21/05/2012

BEST MOTIVATION STORY

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एक बहुत बड़े
ठेकेदार के
यहां हजारों
मजदूर काम करते
थे। एक बार उस
क्षेत्र के
मजदूरों ने
अपनी मांगों को
लेकर हड़ताल कर
दी।
महीनों हड़ताल
चलती रही।
नतीजा मजदूर
भूखे मरने लगे और
रोजी-
रोटी कमाने के
लिए
दूसरी बस्तियों में
चले गए, लेकिन
दूसरी बस्तियों के
गरीब मजदूर इस
बस्ती में आ पहुंचे।
ठेकेदार नित्य
ही ऐसे
लोगों की तलाश
में रहता था,
जो उसके ठेके
का काम पूरा कर
सकें। अत: एक दिन
वह बस्ती के
चौराहे पर आकर
खड़ा हो गया।
तभी एक मजदूर
कंधे पर
कुदाली रखे
वहां आया।
ठेकेदार ने उससे
पूछा-
क्या मजदूरी लेगा
? मजदूर ने कहा-
बारह आने।
ठेकेदार ने उससे
कहा -
अच्छा दूंगा,
जाकर मेरे ईंटों के
भट्ठे के लिए
मिट्टी खोदो।
इसके बाद एक
दूसरा मजदूर
वहां आया,
ठेकेदार ने उससे
भी मजदूरी पूछी।
वह बोला- तीन
रुपए। ठेकेदार ने
उसे खान में
कोयला खोदने
भेज दिया। तीसरे
मजदूर ने बड़े ताव
से दस रुपए
अपनी मजदूरी
बताई। ठेकेदार ने
उसे हीरे की खान
में भेज दिया।
शाम
को तीनों मजदूरी
लेने पहुंचे। पहले ने
सौ टोकरी
मिट्टी खोदी।
दूसने ने दस मन
कोयला निकाला
और तीसरे को एक
हीरा मिला।
तीनों के हाथ पर
जब
मजदूरी रखी गई
तो पहला मजदूर
तीसरे मजदूर के
हाथ पर दस रुपए
देखकर नाराज
होने लगा। तब
ठेकेदार बोला-
तुम्हारी मजदूरी
तुमने ही तय
की थी। जिसमें
जितनी शक्ति और
इच्छा थी, उसने
उतनी मजदूरी
बताई और सभी ने
काम भी उसी के
अनुरूप किया है।
यह सुनकर
पहला मजदूर चुप
हो गया। सार
यह है
कि शक्ति ही
जीवन है,
दुर्बलता ही मृत्यु
है। अत:
आशावादी, दृढ़ व
अनुकूल
विचारों को
अपनाकर
कर्म
करना चाहिए।
,
,
: प्रेरक प्रसंग
[ ]
एक बार
अमेरिका के
राष्ट्रपति
जॉर्ज वॉशिंगटन
नगर
की स्थिति का
जायजा लेने के
लिए निकले।
रास्ते में एक जगह
भवन
का निर्माण
कार्य चल
रहा था। वह कुछ
देर के लिए
वहीं रुक गए और
वहां चल रहे
कार्य को गौर से
देखने लगे। कुछ देर
में उन्होंने
देखा कि कई
मजदूर एक बड़ा-
सा पत्थर
उठा कर इमारत
पर ले जाने
की कोशिश कर
रहे हैं। किंतु
पत्थर बहुत
ही भारी था,
इसलिए वह इतने
मजदूरों के उठाने
पर भी उठ
नहीं आ रहा था।
ठेकेदार उन
मजदूरों को पत्थर
न उठा पाने के
कारण डांट
रहा था पर खुद
किसी भी तरह
उन्हें मदद देने
को तैयार
नहीं था।
वॉशिंगटन यह
देखकर उस
ठेकेदार के पास
आकर बोले, ‘इन
मजदूरों की मदद
करो। यदि एक
आदमी और
प्रयास करे
तो यह पत्थर
आसानी से उठ
जाएगा।’ ठेकेदार
वॉशिंगटन
को पहचान
नहीं पाया और
रौब से बोला, ‘मैं
दूसरों से काम
लेता हूं, मैं
मजदूरी नहीं
करता।’ यह
जवाब सुनकर
वॉशिंगटन घोड़े
से उतरे और पत्थर
उठाने में
मजदूरों की मदद
करने लगे। उनके
सहारा देते
ही पत्थर उठ
गया और
आसानी से ऊपर
चला गया। इसके
बाद वह वापस
अपने घोड़े पर
आकर बैठ गए और
बोले, ‘सलाम
ठेकेदार साहब,
भविष्य में
कभी तुम्हें एक
व्यक्ति की कमी
मालूम पड़े
तो राष्ट्रपति
भवन में आकर
जॉर्ज वॉशिंगटन
को याद कर
लेना।’ यह सुनते
ही ठेकेदार उनके
पैरों पर गिर
पड़ा और अपने
दुर्व्यवहार के
लिए
क्षमा मांगने
लगा। ठेकेदार के
माफी मांगने पर
वॉशिंगटन बोले,
‘मेहनत करने से
कोई
छोटा नहीं हो
जाता।
मजदूरों की मदद
करने से तुम
उनका सम्मान
हासिल करोगे।
याद रखो, मदद
के लिए सदैव
तैयार रहने वाले
को ह

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