से अधिक करे
आपको लगता है
कि आप करना जानते
हैं.तो आप सब कुछ कर सकते हो
MKT
अपने आप पर
विश्वास है. यही स्वयं
की शक्ति है कि आप
सब अपने जीवन के मैदान मेँ खेल रहे है
आपके व्यक्तिगत
विशिष्टता पर
भरोसा करके आप
अपने आप को इस खेल को जीतने कि
चुनौती दे सकते है.
MKT
हम
हमारी अपनी सोच
पर विश्वास
करना चाहिए.
ट्रस्ट जहां हम
जा रहे हैं.उसे पाने के
लिए और क्या काम किया जा सकता है ये सोचे....MKT
अधिक से अधिक करे
आपको लगता है
कि आप करना जानते
हैं.तो आप सब कुछ कर सकते हो
MKT
अपने आप पर
विश्वास है. यही स्वयं
की शक्ति है कि आप
सब अपने जीवन के मैदान मेँ खेल रहे है
आपके व्यक्तिगत
विशिष्टता पर
भरोसा करके आप
अपने आप को इस खेल को जीतने कि
चुनौती दे सकते है.
MKT
हम
हमारी अपनी सोच
पर विश्वास
करना चाहिए.
ट्रस्ट जहां हम
जा रहे हैं.उसे पाने के
लिए और क्या काम किया जा सकता है ये सोचे....MKT
06/05/2012
कभी किसी को जो चाहता है कि
तुम्हारे पास क्या हैंतो एक बात अवश्य कहो कि मेरे पास अपना
विश्वास हैओर ईश्वर पर भरोसा है
ओर कुछ नहीं,
.MKT
प्रभु में ओर अपने आप पर
भरोसा रखो और आगे
बढ़ो. चिंता आपको पिछे धकेलेगी इसकी कोई
जगह
नहीं हो ये ध्यान रखो
कोई है
जो दुनिया हमेशा उसका
साथ दे रही है
सोचता हूँ
कि सही है. वह
कही न कही या कुछ में
है कि विश्वास
की अद्भुत शक्ति लग रही है मुझे आज
याद आ रही है.
जितना अधिक आप
अपने अंतर्ज्ञान पर
भरोसा है,तो आप और अधिक
सशक्त त हो, मजबूत
हो तुम, और खुश हो.
तुम्हारे पास क्या हैंतो एक बात अवश्य कहो कि मेरे पास अपना
विश्वास हैओर ईश्वर पर भरोसा है
ओर कुछ नहीं,
.MKT
प्रभु में ओर अपने आप पर
भरोसा रखो और आगे
बढ़ो. चिंता आपको पिछे धकेलेगी इसकी कोई
जगह
नहीं हो ये ध्यान रखो
कोई है
जो दुनिया हमेशा उसका
साथ दे रही है
सोचता हूँ
कि सही है. वह
कही न कही या कुछ में
है कि विश्वास
की अद्भुत शक्ति लग रही है मुझे आज
याद आ रही है.
जितना अधिक आप
अपने अंतर्ज्ञान पर
भरोसा है,तो आप और अधिक
सशक्त त हो, मजबूत
हो तुम, और खुश हो.
EK SACCHA PYAR-
REAL STORY:
EK DIN 13 saal k ladke ko 10 saal ki khubsurat ladki ki photo raste me mili
or us ladke ko ladki se pyar ho gaya
uska us ladki k liye pyar dhire-2 bdhne lga wo us ladki se bhut pyar krne lga
Par wo ladka us ladki ko kbhi na pa saka Kuch salo bad
Uski wife ne wo photo dekha or pucha "tumhe ye photo kaha se mila?
ladke ne pucha"Q?"
Ladki ne kha:"mera photo kho gya tha jab me 10 saal ki thi"
SACHA PYAR KABHI BHI ASAFAL NHI HOTA ....
EK DIN 13 saal k ladke ko 10 saal ki khubsurat ladki ki photo raste me mili
or us ladke ko ladki se pyar ho gaya
uska us ladki k liye pyar dhire-2 bdhne lga wo us ladki se bhut pyar krne lga
Par wo ladka us ladki ko kbhi na pa saka Kuch salo bad
Uski wife ne wo photo dekha or pucha "tumhe ye photo kaha se mila?
ladke ne pucha"Q?"
Ladki ne kha:"mera photo kho gya tha jab me 10 saal ki thi"
SACHA PYAR KABHI BHI ASAFAL NHI HOTA ....
05/05/2012
jaan
Mat dekh ke koi shaks gunah gaar kitna hai
ye dekh ke tere saath wafadar kitna hai
ye mat soch ke use kuch logo se nafrat bhi hai
ye dekh ke usko tujhse pyar kitna hai
mat dekh ke wo tanha kyu baitha hai itna
dekh use tera intezar kitna hai
beshak tere ashiq ka tujh bin kuch nahi
dekh zara wo tera talabgar kitna hai
Ye mat pooch usko tujhse use pyar kitna hai
usko bata wo tera hakdar kitna hai...
ye dekh ke tere saath wafadar kitna hai
ye mat soch ke use kuch logo se nafrat bhi hai
ye dekh ke usko tujhse pyar kitna hai
mat dekh ke wo tanha kyu baitha hai itna
dekh use tera intezar kitna hai
beshak tere ashiq ka tujh bin kuch nahi
dekh zara wo tera talabgar kitna hai
Ye mat pooch usko tujhse use pyar kitna hai
usko bata wo tera hakdar kitna hai...
04/05/2012
best line
"koi ruthe agr tumse to use foran mna lo..
kyuki...
zid ki jung me aksr
judai jeet jaati hai"
kyuki...
zid ki jung me aksr
judai jeet jaati hai"
03/05/2012
ANUBHAV-
जब आपने वास्तव में एक
अनुभव को समाप्त
किया है तुम
हमेशा श्रद्धा और
इसे प्यार करोगे .
आप अनुभव
नहीं बना सकते हैं.बल्कि बता सकते है
आपको इसेसे
गुजरना ही होगा.
अनुभव को समाप्त
किया है तुम
हमेशा श्रद्धा और
इसे प्यार करोगे .
आप अनुभव
नहीं बना सकते हैं.बल्कि बता सकते है
आपको इसेसे
गुजरना ही होगा.
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