23/05/2012

GOD WITH ME-

मेरे जन्म के समय ही ईश्वर ने
कहा था कि वह हमेशा मेरे
साथ रहेगा और सच में वह
मेरे साथ चलता रहा ।
जिस राह पर मैं चल
रहा था , वह बहुत कठिन
था। राह पर
जहाँ तहाँ पत्थर पड़े थे,
काँटे बिछे थे और सिर पर
चिलचिलाती धूप थी,
छायादार
पेड़ों का कहीं भी नामोनिशान नहीं था। ऐसे
पथ पर ठोकर
तो लगना ही थी,
सो लगी
और मैं गिर पड़ा।
मुझे गिरा देखकर ईश्वर
आगे नहीं बढ़ा और न
ही उसने मुझे सहारा देकर
उठाने कि चिंता जताई।
मैं
ही अपने प्रयास से उठ
खड़ा हुआ।
मेरे उठने के बाद
वह फिर मेरे साथ चलने
लगा।
मैं इसी तरह कई
बार गिरा और हर बार
मुझे ही अपने बल पर
उठना पड़ा।
ईश्वर ने
कभी भी मेरी मदद
नहीं की।
मुझे भी इनसे कोई
शिकायत नहीं रही।
परन्तु
मेरी ओर ध्यान देकर
चलने वाला ईश्वर स्वयं एक
पत्थर से टकराकर गिर
पड़ा।
मैंने तुरंत आगे बढ़कर
उसे उठाया।
यह देख
ईश्वर ने मुझसे कहा,
'तुम्हारे गिरने पर मैंने
तो कभी भी आगे बढ़कर
तुम्हें नहीं उठाया। फिर
भी मेरे गिरने पर तुम आगे
बढे।
मैंने तो सोचा की तुम
इस समय मुझे छोड़कर अकेले
आगे चल पड़ोगे। तुमने
ऐसा क्यों नहीं किया?'
मैंने कहा,
'हे
ईश्वर, तुमने मेरी मदद
नहीं की वह
तुम्हारी इच्छा थी।
मैं
स्वयं उठ सकता था,
इसलिए हरबार
उठता गया। मेरे उठने पर
तुम पूर्ववत मेरे साथ चलने
लगे।
मेरे उठने तक तुम रुके
रहे,
यही मेरे लिए
क्या कम था।
ओर जहाँ तक
तुम्हें उठाने का प्रश्न है,
वह मैंने इसलिए
किया क्योंकि मुझे
तो तुम्हारा साथ हर पल चाहिए
था।
सच कहूँ तो जब तुम मेरे
साथ होते
हो तो
मेरी तुम्हारे
प्रति आस्था बनी रहती है
और उसी आस्था के बल ओर विश्वास पर
मैं गिरने पर स्वयं ही उठने
में सफल रहा हूँ। तुम्हारे
साथ के बिना तो मैं एक
कदम भी आगे नहीं रख
पाऊंगा और अगर रख
भी पाया तो मुझे संतोष
नहीं मिलेगा।
एक
बच्चा सामने
माँ को देखकर ही कदम आगे
रखकर चलना सीखता है।
परन्तु इसके लिए उसे
सारी शक्ति सामने
बैठी माँ से ही मिलती है।'
'पर'
बच्चे के
गिरने पर माँ तो तुरंत आगे
बढ़कर उसे उठती है। मैंने
तो ऐसा कभी नहीं किया,'
ईश्वर ने कहा।

मैंने कहा,
'यदि तुम ऐसा करते होते
तो तुममें और माँ में फर्क
ही क्या रह जाता फिर।

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